जयपुर: राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में आने वाले उद्योगपतियों और निवेशकों से गाय के गोबर और गोमूत्र से बने उत्पाद बनाने के लिए भी कोई प्रोजेक्ट लाने के लिए निवेदन किया जाएगा, यदि ऐसा कोई प्रोजेक्ट आता है तो सरकार उन्हें पूरी मदद करेगी. ये कहना है पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत का. मंगलवार को गोपालकों को जैविक खाद के ज्यादा से ज्यादा उपयोग पर प्रोत्साहित करते हुए मंत्री जोराराम ने गाय, गोबर और गोमूत्र पर भी चर्चा की.
जयपुर के पिंजरापोल गौशाला में आयोजित वर्कशॉप में किसानों और गोपालकों को संबोधित करते हुए मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि राजस्थान में पशुपालन और कृषि दोनों परस्पर जुड़े हुए व्यवसाय हैं. केंद्र और राज्य सरकार पशुपालक और किसानों को मजबूत करने के लिए लगातार कई योजनाएं चला रही है. गौशालाओं में गोकाष्ठ मशीन दी जा रही है. गौशाला में जो अनुदान बड़े पशुओं का 40 रुपए और छोटे पशुओं के लिए 20 रुपए दिया जाता था, उसमें भी 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की भी घोषणा की गई है.
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दुधारू पशुओं का होगा बीमा: मंत्री कुमावत ने कहा कि अब दुधारू गाय, भैंस, भेड़, बकरी और ऊंट का बीमा भी किया जाएगा और यदि इन पशुओं की किसी बीमारी या दुर्घटना से मौत हो जाती है तो पशुपालकों को बीमा क्लेम मिलेगा. उन्होंने गोपालक कार्ड बनाने की भी घोषणा की है. इससे पशु पालकों को एक लाख तक का लोन बिना ब्याज के मिलेगा, ताकि पशुपालक अपने रोजगार को बढ़ा सकें.
गोबर व गोमूत्र के उत्पाद बनाने पर करेंगे सहायता: उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में आने वाले उद्योगपति और इन्वेस्टर्स से गाय के गोबर और गोमूत्र से बने प्रोडक्ट्स बनाने के लिए भी कोई प्रोजेक्ट लाने के लिए निवेदन किया जाएगा, यदि ऐसा कोई प्रोजेक्ट आता है तो सरकार उन्हें पूरी मदद करेगी. उन्होंने बताया कि एक योजना बनाई जा रही है कि गाय के गोबर का कैसे उपयोग किया जा सके, ताकि किसानों को उसका फायदा मिल सके. अभी राजस्थान में 4000 के करीब गौशाला संचालित है. उनमें से पात्र गौशालाओं को 9 महीने का अनुदान दिया जाता है. नंदी शालाओं को 12 महीने का अनुदान दिया जाता है. लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा गौशालाएं खुलें, इसलिए पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने, पंचायत समिति और जिला स्तर पर नंदी शाला खोलने की योजना है. इसके लिए जन जागृति भी फैला रहे हैं. इससे निराश्रित गोवंश को भी सहारा मिलेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि एक किसान को गोबर का उपयोग पूरी तरह पता है. सरकार जैविक खाद बनाकर के दे या नहीं दे, लेकिन किसान गोबर का उपयोग जानता है. वह इसका इस्तेमाल खेती में भी करता है. बस किसानों में जन जागृति फैलाने की जरूरत है कि वो जैविक खाद का इस्तेमाल ज्यादा करें, ताकि फसलों को उसका फायदा मिल सके.