रांचीः ईडी के समन पर झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ईडी के दफ्तर पहुंच एजेंसी के सवालों का सामना कर रहे है. टेंडर घोटाला मामले में ईडी ने मंत्री को समन जारी करते हुए मंगलवार को पूछताछ के लिए तलब किया था.
35 करोड़ किसके
झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीए और उनके दूसरे सहयोगियों के ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद बरामद 35 करोड़ रुपये मामले में मंत्री आलमगीर से ईडी पूछताछ कर रही है. इस मामले में मंत्री के पीए संजीव लाल, संजीव के नौकर जहांगीर आलम को ईडी ने 7 मई को गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तरी के बाद जहांगीर ने ईडी के सामने खुलासा किया था कि बरामद करोड़ों रुपए पीए संजीव लाल के हैं.
जबकि संजीव लाल ने बताया कि पूरे पैसे विभाग में टेंडर देने के बदले मिले कमीशन का है और कमीशन का पैसा अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक जाता था. इसी के बाद मंत्री आलमगीर आलम ईडी की रडार पर आ गए. जिसके बाद ईडी ने शनिवार को मंत्री को समन जारी करते हुए 14 मई को 35 करोड़ की बरामदगी और टेंडर घोटाले में पूछताछ के लिए तलब किया.
पैसे का खेल विभाग में कैसे चल रहा था
मंत्री आलमगीर आलम ईडी के द्वारा समन दिए जाने के बाद तय समय पर ईडी दफ्तर पहुंचे. ईडी अधिकारियों ने 50 आए ज्यादा सवाल भी मंत्री के लिए तैयार किया हुआ था, मसलन वीरेंद्र राम से लेकर संजीव लाल से जो करोड़ों की रकम बरामद हुए हैं उसके बारे में मंत्री को क्या जानकारी. विभाग में चल रहे करोड़ों के कमीशन के खेल में मंत्री की क्या भूमिका थी. संजीव और जहांगीर के पास मिले पैसे कहां पहुंचाए जाने थे. ऐसे कई सवालों का जबाब मंत्री आलमगीर आलम को देना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार अगर जरूरत हुई तो संजीव लाल और जहांगीर आलम के सामने बिठा कर मंत्री से पूछताछ की जाएगी.
ईडी ने कोर्ट को दी है जानकारी, अधिकारियों-राजनेताओं के बीच बटा पैसा
ईडी ने संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम की रिमांड नोट में टेंडर के खेल की पूरी जानकारी कोर्ट को दी है. ईडी ने कोर्ट को यह जानकारी दी है कि पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत जांच के दौरान यह पता चला है कि वीरेंद्र कुमार राम ( गिरफ्तार) झारखंड सरकार के जल संसाधन विभाग से एक इंजीनियर है और ग्रामीण कार्य विभाग और ग्रामीण विकास विभाग (विशेष प्रमंडल), झारखंड सरकार के मुख्य अभियंता के रूप में प्रतिनियुक्ति थे.
वीरेंद्र कुमार राम टेंडर देने के लिए कमीशन एकत्र करता था और उस कमीशन का 1.5% का निर्धारित हिस्सा अपने वरिष्ठों और राजनेताओं के बीच वितरित करता था. जांच के दौरान विभाग के अन्य अधिकारियों की भी वसूली में संलिप्तता पाई गई. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि छह मई को तलाशी कार्रवाई से संबंधित निष्कर्ष और दोनों आरोपियों की मिलीभगत का उल्लेख पहले ही रिमांड याचिका में किया जा चुका है.
इसके अलावा, पीएमएलए, 2002 की धारा 17 के तहत तलाशी भी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद की गई थी. सात मई को संजीव लाल के एक सहयोगी राजीव कुमार के परिसर से 2.13 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी.इसके अलावा, विभिन्न स्थानों पर कार्रवाई के दौरान आपत्तिजनक सामग्री/दस्तावेज/डिजिटल डिवाइस भी बरामद किए गए और जब्त किए गए , जिनकी जांच की जा रही है.
जांच में यह पता चला है कि संजीव लाल कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों की ओर से कमीशन के पैसों को जमा करता था. इसके अलावा हिरासत के दौरान जब्त की गई सामग्री और बयानों से, विभिन्न नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं, जिनकी शिकायतकर्ता द्वारा जांच की जा रही है.ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर से नीचे तक कई अधिकारी इस गठजोड़ में शामिल हैं और आमतौर पर भारी मात्रा में नकद में प्राप्त किया जाता था जिसे बाद में उसे आपस में बाट लिया जाता था.
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