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सरकार का खजाना भरने वाले खनन मजदूर बूंद-बूंद पानी के लिए तरसे, सुनाई अपनी परेशानी - UTTARAKHAND GOVERNMENT

Water Problems in Haldwani हल्द्वानी में कुमाऊं की गौला और नंधौर नदी में खनन का काम कर रहे मजदूरों को पानी की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है. आलम ये है कि नलों में पानी नहीं आ रहा है. जिससे मजदूरों को प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है.

Water problems in Haldwani
पानी की समस्या
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 17, 2024, 1:04 PM IST

Updated : Apr 1, 2024, 12:32 PM IST

सरकार का खजाना भरने वाले खनन मजदूर बूंद-बूंद पानी के लिए तर

हल्द्वानी: सरकार को खनन से सबसे ज्यादा राजस्व की मिलती है, लेकिन इस राजस्व कमाई में सबसे बड़ा योगदान खनन करने वाले मजदूरों का होता है. कुमाऊं की गौला और नंधौर नदियों से खनन का काम चल पर है. खनन के काम से अपनी आजीवका चलाने के लिए काफी संख्या में मजदूर नदियों में खनन चुगान का काम कर रहे हैं, लेकिन मजदूर पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. आलम ये है कि मजदूर दूर-दूर से पानी ढोकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

25 हजार से ज्यादा मजदूर खनन के काम में जुटे: बता दें कि कुमाऊं की गौला और नंधौर नदी में खनन शुरू हो गया है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के रहने वाले करीब 25 हजार से मजदूर मजदूर गौला नदी में होने वाले खनन का काम कर रहे हैं. मजदूरों को खनन कार्य के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसको देखते हुए उन्हें शुद्ध पेयजल व्यवस्था, कंबल, दवाइयां, जूते, पानी के थरमस और शौचालय समेत कई उपकरण दिए जाने की बात एनजीटी के नियमों में शामिल है.

मजदूरों की हित के लिए बनी वेलफेयर सोसाइटी: यहां तक कि इन सुविधाओं के लिए सरकार ने मजदूरों की हित के लिए वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई है, लेकिन सरकार और सरकारी मशीनरी की उदासीनता के चलते मजदूर मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. श्रमिकों का कहना है नदी के गेटों पर लगे पानी के नल सूख गए हैं. जिससे उन्हें पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वो अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.

अधिकारी बोले - पानी के लिए टैंकर की गई व्यवस्था: वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक महेश चंद्र आर्य ने बताया कि मजदूरों के पीने के पानी के लिए टैंकर की व्यवस्था की गई है, जबकि उनको मिलने वाले मूलभूत सुविधाओं के लिए शासन को अवगत कराया गया है. शासन से निर्देश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि खनन कार्य करने वालों में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार के हजारों श्रमिक शामिल हैं.

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सरकार का खजाना भरने वाले खनन मजदूर बूंद-बूंद पानी के लिए तर

हल्द्वानी: सरकार को खनन से सबसे ज्यादा राजस्व की मिलती है, लेकिन इस राजस्व कमाई में सबसे बड़ा योगदान खनन करने वाले मजदूरों का होता है. कुमाऊं की गौला और नंधौर नदियों से खनन का काम चल पर है. खनन के काम से अपनी आजीवका चलाने के लिए काफी संख्या में मजदूर नदियों में खनन चुगान का काम कर रहे हैं, लेकिन मजदूर पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. आलम ये है कि मजदूर दूर-दूर से पानी ढोकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

25 हजार से ज्यादा मजदूर खनन के काम में जुटे: बता दें कि कुमाऊं की गौला और नंधौर नदी में खनन शुरू हो गया है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के रहने वाले करीब 25 हजार से मजदूर मजदूर गौला नदी में होने वाले खनन का काम कर रहे हैं. मजदूरों को खनन कार्य के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसको देखते हुए उन्हें शुद्ध पेयजल व्यवस्था, कंबल, दवाइयां, जूते, पानी के थरमस और शौचालय समेत कई उपकरण दिए जाने की बात एनजीटी के नियमों में शामिल है.

मजदूरों की हित के लिए बनी वेलफेयर सोसाइटी: यहां तक कि इन सुविधाओं के लिए सरकार ने मजदूरों की हित के लिए वेलफेयर सोसाइटी भी बनाई है, लेकिन सरकार और सरकारी मशीनरी की उदासीनता के चलते मजदूर मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. श्रमिकों का कहना है नदी के गेटों पर लगे पानी के नल सूख गए हैं. जिससे उन्हें पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वो अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.

अधिकारी बोले - पानी के लिए टैंकर की गई व्यवस्था: वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक महेश चंद्र आर्य ने बताया कि मजदूरों के पीने के पानी के लिए टैंकर की व्यवस्था की गई है, जबकि उनको मिलने वाले मूलभूत सुविधाओं के लिए शासन को अवगत कराया गया है. शासन से निर्देश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि खनन कार्य करने वालों में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार के हजारों श्रमिक शामिल हैं.

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Last Updated : Apr 1, 2024, 12:32 PM IST
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