उत्तरकाशी: तहसील और ब्लॉक मुख्यालय की दौड़ से बचने के लिए न्याय पंचायत स्तर पर बने मिनी सचिवालयों का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर मिनी सचिवालयों के आलीशान भवन तो बना दिए, लेकिन उद्देश्य के अनुरूप इनका उपयोग करना भूल गई. इस कारण करोड़ों की लागत से बने मिनी सचिवालय वीरान पड़े हुए हैं.
गौर हो कि साल 2014 में ब्लॉक की तुनालका, नंदगांव, गातु और तीयां न्याय पंचायत में एक-एक करोड़ की लागत से मिनी सचिवालयों की स्थापना की गई थी. सरकार की मंशा थी कि मिनी सचिवालय बनने से संबंधित न्याय पंचायत से जुड़ी ग्राम पंचायत के लोगों को विभिन्न विभागों द्वारा एक छत के नीचे किसी भी तरह की पेंशन, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, आय प्रमाणपत्र सहित कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी.
जिससे ग्रामीणों को इन कार्यों के लिए ब्लॉक और तहसील मुख्यालयों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी. लेकिन सरकार मंशा के अनुरूप आज तक मिनी सचिवालयों का उपयोग नहीं कर पाई है, जिससे करोड़ों की लागत से बने मिनी सचिवालय वीरान पड़े हुए हैं. बजलाड़ी के पूर्व प्रधान जयेंद्र राणा का कहना है कि जिस उद्देश्य के लिए मिनी सचिवालययों की स्थापना की गई थी, वह पूरा हो पाया है. सरकार ने भी मिनी सचिवालयों के उपयोग में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
नंदगांव स्थित मिनी सचिवालय को एसडीआरएफ के लिए उपयोग किया जा रहा है, तुनालका मिनी सचिवालय की प्रक्रिया न्याय परिसर के उपयोग के लिए चल रही है. तीयां और गातु न्याय पंचायत में बने मिनी सचिवालयों की जानकारी संज्ञान में नहीं है. मुकेश रमोला, एसडीएम बड़कोट
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