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मसूरी लंढौर मेले में पहाड़ी खाने की धूम, खुशबू से महक उठी वादियां, लुत्फ उठा रहे सैलानी - MUSSOORIE LANDOUR FAIR

मसूरी में आज लंढौर मेले का शुभारंभ किया गया. इसी बीच सैलानियों ने पहाड़ी खाने का लुत्फ उठाया.

MUSSOORIE LANDOUR FAIR
मसूरी लंढौर मेला शुरू (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 11 hours ago

मसूरी: मसूरी छावनी परिषद के तत्वाधान में ग्रीन लाइफ के सहयोग से आयोजित लंढौर मेले का आज शुभारंभ किया गया. मेले में देशी-विदेशी पर्यटकों ने पहाड़ी खाने का लुत्फ उठाया. मेले में पहाड़ी खाने के स्टॉल लगे थे, जिसमें पहाड़ी दाल के पकौड़े और पहाड़ी खाने की थाली आकर्षण का केंद्र रही. इसके अलावा उत्तराखंडी हस्तशिल्प के स्टॉल पर भी लोगों की भारी भीड़ देखी गई.

मेले में परोसा जा रहा टिहरी का राजशाही भोजन: स्टॉल लगाने वाले पंकज अग्रवाल ने कहा कि इस मेले में उन्होंने टिहरी का राजशाही भोजन देवलगढ़ कुजीन परोसा है. जिसमें पासाई और सर्द अचारी सब्जी के साथ मंडवे की रोटी पल्लर दाल के पकोड़े और मीठा भात आदि परोसा जाता है. जिसे देशी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि जो भोजन राजाओं के समय था, वह आम जनता को परोसा जाए. इसी के तहत राजा-महाराजों का भोजन कांसे की थाली में परोसा जा रहा है.

मेले में मशरूम बिरयानी और भांग की चटनी की धूम: पंकज अग्रवाल ने कहा कि उनका प्रयास है कि वह प्रदेश के पहाड़ी व्यंजनों और उत्पादों को देश के विभिन्न प्रदेशों में आयोजित होने वाले मेलों में प्रदर्शित करें, जिससे पहाड़ के व्यंजनों के साथ-साथ उत्पादों को लोग जानें और उनकी डिमांड बढ़े. उन्होंने बताया कि वो पिंडालू (अरबी) के कबाब, पतुंगे, कुलथ दाल, आलू जखिया पराठा, कुलथी पराठा, छोले रोटी, गुच्छी, मशरूम बिरयानी और भांग की चटनी सहित भंगजीर आदि से बनी चॉकलेट व कोदे के आटे की कॉफी समेत झंगोरे की खीर आदि परोस रहे हैं.

मसूरी लंढौर मेले में पहाड़ी खाने की धूम (video-ETV Bharat)

उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना मेले का उद्देश्य: मेले के आयोजक और ग्रीन लीफ संस्था के निदेशक विवेक वेणीवाल ने कहा कि छावनी क्षेत्र में लगने वाला लंढौर मेला दसवीं बार आयोजित किया जा रहा है, जिसमें आसपास के क्षेत्रों के पहाड़ी उत्पाद लाए जाते हैं और उन्हें मंच प्रदान किया जाता है. साथ ही बड़े ब्रांड के स्टॉल भी लगाए जाते हैं. मेले का उद्देश्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि यहां के किसानों को प्रोत्साहित करना है, जिससे मेले के माध्यम से उन्हें बाजार उपलब्ध हो सके.

आर्ट और खानपान आकर्षण का केंद्र: छावनी परिषद लंढौर की सीईओ अंकिता सिंह ने कहा कि लंढौर मेला हर साल बढ़ता जा रहा है. लोकल उत्पाद व पहाड़ी व्यंजन परोसे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो पहली बार मेले में शामिल हुई हैं. यहां पर पहाड़ के विभिन्न क्षेत्रों के उत्पाद, आर्ट और खानपान रखे गए हैं, जो आकर्षण का केंद्र हैं.

पर्यटक उत्तराखंड की सांस्कृति से हो रहे रूबरू: मसूरी व्यापार संघ के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि विगत वर्षाे में लंढौर मेला विश्व और देश के पैमाने पर प्रचारित हुआ है और अब मसूरी में जितना पर्यटक आता है वह लंढौर मेले में जरूर आता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मेलों से हमारी संस्कृति के साथ-साथ पहाड़ी खाने और पहाड़ी वस्त्रों को बढ़ावा मिलता है. साथ ही लंढौर मेले में पर्यटक उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू हो रहे हैं.

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मसूरी: मसूरी छावनी परिषद के तत्वाधान में ग्रीन लाइफ के सहयोग से आयोजित लंढौर मेले का आज शुभारंभ किया गया. मेले में देशी-विदेशी पर्यटकों ने पहाड़ी खाने का लुत्फ उठाया. मेले में पहाड़ी खाने के स्टॉल लगे थे, जिसमें पहाड़ी दाल के पकौड़े और पहाड़ी खाने की थाली आकर्षण का केंद्र रही. इसके अलावा उत्तराखंडी हस्तशिल्प के स्टॉल पर भी लोगों की भारी भीड़ देखी गई.

मेले में परोसा जा रहा टिहरी का राजशाही भोजन: स्टॉल लगाने वाले पंकज अग्रवाल ने कहा कि इस मेले में उन्होंने टिहरी का राजशाही भोजन देवलगढ़ कुजीन परोसा है. जिसमें पासाई और सर्द अचारी सब्जी के साथ मंडवे की रोटी पल्लर दाल के पकोड़े और मीठा भात आदि परोसा जाता है. जिसे देशी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि जो भोजन राजाओं के समय था, वह आम जनता को परोसा जाए. इसी के तहत राजा-महाराजों का भोजन कांसे की थाली में परोसा जा रहा है.

मेले में मशरूम बिरयानी और भांग की चटनी की धूम: पंकज अग्रवाल ने कहा कि उनका प्रयास है कि वह प्रदेश के पहाड़ी व्यंजनों और उत्पादों को देश के विभिन्न प्रदेशों में आयोजित होने वाले मेलों में प्रदर्शित करें, जिससे पहाड़ के व्यंजनों के साथ-साथ उत्पादों को लोग जानें और उनकी डिमांड बढ़े. उन्होंने बताया कि वो पिंडालू (अरबी) के कबाब, पतुंगे, कुलथ दाल, आलू जखिया पराठा, कुलथी पराठा, छोले रोटी, गुच्छी, मशरूम बिरयानी और भांग की चटनी सहित भंगजीर आदि से बनी चॉकलेट व कोदे के आटे की कॉफी समेत झंगोरे की खीर आदि परोस रहे हैं.

मसूरी लंढौर मेले में पहाड़ी खाने की धूम (video-ETV Bharat)

उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना मेले का उद्देश्य: मेले के आयोजक और ग्रीन लीफ संस्था के निदेशक विवेक वेणीवाल ने कहा कि छावनी क्षेत्र में लगने वाला लंढौर मेला दसवीं बार आयोजित किया जा रहा है, जिसमें आसपास के क्षेत्रों के पहाड़ी उत्पाद लाए जाते हैं और उन्हें मंच प्रदान किया जाता है. साथ ही बड़े ब्रांड के स्टॉल भी लगाए जाते हैं. मेले का उद्देश्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि यहां के किसानों को प्रोत्साहित करना है, जिससे मेले के माध्यम से उन्हें बाजार उपलब्ध हो सके.

आर्ट और खानपान आकर्षण का केंद्र: छावनी परिषद लंढौर की सीईओ अंकिता सिंह ने कहा कि लंढौर मेला हर साल बढ़ता जा रहा है. लोकल उत्पाद व पहाड़ी व्यंजन परोसे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो पहली बार मेले में शामिल हुई हैं. यहां पर पहाड़ के विभिन्न क्षेत्रों के उत्पाद, आर्ट और खानपान रखे गए हैं, जो आकर्षण का केंद्र हैं.

पर्यटक उत्तराखंड की सांस्कृति से हो रहे रूबरू: मसूरी व्यापार संघ के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि विगत वर्षाे में लंढौर मेला विश्व और देश के पैमाने पर प्रचारित हुआ है और अब मसूरी में जितना पर्यटक आता है वह लंढौर मेले में जरूर आता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मेलों से हमारी संस्कृति के साथ-साथ पहाड़ी खाने और पहाड़ी वस्त्रों को बढ़ावा मिलता है. साथ ही लंढौर मेले में पर्यटक उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू हो रहे हैं.

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