मंडी/कुल्लू: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के तहत पंजीकृत मजदूरों को दी जाने वाली सुविधाओं को बंद कर दिया गया है. इन सुविधाओं को बंद किए हुए एक वर्ष से भी अधिक का समय बीत गया है. इसके विरोध में सैंकड़ों मजदूरों ने मंडी शहर में सुक्खू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को जल्ज से जल्द पूरा करने को कहा.
बता दें कि मजदूर संघ अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलनरत हैं. हाल ही में पांच मजदूर संगठनों सीटू, इंटक, एटक, टीयूसीसी और श्रमिक कामगार संघ ने इन सुविधाओं की बहाली के लिए चलने वाले आंदोलन के लिए संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया है. आज इसी समिति के बैनर तले पांचों मजदूर संगठनों के पदाधिकारियों और मजदूरों ने मंडी शहर में एक रोष रैली निकाली और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
मजदूर संगठनों का कहना है कि मनरेगा या अन्य निर्माण कार्यों को करने वाले पंजीकृत मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की तरफ से विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायताएं प्राप्त होती थी, लेकिन सुख की सरकार के गठन के अगले दिन से ही इन सभी सुविधाओं को बंद कर दिया गया है. बार-बार सरकार के पास गुहार लगाने के बाद भी अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. यही कारण है कि अब इन सुविधाओं को बहाल करने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया है.
संयुक्त संघर्ष समिति के राज्य संयोजक भूपेंद्र सिंह ने कहा जिस सरकार को मजदूरों ने चुनकर भेजा है. आज वही सरकार मजदूर विरोधी बन गई है. मजदूरों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और पहले से मिलने वाली सुविधाओं को भी बंद किया जा रहा है. इन्होंने सुख की सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर अगले दो महीनों में मजदूरों को दी जाने वाली सुविधाओं को बहाल नहीं किया गया तो फिर प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा और कांग्रेस पार्टी को आगामी लोकसभा चुनावों में इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.
वहीं, कुल्लू में भी ट्रेड यूनियनों ने सुक्खू सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. यूनियन ने आरोप लगाया कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार आते ही श्रमिक कल्याण कल्याण बोर्ड में मनरेगा मजदूरों के हकों पर रोक लगा दी. जिससे मजदूरों पर इसका बुरा प्रभाव देखने को मिला है. इसी मुद्दे को लेकर हिमाचल में मनरेगा मजदूर सड़कों पर उतर आए हैं और ट्रेड यूनियन भी मजदूरों की लड़ाई को लड़ रही है.
जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में भी विभिन्न ट्रेड यूनियन ने मनरेगा मजदूरों के अधिकारों को लेकर धरना प्रदर्शन किया. सैकड़ों मजदूरों ने सरवरी से लेकर ढालपुर तक रैली निकाला और कांग्रेस सरकार से श्रमिक कल्याण बोर्ड में फिर से मनरेगा मजदूरों को दिए जाने वाले सभी हकों को बहाल किए जाने की मांग की.
ट्रेड यूनियन समन्वय समिति के संयोजक राजेश ठाकुर ने बताया कि 10 फरवरी तक हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिला ब्लॉक स्तर पर मनरेगा मजदूरों द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा. क्योंकि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही मनरेगा मजदूरों के हकों को रोक दिया. इसके अलावा ट्रेड यूनियन के पास अधिकार था कि वह किसी भी मजदूर का सत्यापन कर सकते थे, लेकिन सरकार द्वारा ट्रेड यूनियन से भी यह अधिकार छीन लिया गया, जो बिल्कुल भी सही नहीं है. श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से मनरेगा मजदूरों को कई लाभ दिए जाते थे, जिससे उनका जीवन सरल चलता था.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी मनरेगा के बजट में भारी कटौती की है. ऐसे में ट्रेड यूनियन प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार का विरोध करती है और मांग करती है कि मनरेगा के बजट में फिर से बढ़ोतरी की जाए. साथ ही मनरेगा मजदूरों को 200 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए.
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