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पीएम मोदी और कड़िया मुंडा की मुलाकातः दक्षिणी छोटानागपुर की राजनीति पर कितना असर! - POLITICS OF SOUTH CHOTANAGPUR

खूंटी में राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज है. इस बार जिले की दो सीटों पर प्रत्याशियों के बदलने के कयास भी लग रहे हैं. इसी बीच पीएम मोदी और कड़िया मुंडा की मुलाकात भी हुई है. इस मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं.

meeting of PM Modi and Karia Munda will have impact on politics of South Chotanagpur
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 16, 2024, 11:39 AM IST

Updated : Sep 16, 2024, 12:01 PM IST

खूंटीः आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व झारखंड में भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का दौरा बढ़ा है. पार्टी चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसी कड़ी में भाजपा के दिग्गज नेता कड़िया मुंडा ने कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की है. झारखंड की राजनीति के अलावा खूंटी लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों को लेकर आधे घंटे तक चर्चा हुई. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात से खूंटी और तोरपा विधानसभा में भारी उलटफेर हो सकते हैं.

पीएण के साथ मुलाकात पर बोले पूर्व सांसद कड़िया मुंडा (ईटीवी भारत)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कड़िया मुंडा के बीच हुए मुलाकात पर कड़िया मुंडा ने कहा कि दोनों बहुत पुराने नेता हैं. दिल्ली गए और प्रधानमंत्री से नहीं मिलना, यह भी ठीक नहीं था. इसलिए गए और उनसे मुलाकात हुई. आधे घंटे तक दोनों के बीच वार्ता हुई. कड़िया मुंडा ने कहा कि घरेलू वातावरण में बातचीत करते रहे, हंसी मजाक भी होता रहा. कुछ बातें राजनीति और समाज के बारे में भी हुई. उन्होंने कहा कि चुनाव के मुद्दा को लेकर वो नहीं गए थे, बल्कि दूसरे कार्यक्रम में दिल्ली गए और मुलाकात हुई. हालांकि कड़िया मुंडा की इस मुलाकात की जानकारी खूंटी में नही है, लेकिन कुछ जानकारों को मानना है कि यह मुलाकात खूंटी की राजनीति में भूचाल ला सकता है.

कड़िया मुंडा ने बेबाक अंदाज में कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के दक्षिणी छोटानागपुर इलाके के विधानसभा सीटों में नए चेहरों के आने की उम्मीद बढ़ी है. ऐसा स्थानीय कार्यकर्त्ता भी चाहते हैं और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी विभिन्न स्तरों से कराए गए चुनावी सर्वे के अनुसार उम्मीदवारों की सूची चौंकाने वाली हो सकती है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा के भीतरघात की राजनीति ने हार के अंतर को बढ़ा दिया है. चुनावी राजनीति का विश्लेषण करने वाले शीर्ष नेतृत्व बखूबी इस क्षेत्र की जमीनी सच्चाई से वाकिफ हैं. नए चेहरों को आगामी विधानसभा चुनाव में अवसर मिलने की प्रबल संभावना है. क्षेत्र की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत 2014 के लोकसभा चुनाव से ही शुरू हो गया था, लेकिन संगठन इसे नजरअंदाज करते हुए 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव गया और दो सीटें बचा पाई, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में हुए भीतरघात में कारण लोकसभा सीट डेढ़ लाख वोटों से हार गई, जिसे संगठन इस बार नजरअंदाज नहीं करेगा. यही कारण है कि नए चेहरों के साथ पूरे तेवर में पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

गौरतलब है कि विगत दिनों खूंटी और तोरपा में रायशुमारी हुई थी. रायशुमारी के दौरान खूंटी विधानसभा सीट के लिए विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा सबसे आगे थे, जबकि दूसरे स्थान पर कड़िया मुंडा के बड़े बेटे जगरनाथ मुंडा बताए जा रहे हैं. कड़िया के सुपुत्र जगरनाथ मुंडा के पास एलएलबी और पीजी की डिग्रियां हैं. इसके अलावा खूंटी सीट पर दावेदारी में राजन मुंडा, लक्ष्मी बाखला, बिनोद नाग का नाम भी चर्चा में है.

वहीं तोरपा विधानसभा सीट पर इस बार कोचे मुंडा को कार्यकर्ता पसंद नहीं कर रहे. चर्चा है कि इस बार कोचे मुंडा की जगह कोई और ले सकता है लेकिन कौन यह किसी को नहीं मालूम. रायशुमारी के बाद पार्टी एवं पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच नए चेहरे को लेकर चर्चा शुरू हुई है. बताया जा रहा है कि तोरपा में कोचे मुंडा के अलावा निखिल कंडुलना, अजित टोपनो, बिजेंद्र हेम्ब्रम पर चर्चा हुई. जिसमें कोचे और निखिल पर लोगों ने राय रखी.

क्रिश्चियन बहुल क्षेत्र से आने वाले भाजपा नेता निखिल कंडुलना 2022 में हुए जिला परिषद का चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इस चुनाव में निखिल को 5800 वोट मिले थे जबकि वीरेन कंडुलना 140 वोटों से जीत गए थे. खूंटी लोकसभा सीट पर हार और बीजेपी के गढ़ वाली खूंटी से 48 हजार और तोरपा से लगभग 40 हजार वोट के अंतर से लोकसभा चुनाव में पीछे रही थी. ऐसे में क्या भाजपा इन दोनों चेहरों को फिर से मौका देगी.

खूंटी में चर्चा ये है कि दोनों ही विधानसभा क्षेत्र के चहेते बदल सकते हैं. जिले में हो रही चर्चाओं के बीच कड़िया मुंडा का आकलन और उनका बयान खूंटी में क्या रंग लाता है देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि कड़िया मुंडा इस क्षेत्र से आठ बार सांसद रहे हैं और क्षेत्र के सभी छह विधानसभा के अलावा दक्षिणी छोटानागपुर इलाके में अच्छी पकड़ है. प्रधानमंत्री से मुलाकात और कड़िया के आकलन से कितना प्रभाव पड़ेगा, यह तो लिस्ट जारी होने के बाद ही क्लियर होगा.

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खूंटीः आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व झारखंड में भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का दौरा बढ़ा है. पार्टी चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसी कड़ी में भाजपा के दिग्गज नेता कड़िया मुंडा ने कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की है. झारखंड की राजनीति के अलावा खूंटी लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों को लेकर आधे घंटे तक चर्चा हुई. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात से खूंटी और तोरपा विधानसभा में भारी उलटफेर हो सकते हैं.

पीएण के साथ मुलाकात पर बोले पूर्व सांसद कड़िया मुंडा (ईटीवी भारत)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कड़िया मुंडा के बीच हुए मुलाकात पर कड़िया मुंडा ने कहा कि दोनों बहुत पुराने नेता हैं. दिल्ली गए और प्रधानमंत्री से नहीं मिलना, यह भी ठीक नहीं था. इसलिए गए और उनसे मुलाकात हुई. आधे घंटे तक दोनों के बीच वार्ता हुई. कड़िया मुंडा ने कहा कि घरेलू वातावरण में बातचीत करते रहे, हंसी मजाक भी होता रहा. कुछ बातें राजनीति और समाज के बारे में भी हुई. उन्होंने कहा कि चुनाव के मुद्दा को लेकर वो नहीं गए थे, बल्कि दूसरे कार्यक्रम में दिल्ली गए और मुलाकात हुई. हालांकि कड़िया मुंडा की इस मुलाकात की जानकारी खूंटी में नही है, लेकिन कुछ जानकारों को मानना है कि यह मुलाकात खूंटी की राजनीति में भूचाल ला सकता है.

कड़िया मुंडा ने बेबाक अंदाज में कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के दक्षिणी छोटानागपुर इलाके के विधानसभा सीटों में नए चेहरों के आने की उम्मीद बढ़ी है. ऐसा स्थानीय कार्यकर्त्ता भी चाहते हैं और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी विभिन्न स्तरों से कराए गए चुनावी सर्वे के अनुसार उम्मीदवारों की सूची चौंकाने वाली हो सकती है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा के भीतरघात की राजनीति ने हार के अंतर को बढ़ा दिया है. चुनावी राजनीति का विश्लेषण करने वाले शीर्ष नेतृत्व बखूबी इस क्षेत्र की जमीनी सच्चाई से वाकिफ हैं. नए चेहरों को आगामी विधानसभा चुनाव में अवसर मिलने की प्रबल संभावना है. क्षेत्र की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत 2014 के लोकसभा चुनाव से ही शुरू हो गया था, लेकिन संगठन इसे नजरअंदाज करते हुए 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव गया और दो सीटें बचा पाई, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में हुए भीतरघात में कारण लोकसभा सीट डेढ़ लाख वोटों से हार गई, जिसे संगठन इस बार नजरअंदाज नहीं करेगा. यही कारण है कि नए चेहरों के साथ पूरे तेवर में पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

गौरतलब है कि विगत दिनों खूंटी और तोरपा में रायशुमारी हुई थी. रायशुमारी के दौरान खूंटी विधानसभा सीट के लिए विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा सबसे आगे थे, जबकि दूसरे स्थान पर कड़िया मुंडा के बड़े बेटे जगरनाथ मुंडा बताए जा रहे हैं. कड़िया के सुपुत्र जगरनाथ मुंडा के पास एलएलबी और पीजी की डिग्रियां हैं. इसके अलावा खूंटी सीट पर दावेदारी में राजन मुंडा, लक्ष्मी बाखला, बिनोद नाग का नाम भी चर्चा में है.

वहीं तोरपा विधानसभा सीट पर इस बार कोचे मुंडा को कार्यकर्ता पसंद नहीं कर रहे. चर्चा है कि इस बार कोचे मुंडा की जगह कोई और ले सकता है लेकिन कौन यह किसी को नहीं मालूम. रायशुमारी के बाद पार्टी एवं पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच नए चेहरे को लेकर चर्चा शुरू हुई है. बताया जा रहा है कि तोरपा में कोचे मुंडा के अलावा निखिल कंडुलना, अजित टोपनो, बिजेंद्र हेम्ब्रम पर चर्चा हुई. जिसमें कोचे और निखिल पर लोगों ने राय रखी.

क्रिश्चियन बहुल क्षेत्र से आने वाले भाजपा नेता निखिल कंडुलना 2022 में हुए जिला परिषद का चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इस चुनाव में निखिल को 5800 वोट मिले थे जबकि वीरेन कंडुलना 140 वोटों से जीत गए थे. खूंटी लोकसभा सीट पर हार और बीजेपी के गढ़ वाली खूंटी से 48 हजार और तोरपा से लगभग 40 हजार वोट के अंतर से लोकसभा चुनाव में पीछे रही थी. ऐसे में क्या भाजपा इन दोनों चेहरों को फिर से मौका देगी.

खूंटी में चर्चा ये है कि दोनों ही विधानसभा क्षेत्र के चहेते बदल सकते हैं. जिले में हो रही चर्चाओं के बीच कड़िया मुंडा का आकलन और उनका बयान खूंटी में क्या रंग लाता है देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि कड़िया मुंडा इस क्षेत्र से आठ बार सांसद रहे हैं और क्षेत्र के सभी छह विधानसभा के अलावा दक्षिणी छोटानागपुर इलाके में अच्छी पकड़ है. प्रधानमंत्री से मुलाकात और कड़िया के आकलन से कितना प्रभाव पड़ेगा, यह तो लिस्ट जारी होने के बाद ही क्लियर होगा.

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Last Updated : Sep 16, 2024, 12:01 PM IST
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