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नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के बीच गृह सचिव और डीजीपी पहुंचे खूंटी, नशा मुक्त जिला बनाने की दिलाई शपथ - DESTROYING OPIUM IN KHUNTI

झारखंड को नशा मुक्त बनाने का लिये राज्य सरकार पूरी कोशिश में लगी है, इसको लेकर खूंटी में संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

Destroying opium in Khunti
झारखंड को नशा मुक्त बनाने का लिये खूंटी में कार्यक्रम (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 18, 2025, 7:33 PM IST

खूंटी: जिला समेत पूरे राज्य को नशा मुक्त करने की दिशा में राज्य सरकार गंभीर है. इस दिशा में अफीम को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए मुहिम को तेज कर दिया है. ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ-साथ अफीम की खेती करने वाले माफिया, किसान एवं जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजने तक की कार्रवाई की जा रही है.

इससे लोगों में भय बढ़ा है और नशे की इस अवैध खेती को जड़ से उखाड़ फेंकने में अब वे पुलिस की मदद करने खुद सामने आने लगे हैं. पुलिस भी उन्हें भरपूर सहयोग कर रही है. इस विनष्टीकरण अभियान के बीच राज्य के डीजीपी एवं गृह सचिव रांची के बुंडू में हाई प्रोफाइल मीटिंग कर चुके हैं और सख्त दिशा निर्देश दिये जा चुके हैं.

नशे से मुक्ति के इस अभियान को लेकर शनिवार को नगर भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत प्रतिनिधि और ग्राम प्रधानों सहित जिला स्तरीय जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पुलिस के इस अभियान को जनप्रतिनिधियों ने सराहा और कंधे से कंधा मिलाकर अफीम को विनष्ट करने का संकल्प लिया. साथ ही गृह सचिव की अगुवाई में दोबारा अफीम की खेती को नहीं करने की शपथ दिलाई गई.

वहीं डीजीपी ने कार्यक्रम में पहुंचे जनप्रतिनिधियों को अफीम से होने वाले दुष्प्रभाव तथा एनडीपीएस एक्ट से संबंधित कानूनी जानकारियां दीं. उन्होंने अफीम की खेती के पारिवारिक दुष्प्रभाव और गांव समाज के दुष्प्रभाव को वृहत स्तर पर परिभाषित किया. साथ ही कहा कि अब अफीम की खेती ग्रामीण स्वयं नष्ट नहीं करेंगे तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी और जेल भेजने का भी काम करेगी.

खूंटी, नक्सल मुक्त जिला बनने की दिशा के अंतिम चरण में है और अब अवैध अफीम की खेती से मुक्त जिला बनाने में सभी सहभागिता की जरूरत है. कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने संबोधित करते हुए कहा कि अफीम की खेती को छोड़कर वैकल्पिक खेती पर ध्यान दें. राज्य सरकार सब्सिडी पर कृषि कार्यों के लिए किसानों को सहायता देती है. पशुपालन, मत्स्य पालन समेत विभिन्न उन्नत तकनीकों से कृषि कार्यों को बढ़ाया जा सकता है. 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को ड्रिप सिंचाई उपलब्ध कराई जाती है.

उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे गांव स्तर पर ग्रामीणों से अफीम की खेती को नष्ट करने को कहें, साथ ही कहा कि आने वाले दिनों में एनडीपीएस के साथ-साथ वनवाद भी दायर होगा.

गृह सचिव वंदना दादेल ने कहा कि जीरो टॉलरेंस के तहत अब अफीम उगाने वालों पर कार्रवाई होगी. जो व्यक्ति गलत कार्यों से मुड़कर सही खेती करने की ओर आगे बढ़ेगा तो राज्य सरकार उसको सहयोग करेगी.

खूंटी जिला को अफीम मुक्त जिला बनाने के लिए ग्रामप्रधान, पंचायत प्रतिनिधि, मुखिया तथा जिला परिषद स्तर से प्रयास करना होगा. अफीम की अवैध खेती की जगह वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देना होगा. कई एनजीओ कृषि कार्य के लिए सहयोग और प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि एक नई सोच के साथ नई शुरुआत करने की जरूरत है. मौके पर डीजीपी अनुराग गुप्ता, गृह सचिव वंदना दादेल, कृषि सचिव अबुबकर सिद्दीकी, आईजी अखिलेश झा, डीसी लोकेश मिश्रा, एसपी अमन कुमार, डीएफओ दिलीप कुमार तथा जिले के सभी सीओ बीडीओ समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.

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इससे लोगों में भय बढ़ा है और नशे की इस अवैध खेती को जड़ से उखाड़ फेंकने में अब वे पुलिस की मदद करने खुद सामने आने लगे हैं. पुलिस भी उन्हें भरपूर सहयोग कर रही है. इस विनष्टीकरण अभियान के बीच राज्य के डीजीपी एवं गृह सचिव रांची के बुंडू में हाई प्रोफाइल मीटिंग कर चुके हैं और सख्त दिशा निर्देश दिये जा चुके हैं.

नशे से मुक्ति के इस अभियान को लेकर शनिवार को नगर भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत प्रतिनिधि और ग्राम प्रधानों सहित जिला स्तरीय जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पुलिस के इस अभियान को जनप्रतिनिधियों ने सराहा और कंधे से कंधा मिलाकर अफीम को विनष्ट करने का संकल्प लिया. साथ ही गृह सचिव की अगुवाई में दोबारा अफीम की खेती को नहीं करने की शपथ दिलाई गई.

वहीं डीजीपी ने कार्यक्रम में पहुंचे जनप्रतिनिधियों को अफीम से होने वाले दुष्प्रभाव तथा एनडीपीएस एक्ट से संबंधित कानूनी जानकारियां दीं. उन्होंने अफीम की खेती के पारिवारिक दुष्प्रभाव और गांव समाज के दुष्प्रभाव को वृहत स्तर पर परिभाषित किया. साथ ही कहा कि अब अफीम की खेती ग्रामीण स्वयं नष्ट नहीं करेंगे तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी और जेल भेजने का भी काम करेगी.

खूंटी, नक्सल मुक्त जिला बनने की दिशा के अंतिम चरण में है और अब अवैध अफीम की खेती से मुक्त जिला बनाने में सभी सहभागिता की जरूरत है. कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने संबोधित करते हुए कहा कि अफीम की खेती को छोड़कर वैकल्पिक खेती पर ध्यान दें. राज्य सरकार सब्सिडी पर कृषि कार्यों के लिए किसानों को सहायता देती है. पशुपालन, मत्स्य पालन समेत विभिन्न उन्नत तकनीकों से कृषि कार्यों को बढ़ाया जा सकता है. 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को ड्रिप सिंचाई उपलब्ध कराई जाती है.

उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे गांव स्तर पर ग्रामीणों से अफीम की खेती को नष्ट करने को कहें, साथ ही कहा कि आने वाले दिनों में एनडीपीएस के साथ-साथ वनवाद भी दायर होगा.

गृह सचिव वंदना दादेल ने कहा कि जीरो टॉलरेंस के तहत अब अफीम उगाने वालों पर कार्रवाई होगी. जो व्यक्ति गलत कार्यों से मुड़कर सही खेती करने की ओर आगे बढ़ेगा तो राज्य सरकार उसको सहयोग करेगी.

खूंटी जिला को अफीम मुक्त जिला बनाने के लिए ग्रामप्रधान, पंचायत प्रतिनिधि, मुखिया तथा जिला परिषद स्तर से प्रयास करना होगा. अफीम की अवैध खेती की जगह वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देना होगा. कई एनजीओ कृषि कार्य के लिए सहयोग और प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि एक नई सोच के साथ नई शुरुआत करने की जरूरत है. मौके पर डीजीपी अनुराग गुप्ता, गृह सचिव वंदना दादेल, कृषि सचिव अबुबकर सिद्दीकी, आईजी अखिलेश झा, डीसी लोकेश मिश्रा, एसपी अमन कुमार, डीएफओ दिलीप कुमार तथा जिले के सभी सीओ बीडीओ समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.

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