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यूपी के 13 मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई का रास्ता साफ, जानिए क्या आ रही थी बाधा - medical education in UP

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 9:49 AM IST

उत्तर प्रदेश के मेडिकल काॅलेजों में शैक्षिक सत्र 2024-25 से पठन पाठन (Medical Education in UP) का रास्ता साफ हो गया है. ऐसा योगी सरकार की पहल के बाद संभव हो सका है.

यूपी के डाॅक्टर.
यूपी के डाॅक्टर. (Photo Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : यूपी सरकार ने एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज के संकल्प के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. शैक्षिक सत्र 2024-25 से प्रदेश के 13 जनपदों में नए मेडिकल कॉलेज में पठन- पाठन प्रारंभ हो सके, इसके लिए सरकार सभी संभव विकल्पों को अपना रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से वार्ता करते हुए इन मेडिकल कॉलेजों में 2024-25 के शैक्षिक सत्र को चलाने के लिए वर्ष 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर कराए जाने की सिफारिश की है.



सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने 13 नए मेडिकल कॉलेजों की परिकल्पना एनएमसी के 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर की थी. इन्हीं के आधार पर वर्ष 2023 में एनएमसी से एलओपी मांगी गई थी, जिससे वर्ष 2024-25 में शैक्षिक सत्र प्रारम्भ हो सके. इस बीच एनएमसी द्वारा वर्ष 2023 में एमबीबीएस कोर्स के लिए नए मानक निर्धारित कर दिए गए. इस पर योगी सरकार ने उसी समय एनएमसी को पत्र लिखकर इन 13 नए मेडिकल कालेजों में पुराने मानकों के आधार पर निरीक्षण कराने का आग्रह किया था. न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि, कई अन्य राज्यों एवं निजी मेडिकल कालेजों द्वारा भी एनएमसी से वर्ष 2023 में निर्धारित मानकों को स्थगित करने के लिए अनुरोध किया गया था क्योंकि नए मानकों में चिकित्सा शिक्षकों और अवस्थापना के मानक वर्ष 2020 के निर्धारित मानकों से कहीं अधिक हैं.


सूत्र बताते हैं कि विभिन्न स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा चिकित्सा शिक्षकों के पदों को भरने के लिए पूरी कोशिश की गई. राज्य सरकार द्वारा संविदा पर चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार स्थानीय स्तर पर प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में गठित कमेटी को दिया गया और नियमित चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 4 कमेटियां गठित की गईं. एनएमसी के 2 मई 2024 के नोटिस के समय प्रदेश में लोकसभा चुनाव के कहते आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू थी. आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के तुरन्त बाद फिर चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करके आवेदन मांगे गए और वर्तमान में चयन की कार्यवाही चल रही है. हालांकि इतने कम समय में इतने कड़े मानकों को पूर्ण किए जाने में समस्या है.



बता दें, वर्ष 2020 के एनएमसी के पुराने मानकों में 50 चिकित्सा शिक्षकों की आवश्यकता है. वर्ष 2023 के एनएमसी के मानकों में 86 चिकित्सा शिक्षकों की जरूरत है. इसी प्रकार से वर्ष 2020 के एनएमसी के पुराने मानकों में 24 सीनियर रेजीडेंट की आवश्यकता है. वहीं वर्ष 2023 के के मानकों में 40 सीनियर रेजीडेंट की जरूरत है. इसी तरह पुराने मानकों में प्रोफेसर के 6 पद खाली हैं. वहीं वर्ष 2023 के नए मानकों में 17 प्रोफेसरों की आवश्यकता है.


यह भी पढ़ें : यूपी के 10 चिकित्साधिकारियों को मिली नई तैनाती, जानिए कौन-कौन हैं?

यह भी पढ़ें : सिविल अस्पताल के कार्डियक यूनिट में सुपर स्पेशलिस्ट की होगी तैनाती, स्थापित होगी कैथ लैब

लखनऊ : यूपी सरकार ने एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज के संकल्प के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. शैक्षिक सत्र 2024-25 से प्रदेश के 13 जनपदों में नए मेडिकल कॉलेज में पठन- पाठन प्रारंभ हो सके, इसके लिए सरकार सभी संभव विकल्पों को अपना रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से वार्ता करते हुए इन मेडिकल कॉलेजों में 2024-25 के शैक्षिक सत्र को चलाने के लिए वर्ष 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर कराए जाने की सिफारिश की है.



सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने 13 नए मेडिकल कॉलेजों की परिकल्पना एनएमसी के 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर की थी. इन्हीं के आधार पर वर्ष 2023 में एनएमसी से एलओपी मांगी गई थी, जिससे वर्ष 2024-25 में शैक्षिक सत्र प्रारम्भ हो सके. इस बीच एनएमसी द्वारा वर्ष 2023 में एमबीबीएस कोर्स के लिए नए मानक निर्धारित कर दिए गए. इस पर योगी सरकार ने उसी समय एनएमसी को पत्र लिखकर इन 13 नए मेडिकल कालेजों में पुराने मानकों के आधार पर निरीक्षण कराने का आग्रह किया था. न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि, कई अन्य राज्यों एवं निजी मेडिकल कालेजों द्वारा भी एनएमसी से वर्ष 2023 में निर्धारित मानकों को स्थगित करने के लिए अनुरोध किया गया था क्योंकि नए मानकों में चिकित्सा शिक्षकों और अवस्थापना के मानक वर्ष 2020 के निर्धारित मानकों से कहीं अधिक हैं.


सूत्र बताते हैं कि विभिन्न स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा चिकित्सा शिक्षकों के पदों को भरने के लिए पूरी कोशिश की गई. राज्य सरकार द्वारा संविदा पर चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार स्थानीय स्तर पर प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में गठित कमेटी को दिया गया और नियमित चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 4 कमेटियां गठित की गईं. एनएमसी के 2 मई 2024 के नोटिस के समय प्रदेश में लोकसभा चुनाव के कहते आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू थी. आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के तुरन्त बाद फिर चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करके आवेदन मांगे गए और वर्तमान में चयन की कार्यवाही चल रही है. हालांकि इतने कम समय में इतने कड़े मानकों को पूर्ण किए जाने में समस्या है.



बता दें, वर्ष 2020 के एनएमसी के पुराने मानकों में 50 चिकित्सा शिक्षकों की आवश्यकता है. वर्ष 2023 के एनएमसी के मानकों में 86 चिकित्सा शिक्षकों की जरूरत है. इसी प्रकार से वर्ष 2020 के एनएमसी के पुराने मानकों में 24 सीनियर रेजीडेंट की आवश्यकता है. वहीं वर्ष 2023 के के मानकों में 40 सीनियर रेजीडेंट की जरूरत है. इसी तरह पुराने मानकों में प्रोफेसर के 6 पद खाली हैं. वहीं वर्ष 2023 के नए मानकों में 17 प्रोफेसरों की आवश्यकता है.


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