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बिहार में अब MBBS हिंदी में, जानिए- एक्सपर्ट्स की राय और संभावित चुनौतियां - MBBS study in Hindi

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 3, 2024, 9:55 PM IST

Bihar Government बिहार में आगामी शैक्षणिक सत्र में MBBS की पढ़ाई अब हिंदी मीडियम में भी होगी. जो छात्र हिंदी मीडियम से एमबीबीएस करना चाहते हैं वह हिंदी मीडियम से पढ़ाई करेंगे अन्यथा पूर्व के अनुरूप इंग्लिश मीडियम से भी वह पढ़ाई कर सकते हैं. ऐसे में चिकित्सा जगत से जुड़े लोग प्रश्न खड़े कर रहे हैं कि सरकार इसे लागू करने से पहले पूरी तैयारी नहीं की है. पढ़ें, विस्तार से.

हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई
हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई. (ETV Bharat)

पटना: बिहार सरकार ने हिंदी मीडियम से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया है. लेकिन धरातल पर इसे लागू करने में कई समस्याएं आएंगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में कन्वीनर का पद संभाल रहे वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अजय कुमार ने कहा कि चिकित्सा जगत से जुड़े शिक्षकों को अभी हिंदी मीडियम में पढ़ाने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है. मेडिकल में पहले से कई ऐसे टेक्निकल टर्म है जिसका हिंदी अनुवाद लोगों को नहीं पता है.

डॉक्टर अजय कुमार.
डॉक्टर अजय कुमार. (ETV Bharat)

अंग्रेजी में होते हैं रिसर्चः डॉ अजय ने बताया कि साइंस के फील्ड में जो रिसर्च हैं, अधिकांश अंग्रेजी में ही है. दुनिया भी अंग्रेजी को ही रिसर्च में प्राथमिकता देती है. चीन और रूस जैसे देशों में वहां की भाषा में मेडिकल की पढ़ाई होती है. लेकिन इन दोनों देशों का मेडिकल फील्ड में दुनिया भर में छवि कोई बेहतर नहीं है. मेडिकल फील्ड में उन्हीं की छवि बेहतर है और लोगों का विश्वास अधिक है, जहां अंग्रेजी में मेडिकल की पढ़ाई है. एमबीबीएस हिंदी में शुरू किया जा रहा है, इससे हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में ही कई जगहों पर दिक्कत हो सकती है.

दक्षिण भारत में जॉब ढूंढने में होगी परेशानी: डॉ अजय कुमार ने बताया कि हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को दक्षिण भारतीय राज्यों में काम करने और काम मिलने में कठिनाई हो सकती है. इसके अलावा यदि उच्च शिक्षा चाहते हैं तो अभी भी मेडिकल फील्ड में उच्च शिक्षा अंग्रेजी में ही है और दुनिया भी अंग्रेजी में ही उच्च शिक्षा मेडिकल में चला रही है. उन्होंने बताया कि हिंदी मीडियम में नीट परीक्षा भी होती है तो बहुत कम छात्र ही हिंदी में उत्तर करना पसंद करते हैं.

इंजरी रिपोर्ट कैसे होगी तैयारः डॉ अजय कुमार ने कहा कि सरकार ने हिंदी में इसे लागू किया है लेकिन अब पाठ्यक्रम को देखना होगा कि पाठ्यक्रम में अंग्रेजी के कितने शब्दों का प्रयोग है. किस प्रकार पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. पहले बच्चों को पढ़ने वाले शिक्षकों को इसके लिए ट्रेनिंग देनी होगी और जब शिक्षक ट्रेनिंग के बाद कॉन्फिडेंट हो जाए उसके बाद ही हिंदी में एमबीबीएस कोर्स उचित है. हिंदी मीडियम से एमबीबीएस करने के बाद इंजरी रिपोर्ट कैसे लिखी जाएगी इसको लेकर भी विशेषज्ञों को ध्यान देना होगा.

इसे भी पढ़ें- देश में एमबीबीएस सीटों की उपलब्धता मांग से काफी कम, सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत : संसदीय समिति

इसे भी पढ़ें- MBBS छात्रों से SC ने किए सवाल, पूछा- क्या राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं? - sc Questions Medical students

पटना: बिहार सरकार ने हिंदी मीडियम से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया है. लेकिन धरातल पर इसे लागू करने में कई समस्याएं आएंगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में कन्वीनर का पद संभाल रहे वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अजय कुमार ने कहा कि चिकित्सा जगत से जुड़े शिक्षकों को अभी हिंदी मीडियम में पढ़ाने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है. मेडिकल में पहले से कई ऐसे टेक्निकल टर्म है जिसका हिंदी अनुवाद लोगों को नहीं पता है.

डॉक्टर अजय कुमार.
डॉक्टर अजय कुमार. (ETV Bharat)

अंग्रेजी में होते हैं रिसर्चः डॉ अजय ने बताया कि साइंस के फील्ड में जो रिसर्च हैं, अधिकांश अंग्रेजी में ही है. दुनिया भी अंग्रेजी को ही रिसर्च में प्राथमिकता देती है. चीन और रूस जैसे देशों में वहां की भाषा में मेडिकल की पढ़ाई होती है. लेकिन इन दोनों देशों का मेडिकल फील्ड में दुनिया भर में छवि कोई बेहतर नहीं है. मेडिकल फील्ड में उन्हीं की छवि बेहतर है और लोगों का विश्वास अधिक है, जहां अंग्रेजी में मेडिकल की पढ़ाई है. एमबीबीएस हिंदी में शुरू किया जा रहा है, इससे हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में ही कई जगहों पर दिक्कत हो सकती है.

दक्षिण भारत में जॉब ढूंढने में होगी परेशानी: डॉ अजय कुमार ने बताया कि हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को दक्षिण भारतीय राज्यों में काम करने और काम मिलने में कठिनाई हो सकती है. इसके अलावा यदि उच्च शिक्षा चाहते हैं तो अभी भी मेडिकल फील्ड में उच्च शिक्षा अंग्रेजी में ही है और दुनिया भी अंग्रेजी में ही उच्च शिक्षा मेडिकल में चला रही है. उन्होंने बताया कि हिंदी मीडियम में नीट परीक्षा भी होती है तो बहुत कम छात्र ही हिंदी में उत्तर करना पसंद करते हैं.

इंजरी रिपोर्ट कैसे होगी तैयारः डॉ अजय कुमार ने कहा कि सरकार ने हिंदी में इसे लागू किया है लेकिन अब पाठ्यक्रम को देखना होगा कि पाठ्यक्रम में अंग्रेजी के कितने शब्दों का प्रयोग है. किस प्रकार पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. पहले बच्चों को पढ़ने वाले शिक्षकों को इसके लिए ट्रेनिंग देनी होगी और जब शिक्षक ट्रेनिंग के बाद कॉन्फिडेंट हो जाए उसके बाद ही हिंदी में एमबीबीएस कोर्स उचित है. हिंदी मीडियम से एमबीबीएस करने के बाद इंजरी रिपोर्ट कैसे लिखी जाएगी इसको लेकर भी विशेषज्ञों को ध्यान देना होगा.

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