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प्राथमिक शिक्षा में स्वच्छता का पाठ जोड़ने के लिए महापौर ने की शिक्षा मंत्री से मुलाकात, कही ये बड़ी बात - Mayor Soumya Gurjar Appeal

Mayor Soumya Gurjar Appeal, ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने मंगलवार को राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने शिक्षा मंत्री से स्कूली छात्रों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाए जाने की अपील की.

Mayor Soumya Gurjar Appeal
महापौर ने की शिक्षा मंत्री से मुलाकात (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 12, 2024, 9:27 AM IST

महापौर की शिक्षा मंत्री से अपली (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर. स्कूली छात्रों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने मंगलवार को राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मुलाकात की. महापौर ने शिक्षा मंत्री से कक्षा 1 से 5 तक यानी प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता का एक अध्याय शामिल करने का आग्रह किया. हालांकि, स्कूलों में एनसीईआरटी का कोर्स पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में महापौर ने स्कूल समय में ही स्वच्छता का एक कालांश जोड़ने का सुझाव दिया. ताकि, बच्चे बचपन से ही स्वच्छता को अपने जीवन में उतार सकें.

राजस्थान में स्कूली छात्रों को स्वच्छता का पाठ्यक्रम प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने को लेकर महापौर ने शिक्षा मंत्री से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि स्वच्छता का पाठ यदि बचपन में ही पढ़ लिया जाए तो स्वच्छता आदत और व्यवहार में शामिल हो जाती है. जिसके माध्यम से अपने शहर, गांव, प्रदेश और देश को स्वच्छ बनाए रखा जा सकता है. इसलिए अब छात्रों को स्वच्छता क्या होती है, स्वच्छता के क्या प्रकार होते हैं, स्वच्छता कैसे रखी जाती है, उसके लिए क्या प्रयत्न किए जाते हैं, ये सीख बचपन में ही स्कूली कक्षाओं में देने के लिए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मुलाकात की. उन्हें ज्ञापन देते हुए स्वच्छता को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की अपील की है. साथ ही उन्हें स्वच्छता का कालांश शुरू करने का सुझाव भी दिया है.

इसे भी पढ़ें - ग्रेटर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर को मिला गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, ये रही वजह - Jaipur Greater Nagar Nigam

उन्होंने बताया कि बीते दिनों वर्ल्ड सिटी समित 2024 में शामिल होने के लिए सिंगापुर जाना हुआ. वहां की स्वच्छता देखकर जब स्थानीय लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि यहां स्कूल में ही छात्रों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाता है. और वहां स्वच्छता की सीख एक जन्म घुट्टी के रूप में दे दी जाती है. जिसकी वजह से स्वच्छता इतनी आत्मसात हो जाती है कि वो सोचते भी नहीं है कि कचरे को कभी बाहर फेंके. ऐसे में जब राजस्थान में भी बच्चे स्वच्छता को आत्मसात करेंगे, तो वो अपने बड़ों को भी टोकेंगे जिसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.

महापौर ने शिक्षा मंत्री को दिए ज्ञापन में स्कूली पाठ्यक्रम में छात्रों को स्वच्छ क्षेत्र और अस्वच्छ क्षेत्र में अंतर, कचरे के प्रकार, कचरा कहां डाला जाए, कचरे को नहीं जलाने जैसे बेसिक कॉन्सेप्ट्स को चित्रों के माध्यम से पढ़ाना और कक्षा के स्तर के अनुसार स्वच्छता के कॉम्पोनेंट्स को शामिल करने को लेकर सुझाव दिया गया है.

महापौर की शिक्षा मंत्री से अपली (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर. स्कूली छात्रों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने मंगलवार को राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मुलाकात की. महापौर ने शिक्षा मंत्री से कक्षा 1 से 5 तक यानी प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता का एक अध्याय शामिल करने का आग्रह किया. हालांकि, स्कूलों में एनसीईआरटी का कोर्स पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में महापौर ने स्कूल समय में ही स्वच्छता का एक कालांश जोड़ने का सुझाव दिया. ताकि, बच्चे बचपन से ही स्वच्छता को अपने जीवन में उतार सकें.

राजस्थान में स्कूली छात्रों को स्वच्छता का पाठ्यक्रम प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने को लेकर महापौर ने शिक्षा मंत्री से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि स्वच्छता का पाठ यदि बचपन में ही पढ़ लिया जाए तो स्वच्छता आदत और व्यवहार में शामिल हो जाती है. जिसके माध्यम से अपने शहर, गांव, प्रदेश और देश को स्वच्छ बनाए रखा जा सकता है. इसलिए अब छात्रों को स्वच्छता क्या होती है, स्वच्छता के क्या प्रकार होते हैं, स्वच्छता कैसे रखी जाती है, उसके लिए क्या प्रयत्न किए जाते हैं, ये सीख बचपन में ही स्कूली कक्षाओं में देने के लिए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मुलाकात की. उन्हें ज्ञापन देते हुए स्वच्छता को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की अपील की है. साथ ही उन्हें स्वच्छता का कालांश शुरू करने का सुझाव भी दिया है.

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उन्होंने बताया कि बीते दिनों वर्ल्ड सिटी समित 2024 में शामिल होने के लिए सिंगापुर जाना हुआ. वहां की स्वच्छता देखकर जब स्थानीय लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि यहां स्कूल में ही छात्रों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाता है. और वहां स्वच्छता की सीख एक जन्म घुट्टी के रूप में दे दी जाती है. जिसकी वजह से स्वच्छता इतनी आत्मसात हो जाती है कि वो सोचते भी नहीं है कि कचरे को कभी बाहर फेंके. ऐसे में जब राजस्थान में भी बच्चे स्वच्छता को आत्मसात करेंगे, तो वो अपने बड़ों को भी टोकेंगे जिसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.

महापौर ने शिक्षा मंत्री को दिए ज्ञापन में स्कूली पाठ्यक्रम में छात्रों को स्वच्छ क्षेत्र और अस्वच्छ क्षेत्र में अंतर, कचरे के प्रकार, कचरा कहां डाला जाए, कचरे को नहीं जलाने जैसे बेसिक कॉन्सेप्ट्स को चित्रों के माध्यम से पढ़ाना और कक्षा के स्तर के अनुसार स्वच्छता के कॉम्पोनेंट्स को शामिल करने को लेकर सुझाव दिया गया है.

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