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सपा नेता के भाई की दावत में बसपाइयों की एंट्री पर मायावती बोलीं, वलीमा में जाने से किसी को नहीं रोका, गलत तरीके से किया जा रहा प्रचार - BSP SUPREMO MAYAWATI

UP Politics: बसपा सुप्रीमो मायावती ने नेताओं को पार्टी से बाहर किए जाने के मामले पर अपनी सफाई दी है.

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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 11:41 AM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती अपने सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं. चाहे फिर उत्तर प्रदेश में साल 2007 से 2012 तक रही उनकी सरकार का शासन काल हो या फिर पार्टी के अंदर नेताओं को लेकर कोई शिकायत होने पर की गई सख्त कार्रवाई. बीएसपी सुप्रीमो ने हमेशा अनुशासन को तरजीह दी.

हाल ही में बसपा मुखिया की तरफ से अपने पुराने नेताओं पर की गई कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा नेता के बेटे की शादी में अपनी पार्टी के नेताओं को जाने से रोकना और फिर भी नेताओं के पार्टी में जाने पर मायावती का एक्शन लेना. हालांकि, अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने नेताओं को पार्टी से बाहर किए जाने के मामले पर अपनी सफाई दी है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कार्रवाई पर सफाई दी है. उन्होंने पोस्ट किया है कि पार्टी के पूर्व सांसद मुनकाद अली के लड़के की शादी में पार्टी के लोगों को इसलिए रोका गया, क्योंकि इनकी लड़की मीरापुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में सपा के टिकट पर मैदान में थीं.

उनके खिलाफ बहुजन समाज पार्टी भी यह उपचुनाव लड़ रही थी. ऐसे में शादी में दोनों पार्टियों के लोगों के आपस में टकराने की आम चर्चा थी. उससे बचने के लिए पार्टी को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा, लेकिन इसे दूसरे तरीके से प्रचारित किया जा रहा है, यह ठीक नहीं है.

बीएसपी मुखिया ने ये भी लिखा कि इसी प्रकार रामपुर जिले के पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुरेन्द्र सागर व इसके बाद पार्टी अध्यक्ष प्रमोद कुमार का इनसे आपसी झगड़ा चरम पर था, जिससे पार्टी के काम बाधित हो रहे थे, तब फिर दोनों को एक साथ निकाला गया, जिसका शादी-विवाह का कोई सम्बन्ध नहीं.

बीएसपी अध्यक्ष ने कहा कि कौन किस पार्टी के लोगों के साथ अपना रिश्ता बना रहा है, उसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. लोग स्वतंत्र हैं. जहां चाहे वहां रिश्ता करें. यह सब उनकी सोच पर निर्भर करता है, लेकिन ऐसे लोगों से जरूर सर्तक रहें, जो इसका भी गलत प्रचार कर रहे हैं.

बता दें कि मुनकाद अली की बेटी सुंबुल राणा सपा के टिकट पर मीरापुर से उपचुनाव लड़ी थीं और दावत में शामिल होने यह नेता चले गए थे. अपनी ही पार्टी के प्रभारी नेता के बेटे की दावत में जाना भी उन पर भारी पड़ जाएगा ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं होगा, लेकिन बसपा सुप्रीमो ने अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

बसपा प्रभारी मुनकाद अली और पूर्व सांसद कादिर राणा आपस में समधी हैं. सुंबुल राणा कादिर राणा की बहू हैं. मुनकाद अली के बेटे के वलीमे के कार्ड पर कादिर राणा का भी नाम छप गया था. यह कार्ड सभी बसपा नेताओं को भेजे गए थे.

ये भी पढ़ेंः सपा प्रत्याशी के भाई का दावत-ए-वलीमा खाना बसपाईयों को पड़ा महंगा, बहनजी ने दिखाया तीनों को पार्टी से बाहर का रास्ता

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती अपने सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं. चाहे फिर उत्तर प्रदेश में साल 2007 से 2012 तक रही उनकी सरकार का शासन काल हो या फिर पार्टी के अंदर नेताओं को लेकर कोई शिकायत होने पर की गई सख्त कार्रवाई. बीएसपी सुप्रीमो ने हमेशा अनुशासन को तरजीह दी.

हाल ही में बसपा मुखिया की तरफ से अपने पुराने नेताओं पर की गई कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा नेता के बेटे की शादी में अपनी पार्टी के नेताओं को जाने से रोकना और फिर भी नेताओं के पार्टी में जाने पर मायावती का एक्शन लेना. हालांकि, अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने नेताओं को पार्टी से बाहर किए जाने के मामले पर अपनी सफाई दी है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कार्रवाई पर सफाई दी है. उन्होंने पोस्ट किया है कि पार्टी के पूर्व सांसद मुनकाद अली के लड़के की शादी में पार्टी के लोगों को इसलिए रोका गया, क्योंकि इनकी लड़की मीरापुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में सपा के टिकट पर मैदान में थीं.

उनके खिलाफ बहुजन समाज पार्टी भी यह उपचुनाव लड़ रही थी. ऐसे में शादी में दोनों पार्टियों के लोगों के आपस में टकराने की आम चर्चा थी. उससे बचने के लिए पार्टी को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा, लेकिन इसे दूसरे तरीके से प्रचारित किया जा रहा है, यह ठीक नहीं है.

बीएसपी मुखिया ने ये भी लिखा कि इसी प्रकार रामपुर जिले के पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुरेन्द्र सागर व इसके बाद पार्टी अध्यक्ष प्रमोद कुमार का इनसे आपसी झगड़ा चरम पर था, जिससे पार्टी के काम बाधित हो रहे थे, तब फिर दोनों को एक साथ निकाला गया, जिसका शादी-विवाह का कोई सम्बन्ध नहीं.

बीएसपी अध्यक्ष ने कहा कि कौन किस पार्टी के लोगों के साथ अपना रिश्ता बना रहा है, उसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. लोग स्वतंत्र हैं. जहां चाहे वहां रिश्ता करें. यह सब उनकी सोच पर निर्भर करता है, लेकिन ऐसे लोगों से जरूर सर्तक रहें, जो इसका भी गलत प्रचार कर रहे हैं.

बता दें कि मुनकाद अली की बेटी सुंबुल राणा सपा के टिकट पर मीरापुर से उपचुनाव लड़ी थीं और दावत में शामिल होने यह नेता चले गए थे. अपनी ही पार्टी के प्रभारी नेता के बेटे की दावत में जाना भी उन पर भारी पड़ जाएगा ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं होगा, लेकिन बसपा सुप्रीमो ने अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

बसपा प्रभारी मुनकाद अली और पूर्व सांसद कादिर राणा आपस में समधी हैं. सुंबुल राणा कादिर राणा की बहू हैं. मुनकाद अली के बेटे के वलीमे के कार्ड पर कादिर राणा का भी नाम छप गया था. यह कार्ड सभी बसपा नेताओं को भेजे गए थे.

ये भी पढ़ेंः सपा प्रत्याशी के भाई का दावत-ए-वलीमा खाना बसपाईयों को पड़ा महंगा, बहनजी ने दिखाया तीनों को पार्टी से बाहर का रास्ता

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