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आकाश पर एक्शन से दिखा मायावती का वो सख्त तेवर; नेता, माफिया या बड़ा अफसर, जरा सी चूक पर किसी को नहीं बख्शा - Mayawati Action Against Akash Anand - MAYAWATI ACTION AGAINST AKASH ANAND

मायावती शुरू से ही अपने सख्त तेवर के लिए जानी जाती हैं. इसके कई उदाहरण हैं. यही तेवर अब भतीजे आकाश आनंद पर भी मायावती ने दिखाए हैं. आईए जानते हैं 'आकाश' के जमीन पर आने की क्या है कहानी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 10, 2024, 6:07 AM IST

Updated : May 10, 2024, 8:26 AM IST

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती शुरू से ही अपने सख्त तेवर और कड़े फैसलों के लिए जानी जाती हैं. इसके कई उदाहरण हैं. जब वह मुख्यमंत्री रहीं तो प्रशासनिक अधिकारियों पर लगातार कार्रवाई करती रहीं. कई बड़े माफियाओं को भी उन्होंने सलाखों के पीछे भिजवा दिया था. इसी तरह राशिद अल्वी को भी मायावती हाशिए पर ले आई थीं.

उनको दो महीने में ही पार्टी छोड़कर जाना पड़ा था. मायावती ने उनको जेल तक भिजवा दिया था. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बसपा में मायावती के बाद सतीश मिश्र का नाम चलता था. लेकिन, आजकल वो कहां हैं कोई नहीं जानता. यही तेवर अब भतीजे आकाश आनंद पर भी मायावती ने दिखाए हैं.

मायावती जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तो उनके सख्त शासनकाल को आज भी याद किया जाता है. अधिकारियों की जरा सी लापरवाही मायावती को बर्दाश्त नहीं थी, पल भर में उन पर कार्रवाई हो जाती थी. भले ही अब मायावती की सत्ता में नहीं है लेकिन उनका कड़क रुख अभी भी बरकरार है.

अपनी पार्टी में जब भी कोई अनुशासनहीनता करता है तो मायावती फिर चाहे अपना हो या पराया एक्शन लेने से पीछे नहीं हटतीं. अपने भतीजे आकाश आनंद पर कार्रवाई करने में भी मायावती बिल्कुल नहीं हिचकीं. एक ही क्षण में आकाश से दोनों पद छीनकर उन्हें सामान्य कार्यकर्ता की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया. इससे पहले भी दो राष्ट्रीय महासचिवों के आपत्तिजनक बयान मायावती को नागवार गुजरे थे तो उन्होंने बिना हिचकिचाहट कार्रवाई कर दी थी.

मायावती ने 2017 में आकाश को किया था लांच: साल 2017 में पहली बार सहारनपुर दौरे में मायावती के साथ आकाश आनंद नजर आए थे. उसके बाद बसपा सुप्रीमो ने ही पार्टी पदाधिकारियों से अपने भतीजे आकाश का परिचय कराया था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने यह कहा था कि आकाश आनंद भविष्य के लिए तैयार हो रहे हैं.

साल 2018 में बसपा सुप्रीमो ने आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर जैसे बड़े पद की जिम्मेदारी इसीलिए सौंपी थी कि वे राजनीति को और बारीकी से समझ सकें. मायावती ने अपने पुराने पदाधिकारियों को दरकिनार करते हुए आकाश को इस बड़े पद की जिम्मेदारी सौंपी थी.

आकाश की लोकप्रियता और परिपक्वता को देखते हुए ही मायावती ने उन्हें कई प्रदेशों के पिछले विधानसभा चुनाव में दायित्व सौंपा था. राजस्थान, तेलंगाना छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में आकाश ने जी तोड़ मेहनत भी की थी, जब मायावती को लगा कि आकाश बेहतर करने लगे हैं.

उनमें क्वालिटी नजर आने लगी तब ही उन्हें अपने उत्तराधिकारी की कमान सौंपने की घोषणा कर दी थी. हालांकि अब इस आकाश आनंद में बुआ मायावती को अपरिपक्वता नजर आने लगी है.

जब बसपा सुप्रीमो पर लगा था दो दिन का प्रतिबंध तो पहली बार आगरा में रैली करने उतरे थे आनंद: साल 2019 में जब चुनाव आयोग ने बसपा सुप्रीमो मायावती के भाषण पर दो दिन का प्रतिबंध लगा दिया था, तब आकाश आनंद ने आगरा में पहली बार एक रैली की थी.

इस रैली की भी उस समय खूब चर्चा हुई थी. तब आकाश आनंद के तेवर बिल्कुल नरम थे, लेकिन पांच साल में आनंद के तेवर इतने गर्म हो गए कि उन्हें मायावती को अपरिपक्व कहते हुए पदों से हटाना पड़ गया.

आकाश ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लगभग 10 से ज्यादा जनसभाएं कीं. इनमें उन्होंने सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले किए. हालांकि उन्होंने विरोधी दलों को भी टारगेट किया, लेकिन मुख्य रूप से उनका टारगेट भारतीय जनता पार्टी ही रही.

आकाश ने जूता, चप्पल और लाठी जैसे शब्दों का रैलियों में किया प्रयोग: सत्ताधारी पार्टी के काम न करने पर उन्होंने अपनी रैलियों में जूता, चप्पल और लाठी जैसे शब्दों तक का इस्तेमाल कर डाला. ऐसे शब्द और आकाश के ओजस्वी भाषण युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित जरूर करते रहे, लेकिन जब आकाश ने जोश में होश खो दिया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को आतंकवादियों की सरकार कह डाला तो पूरा मामला ही बिगड़ गया.

सीतापुर की इस रैली के बाद आकाश आनंद का बोरिया बिस्तर बंध गया. उनकी सभी रैलियां रद कर दी गईं और फिर भतीजे पर ऐसा एक्शन लिया जो राजनीति में नजीर हो सकता है. इससे पहले आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में साल 2017 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने दो राष्ट्रीय महासचिवों जयप्रकाश सिंह और वीर सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई की थी.

आकाश को इतने बड़े एक्शन की नहीं थी उम्मीद: बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर और बहुजन समाज पार्टी के उत्तराधिकारी आकाश आनंद को अपनी बुआ मायावती से शायद ही इस तरह की उम्मीद रही होगी कि उनकी एक गलती पर वे इतना बड़ा एक्शन ले लेंगी. कल तक जो आकाश आनंद पार्टी के लिए सर्वेसर्वा हो गए थे. लेकिन, आज की स्थिति यह है कि आकाश आनंद के राजनीतिक करियर पर फिलहाल मायावती ने ब्रेक लगा दिया है.

सीतापुर की जनसभा आकाश के लिए बनी अभिशाप: सीतापुर में आकाश का जनसभा के दौरान भाजपा पर बोला गया हमला उनके राजनीतिक करियर के लिए अभिशाप बन गया है. स्टार प्रचारक की श्रेणी में शामिल आकाश आनंद फिलहाल उत्तर प्रदेश में 10 से 12 रैलियां कर चुके हैं, लेकिन सीतापुर की रैली उनके लिए आखिरी रैली साबित हुई है.

भाजपा सरकार को चोरों और आतंकवादियों की सरकार कहा था: 28 अप्रैल को उन्होंने सीतापुर की जनसभा में भाषण दिया था कि भाजपा सरकार चोरों और आतंकवादियों की सरकार है. उन्होंने भाजपा को भी चोरों और आतंकवादियों की पार्टी कह दिया था. इसके बाद उन पर एफआईआर दर्ज हुई. आकाश ने निर्वाचन आयोग को भी नहीं छोड़ा था.

यह उन पर और भी ज्यादा भारी पड़ गया. सीतापुर के तत्काल बाद औरैया और हमीरपुर में एक मई को होने वाली आकाश की रैली रद कर दी गई थी. इसके बाद उनके आगे के सभी प्रोग्राम रद कर दिए गए थे. आखिरकार अब आकाश आनंद से नेशनल कोऑर्डिनेटर और बीएसपी के उत्तराधिकारी का पद छिन गया.

सोशल मीडिया पर आकाश की बहाली के लिए चल पड़ी मुहिम: आकाश पर मायावती के इस कड़े एक्शन के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पार्टी से जुड़े तमाम युवा फिर से मायावती से आकाश की बहाली की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को पुराने नेताओं और कोऑर्डिनेटरों ने गलत शिकायत की है जिसके चलते उन पर कार्रवाई की गई है.

बसपा सुप्रीमो को अपने स्तर से पूरी जांच करनी चाहिए, जिसमें आकाश आनंद पाक साफ साबित होंगे. हालांकि पार्टी के सूत्रों की मानें तो फिलहाल अभी आकाश आनंद को मायावती ने एक भी रैली न करने देने के लिए निर्देशित कर दिया है. उनकी सभी जनसभाएं रद कर दी गई हैं.

बसपा सुप्रीमो ने आकाश को बचा लिया: सियासी गलियारों में ऐसी भी चर्चाएं हैं कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने आकाश आनंद पर इस तरह की कार्रवाई करके किसी न किसी रूप में उन्हें बचा लिया है. जिस तरह से लगातार सिटिंग चीफ मिनिस्टर और डिप्टी चीफ मिनिस्टर और मिनिस्टर जेल भेजे जा रहे हैं उससे बसपा सुप्रीमो को एहसास हो गया होगा कि कहीं आकाश का यह बयान उन पर भारी न पड़ जाए.

भाजपा नेता लगातार आक्रामक हैं, ऐसे में पहले आकाश की रैलियां रद की गईं और उसके बाद उनसे दोनों पद छीन लिए गए. इससे ऐसा हो सकता है कि मामला ठंडा पड़ जाए और आकाश पर सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई न हो और फिर जब सब कुछ नॉर्मल हो जाए तो मायावती फिर से उन्हें नई जिम्मेदारी सौंप दें.

ये भी पढ़ेंः मायावती के एक्शन के बाद आकाश आनंद ने तोड़ी चुप्पी; कहा- फैसला मंजूर, आप आदर्श हैं, बहुजन मिशन के लिए लड़ता रहूंगा

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती शुरू से ही अपने सख्त तेवर और कड़े फैसलों के लिए जानी जाती हैं. इसके कई उदाहरण हैं. जब वह मुख्यमंत्री रहीं तो प्रशासनिक अधिकारियों पर लगातार कार्रवाई करती रहीं. कई बड़े माफियाओं को भी उन्होंने सलाखों के पीछे भिजवा दिया था. इसी तरह राशिद अल्वी को भी मायावती हाशिए पर ले आई थीं.

उनको दो महीने में ही पार्टी छोड़कर जाना पड़ा था. मायावती ने उनको जेल तक भिजवा दिया था. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बसपा में मायावती के बाद सतीश मिश्र का नाम चलता था. लेकिन, आजकल वो कहां हैं कोई नहीं जानता. यही तेवर अब भतीजे आकाश आनंद पर भी मायावती ने दिखाए हैं.

मायावती जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तो उनके सख्त शासनकाल को आज भी याद किया जाता है. अधिकारियों की जरा सी लापरवाही मायावती को बर्दाश्त नहीं थी, पल भर में उन पर कार्रवाई हो जाती थी. भले ही अब मायावती की सत्ता में नहीं है लेकिन उनका कड़क रुख अभी भी बरकरार है.

अपनी पार्टी में जब भी कोई अनुशासनहीनता करता है तो मायावती फिर चाहे अपना हो या पराया एक्शन लेने से पीछे नहीं हटतीं. अपने भतीजे आकाश आनंद पर कार्रवाई करने में भी मायावती बिल्कुल नहीं हिचकीं. एक ही क्षण में आकाश से दोनों पद छीनकर उन्हें सामान्य कार्यकर्ता की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया. इससे पहले भी दो राष्ट्रीय महासचिवों के आपत्तिजनक बयान मायावती को नागवार गुजरे थे तो उन्होंने बिना हिचकिचाहट कार्रवाई कर दी थी.

मायावती ने 2017 में आकाश को किया था लांच: साल 2017 में पहली बार सहारनपुर दौरे में मायावती के साथ आकाश आनंद नजर आए थे. उसके बाद बसपा सुप्रीमो ने ही पार्टी पदाधिकारियों से अपने भतीजे आकाश का परिचय कराया था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने यह कहा था कि आकाश आनंद भविष्य के लिए तैयार हो रहे हैं.

साल 2018 में बसपा सुप्रीमो ने आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर जैसे बड़े पद की जिम्मेदारी इसीलिए सौंपी थी कि वे राजनीति को और बारीकी से समझ सकें. मायावती ने अपने पुराने पदाधिकारियों को दरकिनार करते हुए आकाश को इस बड़े पद की जिम्मेदारी सौंपी थी.

आकाश की लोकप्रियता और परिपक्वता को देखते हुए ही मायावती ने उन्हें कई प्रदेशों के पिछले विधानसभा चुनाव में दायित्व सौंपा था. राजस्थान, तेलंगाना छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में आकाश ने जी तोड़ मेहनत भी की थी, जब मायावती को लगा कि आकाश बेहतर करने लगे हैं.

उनमें क्वालिटी नजर आने लगी तब ही उन्हें अपने उत्तराधिकारी की कमान सौंपने की घोषणा कर दी थी. हालांकि अब इस आकाश आनंद में बुआ मायावती को अपरिपक्वता नजर आने लगी है.

जब बसपा सुप्रीमो पर लगा था दो दिन का प्रतिबंध तो पहली बार आगरा में रैली करने उतरे थे आनंद: साल 2019 में जब चुनाव आयोग ने बसपा सुप्रीमो मायावती के भाषण पर दो दिन का प्रतिबंध लगा दिया था, तब आकाश आनंद ने आगरा में पहली बार एक रैली की थी.

इस रैली की भी उस समय खूब चर्चा हुई थी. तब आकाश आनंद के तेवर बिल्कुल नरम थे, लेकिन पांच साल में आनंद के तेवर इतने गर्म हो गए कि उन्हें मायावती को अपरिपक्व कहते हुए पदों से हटाना पड़ गया.

आकाश ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लगभग 10 से ज्यादा जनसभाएं कीं. इनमें उन्होंने सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले किए. हालांकि उन्होंने विरोधी दलों को भी टारगेट किया, लेकिन मुख्य रूप से उनका टारगेट भारतीय जनता पार्टी ही रही.

आकाश ने जूता, चप्पल और लाठी जैसे शब्दों का रैलियों में किया प्रयोग: सत्ताधारी पार्टी के काम न करने पर उन्होंने अपनी रैलियों में जूता, चप्पल और लाठी जैसे शब्दों तक का इस्तेमाल कर डाला. ऐसे शब्द और आकाश के ओजस्वी भाषण युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित जरूर करते रहे, लेकिन जब आकाश ने जोश में होश खो दिया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को आतंकवादियों की सरकार कह डाला तो पूरा मामला ही बिगड़ गया.

सीतापुर की इस रैली के बाद आकाश आनंद का बोरिया बिस्तर बंध गया. उनकी सभी रैलियां रद कर दी गईं और फिर भतीजे पर ऐसा एक्शन लिया जो राजनीति में नजीर हो सकता है. इससे पहले आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में साल 2017 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने दो राष्ट्रीय महासचिवों जयप्रकाश सिंह और वीर सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई की थी.

आकाश को इतने बड़े एक्शन की नहीं थी उम्मीद: बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर और बहुजन समाज पार्टी के उत्तराधिकारी आकाश आनंद को अपनी बुआ मायावती से शायद ही इस तरह की उम्मीद रही होगी कि उनकी एक गलती पर वे इतना बड़ा एक्शन ले लेंगी. कल तक जो आकाश आनंद पार्टी के लिए सर्वेसर्वा हो गए थे. लेकिन, आज की स्थिति यह है कि आकाश आनंद के राजनीतिक करियर पर फिलहाल मायावती ने ब्रेक लगा दिया है.

सीतापुर की जनसभा आकाश के लिए बनी अभिशाप: सीतापुर में आकाश का जनसभा के दौरान भाजपा पर बोला गया हमला उनके राजनीतिक करियर के लिए अभिशाप बन गया है. स्टार प्रचारक की श्रेणी में शामिल आकाश आनंद फिलहाल उत्तर प्रदेश में 10 से 12 रैलियां कर चुके हैं, लेकिन सीतापुर की रैली उनके लिए आखिरी रैली साबित हुई है.

भाजपा सरकार को चोरों और आतंकवादियों की सरकार कहा था: 28 अप्रैल को उन्होंने सीतापुर की जनसभा में भाषण दिया था कि भाजपा सरकार चोरों और आतंकवादियों की सरकार है. उन्होंने भाजपा को भी चोरों और आतंकवादियों की पार्टी कह दिया था. इसके बाद उन पर एफआईआर दर्ज हुई. आकाश ने निर्वाचन आयोग को भी नहीं छोड़ा था.

यह उन पर और भी ज्यादा भारी पड़ गया. सीतापुर के तत्काल बाद औरैया और हमीरपुर में एक मई को होने वाली आकाश की रैली रद कर दी गई थी. इसके बाद उनके आगे के सभी प्रोग्राम रद कर दिए गए थे. आखिरकार अब आकाश आनंद से नेशनल कोऑर्डिनेटर और बीएसपी के उत्तराधिकारी का पद छिन गया.

सोशल मीडिया पर आकाश की बहाली के लिए चल पड़ी मुहिम: आकाश पर मायावती के इस कड़े एक्शन के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पार्टी से जुड़े तमाम युवा फिर से मायावती से आकाश की बहाली की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को पुराने नेताओं और कोऑर्डिनेटरों ने गलत शिकायत की है जिसके चलते उन पर कार्रवाई की गई है.

बसपा सुप्रीमो को अपने स्तर से पूरी जांच करनी चाहिए, जिसमें आकाश आनंद पाक साफ साबित होंगे. हालांकि पार्टी के सूत्रों की मानें तो फिलहाल अभी आकाश आनंद को मायावती ने एक भी रैली न करने देने के लिए निर्देशित कर दिया है. उनकी सभी जनसभाएं रद कर दी गई हैं.

बसपा सुप्रीमो ने आकाश को बचा लिया: सियासी गलियारों में ऐसी भी चर्चाएं हैं कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने आकाश आनंद पर इस तरह की कार्रवाई करके किसी न किसी रूप में उन्हें बचा लिया है. जिस तरह से लगातार सिटिंग चीफ मिनिस्टर और डिप्टी चीफ मिनिस्टर और मिनिस्टर जेल भेजे जा रहे हैं उससे बसपा सुप्रीमो को एहसास हो गया होगा कि कहीं आकाश का यह बयान उन पर भारी न पड़ जाए.

भाजपा नेता लगातार आक्रामक हैं, ऐसे में पहले आकाश की रैलियां रद की गईं और उसके बाद उनसे दोनों पद छीन लिए गए. इससे ऐसा हो सकता है कि मामला ठंडा पड़ जाए और आकाश पर सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई न हो और फिर जब सब कुछ नॉर्मल हो जाए तो मायावती फिर से उन्हें नई जिम्मेदारी सौंप दें.

ये भी पढ़ेंः मायावती के एक्शन के बाद आकाश आनंद ने तोड़ी चुप्पी; कहा- फैसला मंजूर, आप आदर्श हैं, बहुजन मिशन के लिए लड़ता रहूंगा

Last Updated : May 10, 2024, 8:26 AM IST
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