बगहा: 144 साल बाद पड़ने वाले महाकुंभ स्नान को लेकर प्रयागराज में करोड़ों की भीड़ उमड़ी है. ठीक वैसे ही बिहार के बगहा में इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकीनगर के त्रिवेणी संगम पर नजारा देखने को मिल रहा है. मौनी अमावस्या पर बिहार के वाल्मीकि नगर स्थित त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं बुधवार को सुबह से उमड़ पड़े. नजारा देखकर पता ही नहीं चल रहा था कि ये बिहार का बगहा है या फिर लोग महाकुंभ पहुंच गए हैं.
बगहा में त्रिवेणी संगम पर भीड़: ब्रह्म मुहूर्त से ही नारायणी गंडक के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा. दरअसल मौनी अमावस्या के दिन नारायणी गंडक के त्रिवेणी संगम में करीब 3.50 लाख श्रद्धालु डुबकी लगाने पहुंच गए. प्रशासन का अनुमान था कि 1.50 लाख लोग आएंगे, लेकिन यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ की वजह से करीब चार लाख लोगों ने डुबकी लगाई है.
यूपी के लोगों को प्रशासन ने रोका: नारायणी गंडक के त्रिवेणी संगम पर लोगों की भीड़ की वजह से दिनभर जाम स्थिति बनी हुई है. ऐसे में बगहा-वाल्मिकीनगर मुख्य मार्ग पर तकरीबन 14 किमी पहले तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रही. जाम को देखते हुए प्रशासन ने उत्तर प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को पनियाहवा में ही रोक दिया गया है. जिससे श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
बगहा में नहीं देखी इतनी भीड़: भारत और नेपाल के विभिन्न इलाकों से लोग यहां पहले भी माघ मौनी अमावस्या मेला को पहुंचते है, लेकिन इस बार की भीड़ देख स्थानीय लोग भी आश्चर्यचकित हैं. लोगों का कहना है कि इससे पहले इतनी भीड़ कभी नहीं उमड़ी. स्नान दान को लेकर भक्तों के पहुंचने का सिलसिला हफ्ते भर पूर्व से हीं शुरू हो गया था.
"माघ मौनी अमावस्या के मौके पर मौन रहकर नहाने की परम्परा है. माघ महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था. समुंद्र मंथन से निकले अमृत कलश की चार बूंदें जहां पड़ीं वहां देवता भी स्वयं स्नान करने आते हैं. त्रिवेणी संगम तीन नदियों का संगम है जिसमें गंडक, तमसा और सोनभद्र नदियां मिलती हैं, जो गंगा में जाकर समाहित हो जाती हैं. लिहाजा यह संगम स्थल प्रयागराज के बाद देश का दूसरा पवित्र त्रिवेणी संगम है. हिंदू धर्म में त्रिवेणी संगम को बहुत पवित्र माना जाता है." -हरिकृष्ण मिश्रा, पंडित
सुरक्षा के कड़े प्रबंध: मौनी अमावस्या पर पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए हैं पूरे क्षेत्र में अधिकारियों और मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगाई गई है. वाल्मिकीनगर में विशाल मेला लगा है. इस मेले में संतरा और तेजपत्ते की बिक्री खूब होती है. नतीजतन यूपी और बिहार के दर्जनों व्यवसाई सैकड़ों ट्रक संतरा और तेजपत्ता समेत अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं लेकर मेला में बेचने भी पहुंचते हैं.
"मौनी अमावस्या के दिन स्नान पश्चात विशेष तौर पर छाता, पलंग, शैया दान समेत गौदान, स्वर्णदान करने की परंपरा है। ऐसे में भक्त स्नान दान कर मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना करते हैं. सतयुग में तप करने, द्वापर में भक्ति करने और त्रेता युग में ज्ञान अर्जन करने से जो पुण्य प्राप्त होता है. उसके बराबर आज मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करके पुण्यफल मिलता है." -जितेंद्र गिरी, पंडित
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