हाथरस : जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकी हमले में शहीद सुभाष चंद्र का शव गांव भी नहीं आया है, लेकिन उनके अंतिम संस्कार और स्मारक बनाए जाने के स्थान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. प्रशासन ने जो स्थान शहीद के अंतिम संस्कार व स्मारक के लिए अभी चुना है उसे परिवार के लोग उपयुक्त नहीं बता रहे हैं. परिजनों का कहना है कि प्रशासन उन्हें उपयुक्त स्थान मुहैया कराए.
बता दें, हाथरस जिले के सहपऊ क्षेत्र के गांव नगला मनी के जवान लांस नायक सुभाष (28) जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. शहीद का शव गुरुवार को गांव लाया जाएगा. सुभाष के शहीद होने की जानकारी मिलने पर बड़ी संख्या में लोग गांव पहुंच रहे हैं. वहीं मंगलवार और बुधवार को प्रशासनिक अधिकारी भी गांव पहुंचे. बुधवार को अधिकारियों ने शहीद के अंतिम संस्कार के लिए स्थान चिन्हित किया. हालांकि प्रशासन द्वारा चिन्हित किए गए स्थान से शहीद सुभाष के परिवार के लोग संतुष्ट नहीं हैं.
शहीद सुभाष के पिता मथुरा प्रसाद का कहना है कि प्रशासन ने जो जगह निर्धारित की है वह अच्छी नहीं है वहां गड्ढा है, हमें रोड पर जगह चाहिए. शहीद के भाई बलदेव का कहना है कि प्रशासन ने हमारे भाई की संस्कार के लिए जो जगह निर्धारित की है वह उपयुक्त नहीं है. रास्ता कच्चा है वहां तमाम गड्ढे हैं. गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर है और उस स्थान के पास पोखर भी है. प्रशासन को हमें उपयोग स्थान दिलाना चाहिए.
एसडीएम एसडीएम संजय कुमार का कहना है कि प्रशासन ने जो स्थान चिन्हित किया है. वह परिवार के लोगों को पसंद नहीं आ रहा है. शहीद के पिता चाहते हैं कि खेत में अंतिम संस्कार हो, अभी लेखपाल को उचित स्थान चिन्हित करने को कहा गया है.
हाथरस जिले के गांव नगला मनी के माथुरा प्रसाद के बेटे सुभाष चंद्र जम्मू कश्मीर के राजौरी में 7 जाट रेजीमेंट में तैनात थे. वह जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं. सुभाष 2016 में सेना में भर्ती हुए थे. पिछले दिनों वह 15 दिन की छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गए थे. सुभाष की शादी 4 साल पहले कांति देवी से हुई थी. उनकी डेढ़ साल की एक बेटी है और पत्नी गर्भवती है.
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