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Millets Year का असर : अलवर की महिलाओं ने मोटे अनाज को बनाया आमदनी का जरिया

अलवर में सैकड़ों महिलाएं मिलेट्स के अलग-अलग उत्पाद बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.

MILLETS PRODUCTS
मिलेट्स के अलग-अलग उत्पाद (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 17 hours ago

Updated : 17 hours ago

अलवर : प्रधानमंत्री मोदी के मिलेट्स को बढ़ावा देने के अभियान को अलवर जिले की महिलाओं का भी भरपूर साथ मिला है. प्रधानमंत्री के 2023 को मिलेट्स ईयर घोषित करने के साथ ही अलवर जिले की महिलाओं ने बाजरे से बने कई अलग-अलग उत्पाद बनाना शुरू किया, जिन्हें लोगों का अच्छा सहयोग मिल रहा है. यह सब मुमकिन हो रहा अलवर जिले के बानसूर क्षेत्र का एक संस्थान की मदद से. युवा जागृति संस्थान महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा कर उन्हें आगे बढ़ने का मौका देता है. आज इस संस्थान से 500 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं. वहीं, 180 महिलाएं मिलेट्स के अलग-अलग उत्पाद बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.

युवा जागृति संस्थान से जुड़ी महिला राधा देवी ने बताया कि उनके एफपीओ के साथ 500 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. 2023 को जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलेट ईयर घोषित किया था, उस दौरान संस्था के डीडीएम प्रदीप ने महिलाओं को मोटिवेट कर इस कार्य से जोड़ा. इसके बाद कोटा में आयोजित एक प्रोग्राम में महिलाओं के समूह को भेजा गया. इसमें महिलाओं द्वारा बनाए गए बाजरे के विभिन्न प्रोडक्ट्स की केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने तारीफ की. इसके बाद महिलाओं को मोटिवेशन मिला कि वह इस कार्य में निरंतर आगे बढ़ें और अपने जिले का नाम रोशन करने के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार भी उत्पन्न कराएं.

महिलाओं ने बाजरे को बनाया आमदनी का जरिया (ETV Bharat Alwar)

इसे भी पढ़ें- जयपुर में मिलेट्स कॉन्क्लेव कल से, लोगों को बताया जाएगा मोटे अनाज का फायदा

राधा देवी ने बताया कि इसके बाद महिलाओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से नए-नए उत्पादों के बारे में जानकारी ली और उनके बनाने की तकनीक को समझा. इसमें सुधार के लिए कई ट्रेनिंग भी आयोजित करवाई गई, जिनके माध्यम से आज महिलाओं के बने हुए बाजरे के उत्पाद का स्वाद लोगों को काफी पसंद आ रहा है.

बाजरे अच्छा मुनाफा : राधा देवी ने बताया कि पहले घरों में होने वाले बाजरे की फसल को मंडियों में 1500 रुपए के भाव में लोगों द्वारा बेचा जाता था, लेकिन जब से महिलाएं इस कार्य से जुड़ी, तब से वही 1500 रुपए का एक कट्टा भी 50 हजार रुपए का मुनाफा करवा रहा है. कारण है कि पहले बाजरा सीधे खेतों से कटकर मंडियों तक जाता था, लेकिन अब बाजरे का स्वरूप महिलाओं द्वारा बदला गया. आज बाजरे की इतनी डिमांड है कि महिलाएं बाजार में बाजरे को न बेचकर अलग-अलग उत्पाद बना रही हैं.

लोगों के फीडबैक से हुए मोटिवेट : उन्होंने बताया कि महिलाओं ने बाजरे के साथ देसी घी को मिलाकर उत्पाद तैयार किए और लोगों को खिलाए, तब लोगों का अच्छा फीडबैक मिला. उन्होंने बताया कि महिलाओं द्वारा बनाए गए बाजरे के विभिन्न उत्पादों की लोगों ने तारीफ की, जिसके चलते महिलाओं को आगे बढ़ने का मोटिवेशन मिला. आज इस कार्य को 180 महिलाएं कर रही हैं, जिसके चलते उन्हें अच्छी आय भी हो रही है. उन्होंने बताया कि उनके प्रोडक्ट ऑनलाइन के साथ-साथ ऑर्डर पर भी तैयार किए जाते हैं.

इसे भी पढ़ें- पीएम मोदी के मोटे अनाज के सपने को साकार कर रहा भीलवाड़ा का कृषि विभाग, किसानों को दी ट्रेनिंग

हाईवे पर संचालित होटल से टाईअप : राधा देवी ने बताया कि महिलाओं के बनाए प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड को देखते हुए बाजरे के प्रोडक्ट को जिले के हाईवे पर संचालित होटल में भी रखा गया है. उन्होंने बताया कि उनके यहां पर बाजरे के लड्डू, नमकीन, मिठाई, बिस्किट सहित अन्य उत्पाद तैयार होते हैं. साथ ही मौसम के अनुसार अन्य मोटे अनाज के भी उत्पाद तैयार किए जाते हैं.

अलवर : प्रधानमंत्री मोदी के मिलेट्स को बढ़ावा देने के अभियान को अलवर जिले की महिलाओं का भी भरपूर साथ मिला है. प्रधानमंत्री के 2023 को मिलेट्स ईयर घोषित करने के साथ ही अलवर जिले की महिलाओं ने बाजरे से बने कई अलग-अलग उत्पाद बनाना शुरू किया, जिन्हें लोगों का अच्छा सहयोग मिल रहा है. यह सब मुमकिन हो रहा अलवर जिले के बानसूर क्षेत्र का एक संस्थान की मदद से. युवा जागृति संस्थान महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा कर उन्हें आगे बढ़ने का मौका देता है. आज इस संस्थान से 500 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं. वहीं, 180 महिलाएं मिलेट्स के अलग-अलग उत्पाद बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.

युवा जागृति संस्थान से जुड़ी महिला राधा देवी ने बताया कि उनके एफपीओ के साथ 500 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. 2023 को जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलेट ईयर घोषित किया था, उस दौरान संस्था के डीडीएम प्रदीप ने महिलाओं को मोटिवेट कर इस कार्य से जोड़ा. इसके बाद कोटा में आयोजित एक प्रोग्राम में महिलाओं के समूह को भेजा गया. इसमें महिलाओं द्वारा बनाए गए बाजरे के विभिन्न प्रोडक्ट्स की केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने तारीफ की. इसके बाद महिलाओं को मोटिवेशन मिला कि वह इस कार्य में निरंतर आगे बढ़ें और अपने जिले का नाम रोशन करने के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार भी उत्पन्न कराएं.

महिलाओं ने बाजरे को बनाया आमदनी का जरिया (ETV Bharat Alwar)

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राधा देवी ने बताया कि इसके बाद महिलाओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से नए-नए उत्पादों के बारे में जानकारी ली और उनके बनाने की तकनीक को समझा. इसमें सुधार के लिए कई ट्रेनिंग भी आयोजित करवाई गई, जिनके माध्यम से आज महिलाओं के बने हुए बाजरे के उत्पाद का स्वाद लोगों को काफी पसंद आ रहा है.

बाजरे अच्छा मुनाफा : राधा देवी ने बताया कि पहले घरों में होने वाले बाजरे की फसल को मंडियों में 1500 रुपए के भाव में लोगों द्वारा बेचा जाता था, लेकिन जब से महिलाएं इस कार्य से जुड़ी, तब से वही 1500 रुपए का एक कट्टा भी 50 हजार रुपए का मुनाफा करवा रहा है. कारण है कि पहले बाजरा सीधे खेतों से कटकर मंडियों तक जाता था, लेकिन अब बाजरे का स्वरूप महिलाओं द्वारा बदला गया. आज बाजरे की इतनी डिमांड है कि महिलाएं बाजार में बाजरे को न बेचकर अलग-अलग उत्पाद बना रही हैं.

लोगों के फीडबैक से हुए मोटिवेट : उन्होंने बताया कि महिलाओं ने बाजरे के साथ देसी घी को मिलाकर उत्पाद तैयार किए और लोगों को खिलाए, तब लोगों का अच्छा फीडबैक मिला. उन्होंने बताया कि महिलाओं द्वारा बनाए गए बाजरे के विभिन्न उत्पादों की लोगों ने तारीफ की, जिसके चलते महिलाओं को आगे बढ़ने का मोटिवेशन मिला. आज इस कार्य को 180 महिलाएं कर रही हैं, जिसके चलते उन्हें अच्छी आय भी हो रही है. उन्होंने बताया कि उनके प्रोडक्ट ऑनलाइन के साथ-साथ ऑर्डर पर भी तैयार किए जाते हैं.

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हाईवे पर संचालित होटल से टाईअप : राधा देवी ने बताया कि महिलाओं के बनाए प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड को देखते हुए बाजरे के प्रोडक्ट को जिले के हाईवे पर संचालित होटल में भी रखा गया है. उन्होंने बताया कि उनके यहां पर बाजरे के लड्डू, नमकीन, मिठाई, बिस्किट सहित अन्य उत्पाद तैयार होते हैं. साथ ही मौसम के अनुसार अन्य मोटे अनाज के भी उत्पाद तैयार किए जाते हैं.

Last Updated : 17 hours ago
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