पटनाः बिहार में अध्यक्ष पद की अगली जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए इसे लेकर मंथन जारी है. पिछली बार जब भाजपा और जदयू का गठबंधन हुआ था, तब अध्यक्ष पद बीजेपी के पास ही रहा था. इस बार भी भाजपा को उम्मीद है कि अध्यक्ष पद भाजपा के पास ही रहेगा. अध्यक्ष पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अंदर मंथन और दावेदारी का दौर जारी है.
12 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव पर हो सकती है वोटिंगः आपको बता दें कि 28 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास का नोटिस दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी नेता नंदकिशोर यादव की ओर से नोटिस विधानसभा सचिवालय को दी गई है और उसके 14 दिनों के बाद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. 12 फरवरी का दिन महत्वपूर्ण माना जा रहा है अगर अवध बिहारी चौधरी 12 फरवरी से पहले इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी.
विधानसभा अध्यक्ष को लेकर चल रही दावेदारीः भारतीय जनता पार्टी ने पिछली बार विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया था, इस बार विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं और अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के अंदर चर्चा जारी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव का नाम सबसे ऊपर है नंदकिशोर यादव पार्टी के सीनियर लीडर हैं और आठ बार विधायक रह चुके हैं. नंदकिशोर यादव को संगठन और सरकार चलाने का अनुभव है. यादव जाति को भी तवज्जो देना है और ऐसे में नंदकिशोर यादव प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.
नंदकिशोर यादव के नाम की है चर्चाः नंदकिशोर यादव की उम्र और अनुभव को देखते हुए पार्टी विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी इनके कंधों पर दे सकती है. वैसे पूर्व कृषि मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह भी सीनियर लीडर में गिने जाते हैं और उनकी उम्र 70 के पार है. भारतीय जनता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में इनकी गिनती होती है. अमरेंद्र प्रताप को मालूम है कि इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिलना आसान नहीं है, इस वजह से अध्यक्ष पद के लिए अपने पक्ष में लॉबिंग भी कर रहे हैं.
अमरेंद्र प्रताप को भी मिल सकता है मौकाः जातिगत समीकरण में अगर फिट बैठे तो इनके अनुभव को देखते हुए अमरेंद्र प्रताप को भी पार्टी मौका दे सकती है. संजय सरावगी भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं, संजय सरावगी को विधानसभा की कार्यवाही का ज्ञान है और सदन के अंदर सक्रिय रहते हैं. अगर पार्टी कम उम्र के नेताओं पर विचार करती है तो वैसी स्थिति में संजय सरावगी पर दाव लगाया जा सकता है, दरभंगा विधानसभा से संजय सरावगी 5 बार चुनाव जीत चुके हैं और उनकी गिनती भी पार्टी के अनुभवी नेताओं में होती है.
पार्टी रेणु देवी पर भी कर सकती है भरोसाः पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी वरिष्ठ नेत्री हैं और भाजपा के प्रति समर्पित हैं. रेणु देवी आति पिछड़ा समाज से आती हैं और अति पिछड़ों को तवज्जो देने की बात होगी तो ऐसी स्थिति में रेणु देवी को भी पार्टी आगे कर सकती है. एक तो महिला होने का लाभ रेणु देवी को मिल सकता है और दूसरा कि वह अति पिछड़ा समाज से आती हैं पार्टी भी रेणु देवी को बनाकर दो तरफा लाभ उठा सकती है.
बीजेपी नेता का अवध बिहारी चौधरी पर हमलाः वहीं, पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान ने वर्तमान अध्यक्ष और अवध बिहारी चौधरी पर हमला बोला है और कहा है कि "वह बिना मतलब जिद कर रहे हैं उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. जहां तक मेरी पार्टी से अध्यक्ष बनने का सवाल है तो उसे पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है". विधान परिषद में भाजपा के नेता हरि साहनी ने कहा है कि "विधानसभा अध्यक्ष अगर पद नहीं छोड़ रहे हैं तो उन्हें छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. जनता सब कुछ समझ रही है".
भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर मंथनः भाजपा का कौन नेता अध्यक्ष बनेगा पार्टी नेतृत्व इस पर फैसला लेगी जब मोहन यादव जैसे कार्यकर्ता मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो अध्यक्ष पद पर भी पार्टी का कोई कार्यकर्ता बैठ सकता है. राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि भाजपा इस बार अध्यक्ष पद को लेकर मंथन कर रही है और पार्टी की सोच यह होगी कि इस बार किसी अनुभवी आदमी को अध्यक्ष बनाया जाए ताकि गठबंधन की सेहत पर फर्क ना पड़े.
ये भी पढ़ेंः फिर वही पुरानी कहानी? दो पन्नों के भाषण के बाद दिया था विजय सिन्हा ने इस्तीफा, अब क्या करेंगे अवध बिहारी