जबलपुर। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद मंदसौर सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता व उसकी बहन की स्कूल फीस जमा नहीं किये जाने के मामले को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. इस मामले की खबरें प्रकाशित होने पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ ने संज्ञान में लिया था. चीफ जस्टिस ने इस मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के आदेश जारी किए. याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
करीब 6 साल पहले मंदसौर में हुई थी दिल दहलाने वाली वारदात
गौरतलब है कि मंदसौर जिले में जून 2018 को 7 साल की बच्ची का स्कूल से दो लोगों ने अपहरण कर दुष्कर्म किया था. आरोपियों ने उसका दो बार गला काटकर मरने के लिए छोड़ दिया था. डॉक्टरों ने कई ऑपरेशन कर उसे बचा लिया था. इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता और उसके परिवार से वादा किया था कि सरकार उसकी और उसकी बहन की शिक्षा का ख्याल रखेगी. सरकार ने इंदौर के एक निजी स्कूल में दोनों बहनों का दाखिला करवाया था. इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने इंदौर कलेक्टर और जिला शिक्षा विभाग को 14 लाख रुपये बकाया का नोटिस भेजा था. नोटिस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने तर्क था कि प्रवेश के लिए सरकार द्वारा स्कूल को दिए गए पत्र में यह उल्लेख नहीं किया गया था कि फीस का भुगतान कौन करेगा.
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लापरवाही पर जिम्मेदारों पर जुर्माना ठोक चुका है कोर्ट
हाईकोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि कि नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता राज्य सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद उत्पीड़न से गुजर रही है. यह काफी चौंकाने वाली स्थिति है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, कलेक्टर तथा स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस जारी हलफनामा में जवाब पेश करने आदेश जारी किये थे. कई अवसर देने के बावजूद भी जवाब पेश नहीं किये जाने के गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग तथा कलेक्टर इंदौर पर 25-25 हजार रुपये की कास्ट भी लगाई गई थी.