इंदौर (PTI)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि 2017 के मंदसौर फायरिंग कांड की जांच के लिए गठित जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाए. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कहा "फायरिंग की घटना के 7 साल बाद न्यायमूर्ति जैन आयोग की जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए अदालती आदेश (रिट) जारी करने का कोई आधार नहीं है." आदेश में न्यायालय ने कहा "रिपोर्ट को संसद या राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदन के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए 6 महीने की समय-सीमा तय की गई है."
मंदसौर गोलीकांड में हुई थी 6 किसानों की मौत
बता दें कि 6 जून, 2017 को मंदसौर में पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में 6 किसान मारे गए थे, जब वे अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य की मांग कर रहे थे. रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने अपनी जनहित याचिका में कहा था, "न्यायमूर्ति जैन आयोग ने 13 जून, 2018 को राज्य सरकार को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की. हालांकि, राज्य सरकार ने उक्त रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की है." याचिकाकर्ता ने कहा कि नियम के अनुसार राज्य सरकार को आयोग द्वारा रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करना चाहिए था.
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नियम के अनुसार 6 माह की अवधि पहले ही निकली
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने सकलेचा और राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत तर्कों और कानूनी प्रावधानों पर विचार करने के बाद याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा, "यदि जांच रिपोर्ट विधानमंडल के समक्ष नहीं रखी गई होती तो विधानमंडल का कोई भी सदस्य प्रश्न उठाकर मांग कर सकता था, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है." ये भी कहा गया कि संसद के प्रत्येक सदन या राज्य विधानमंडल के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 6 महीने की बाहरी सीमा तय की गई है. लेकिन ये अवधि बहुत पहले समाप्त हो चुकी है.