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किसान को सोयाबीन ने दिया दर्द या सरकार ने! 10 बीघा में खड़ी सोयाबीन फसल पर चलाया ट्रैक्टर - farmer destroyed soybean crop

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 20, 2024, 12:10 PM IST

मंदसौर जिले के देवरिया में एक किसान ने 10 बीघा में लगाई गई सोयाबीन फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया. किसान का कहना है कि सोयाबीन फसल अब घाटे का सौदा है. सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4800 रुपये तय किया है, लेकिन वर्तमान में सोयाबीन 3800 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा कोई खरीदने को तैयार नहीं.

farmer destroyed soybean crop
10 बीघा में लगाई गई सोयाबीन फसल की नष्ट (ETV BHARAT)

मंदसौर। किसानों को समर्थन मूल्य पर अपनी उपज के दाम नहीं मिलने के कारण वे काफी परेशान है. मंदसौर की गरोठ तहसील के ग्राम देवरिया के एक किसान ने सोयाबीन की फसल का उचित दाम नहीं मिलने के कारण 10 बीघा फसल को रोटावेटर चलाकर मिट्टी में मिला दिया. किसान कमलेश पाटीदार ने कहा "मंडी में सोयाबीन के समर्थन मूल्य से भी 1000 रुपये प्रति क्विटल भाव मिलने के कारण उन्हें इस खेती में अब कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है. लिहाजा वे खेती की उर्वरक शक्ति को कमजोर नहीं करना चाहते. इसलिए उन्होंने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया."

किसान ने सोयाबीन फसल पर चलाया ट्रैक्टर (ETV BHARAT)

किसान ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

किसान कमलेश पाटीदार ने फसल नष्टीकरण के वीडियो बनाकर कहा "वह इस संदेश को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं." वहीं, इस घटनाक्रम के बाद विपक्षी नेताओं ने प्रतिक्रिया शुरू कर दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला है. बता दें कि कमलेश पाटीदार ने इस बार राखी का त्योहार ना मनाते हुए उसी दिन अपने 10 बीघा क्षेत्र में खड़ी सोयाबीन की फसल को दो ट्रैक्टर चलाकर रोटावेटर से मिट्टी में मिला दिया. किसानों का कहना है कि पिछले दो साल से सोयाबीन फसल का बाजार में उचित भाव नहीं मिल रहा है. इसलिए वह अब इस खेती को आगे नहीं करना चाहते.

पिछले 2 साल से सोयाबीन फसल से घाटा

किसान कमलेश पाटीदार ने बताया "उन्होंने पिछले दो सालों की सोयाबीन उपज अपने घर में भंडार करके रखी थी. वह भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन अभी पिछले हफ्ते ही उन्होंने भंडारित 140 क्विंटल सोयाबीन को मंडी में बेचा है. जिसका मूल्य उन्हें केवल 3800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से ही मिला. यह मूल्य उनकी खेती की लागत के मुताबिक भी नहीं है. लिहाज़ा, यह खेती अब घाटे का सौदा होती जा रही है. ऐसे में उन्होंने अपने खेत पर खड़ी सोयाबीन की हरी भरी फसल को भी ट्रैक्टर चला कर नष्ट कर दिया."

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किसानों ने सरकार से की ये मांग

किसान कमलेश पाटीदार का आरोप है "सरकार ने समर्थन मूल्य पर 4800 प्रति क्विंटल का भाव तय किया हुआ है, लेकिन बाजार में यह फसल केवल 3800 से लेकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल के मान से ही बिक रही है. ऐसे में उन्हें समर्थन मूल्य के मान से भी 1000 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा हुआ. लिहाजा, उन्हें इस उपज का बाजार दाम का भविष्य भी खतरे में नजर आ रहा है. इसलिए उन्होंने अपनी फसल को दो ट्रैक्टर लगाकर हांक दिया."

मंदसौर। किसानों को समर्थन मूल्य पर अपनी उपज के दाम नहीं मिलने के कारण वे काफी परेशान है. मंदसौर की गरोठ तहसील के ग्राम देवरिया के एक किसान ने सोयाबीन की फसल का उचित दाम नहीं मिलने के कारण 10 बीघा फसल को रोटावेटर चलाकर मिट्टी में मिला दिया. किसान कमलेश पाटीदार ने कहा "मंडी में सोयाबीन के समर्थन मूल्य से भी 1000 रुपये प्रति क्विटल भाव मिलने के कारण उन्हें इस खेती में अब कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है. लिहाजा वे खेती की उर्वरक शक्ति को कमजोर नहीं करना चाहते. इसलिए उन्होंने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया."

किसान ने सोयाबीन फसल पर चलाया ट्रैक्टर (ETV BHARAT)

किसान ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

किसान कमलेश पाटीदार ने फसल नष्टीकरण के वीडियो बनाकर कहा "वह इस संदेश को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं." वहीं, इस घटनाक्रम के बाद विपक्षी नेताओं ने प्रतिक्रिया शुरू कर दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला है. बता दें कि कमलेश पाटीदार ने इस बार राखी का त्योहार ना मनाते हुए उसी दिन अपने 10 बीघा क्षेत्र में खड़ी सोयाबीन की फसल को दो ट्रैक्टर चलाकर रोटावेटर से मिट्टी में मिला दिया. किसानों का कहना है कि पिछले दो साल से सोयाबीन फसल का बाजार में उचित भाव नहीं मिल रहा है. इसलिए वह अब इस खेती को आगे नहीं करना चाहते.

पिछले 2 साल से सोयाबीन फसल से घाटा

किसान कमलेश पाटीदार ने बताया "उन्होंने पिछले दो सालों की सोयाबीन उपज अपने घर में भंडार करके रखी थी. वह भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन अभी पिछले हफ्ते ही उन्होंने भंडारित 140 क्विंटल सोयाबीन को मंडी में बेचा है. जिसका मूल्य उन्हें केवल 3800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से ही मिला. यह मूल्य उनकी खेती की लागत के मुताबिक भी नहीं है. लिहाज़ा, यह खेती अब घाटे का सौदा होती जा रही है. ऐसे में उन्होंने अपने खेत पर खड़ी सोयाबीन की हरी भरी फसल को भी ट्रैक्टर चला कर नष्ट कर दिया."

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