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बिजली महादेव रोपवे का विरोध फिर से शुरू, मंदिर कमेटी ने डीसी को सौंपा ज्ञापन

Bijli Mahadev Ropeway: कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर कमेटी के सदस्यों ने एक बार फिर से रोपवे का विरोध किया है. इस मुद्दे को लेकर बिजली महादेव मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने ढालपुर में डीसी आशुतोष गर्ग से मुलाकात की और रोपवे का विरोध किया. साथ ही उन्होंने एक ज्ञापन भी सौंपा.

Bijli Mahadev Ropeway
बिजली महादेव रोपवे का विरोध फिर से शुरू
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 19, 2024, 10:44 PM IST

बिजली महादेव रोपवे का विरोध फिर से शुरू

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के खराहल घाटी में बिजली महादेव रोपवे का एक बार फिर से विरोध शुरू हो गया. बिजली महादेव मंदिर कमेटी ने डीसी कुल्लू को एक बार फिर से ज्ञापन सौंपा. कमेटी के सदस्यों ने डीसी बिजली महादेव रोपवे को फिर से रद्द किए जाने की मांग की. साथ उन्होंने चेतावनी दी कि अगल ऐसा नहीं हुआ तो खराहल घाटी के ग्रामीण सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने से भी नहीं चुकेंगे.

बिजली महादेव मंदिर कमेटी के पदाधिकारी का कहना है कि पहले इस बिजली महादेव रोपवे को रद्द किया गया था, लेकिन प्रदेश मंत्रिमंडल की कैबिनेट में फिर से इस रूप में को मंजूरी दी गई है. जो खराहल घाटी के लोगों को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है. देवता बिजली महादेव ने भी इस रोपवे के लिए साफ रूप से निर्देश दिए हैं कि उन्हें कोई भी परियोजना अपने इलाके में नहीं चाहिए और खराहल व कशावरी फाटी के लोगों ने भी इस बारे बैठक की थी. ऐसे में सरकार के खिलाफ पहले भी विरोध प्रदर्शन किया गया था. जिसमें कुल्लू का बाजार भी पूरी तरह से बंद रहा था, लेकिन सरकार द्वारा अब फिर से इस रोपवे को मंजूरी दी गई है.

देवता बिजली महादेव के कारदार विनेंद्र जंबाल का कहना है कि इस बारे केंद्र सरकार को भी ज्ञापन भेजा गया है. उनसे भी मांग रखी गई है कि बिजली महादेव में रोपवे ना लगाया जाए. इसके अलावा पूरे हरियान क्षेत्र में भी इस परियोजना के लगने से नाराजगी है. ऐसे में प्रदेश सरकार से आग्रह है कि वह बिजली महादेव रोपवे की मंजूरी को रद्द करें.

बिजली महादेव मंदिर कमेटी के सचिव हेमराज शर्मा का कहना है कि इसमें कुछ लोग राजनीति भी कर रहे हैं. जबकि घाटी के लोगों के लिए देवता का आदेश सर्वोपरि है. सरकार ने अगर इस रोपवे को रद्द नहीं किया तो मजबूरन उन्हें एक बार फिर से आंदोलन की राह अख्तियार करनी होगी.

ग्राम पंचायत जिया के प्रधान संजीव कुमार का कहना है कि बिजली महादेव जिला कुल्लू के आराध्य देवता है. यहां पर रोपवे लगाने के लिए देवता ने साफ इनकार किया है. अब सरकार को भी देव वाणी का सम्मान करना चाहिए और इस रोपवे को रद्द करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: चुनाव के बहाने ही सही कांग्रेस को याद तो आए राम- जयराम ठाकुर

बिजली महादेव रोपवे का विरोध फिर से शुरू

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के खराहल घाटी में बिजली महादेव रोपवे का एक बार फिर से विरोध शुरू हो गया. बिजली महादेव मंदिर कमेटी ने डीसी कुल्लू को एक बार फिर से ज्ञापन सौंपा. कमेटी के सदस्यों ने डीसी बिजली महादेव रोपवे को फिर से रद्द किए जाने की मांग की. साथ उन्होंने चेतावनी दी कि अगल ऐसा नहीं हुआ तो खराहल घाटी के ग्रामीण सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने से भी नहीं चुकेंगे.

बिजली महादेव मंदिर कमेटी के पदाधिकारी का कहना है कि पहले इस बिजली महादेव रोपवे को रद्द किया गया था, लेकिन प्रदेश मंत्रिमंडल की कैबिनेट में फिर से इस रूप में को मंजूरी दी गई है. जो खराहल घाटी के लोगों को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है. देवता बिजली महादेव ने भी इस रोपवे के लिए साफ रूप से निर्देश दिए हैं कि उन्हें कोई भी परियोजना अपने इलाके में नहीं चाहिए और खराहल व कशावरी फाटी के लोगों ने भी इस बारे बैठक की थी. ऐसे में सरकार के खिलाफ पहले भी विरोध प्रदर्शन किया गया था. जिसमें कुल्लू का बाजार भी पूरी तरह से बंद रहा था, लेकिन सरकार द्वारा अब फिर से इस रोपवे को मंजूरी दी गई है.

देवता बिजली महादेव के कारदार विनेंद्र जंबाल का कहना है कि इस बारे केंद्र सरकार को भी ज्ञापन भेजा गया है. उनसे भी मांग रखी गई है कि बिजली महादेव में रोपवे ना लगाया जाए. इसके अलावा पूरे हरियान क्षेत्र में भी इस परियोजना के लगने से नाराजगी है. ऐसे में प्रदेश सरकार से आग्रह है कि वह बिजली महादेव रोपवे की मंजूरी को रद्द करें.

बिजली महादेव मंदिर कमेटी के सचिव हेमराज शर्मा का कहना है कि इसमें कुछ लोग राजनीति भी कर रहे हैं. जबकि घाटी के लोगों के लिए देवता का आदेश सर्वोपरि है. सरकार ने अगर इस रोपवे को रद्द नहीं किया तो मजबूरन उन्हें एक बार फिर से आंदोलन की राह अख्तियार करनी होगी.

ग्राम पंचायत जिया के प्रधान संजीव कुमार का कहना है कि बिजली महादेव जिला कुल्लू के आराध्य देवता है. यहां पर रोपवे लगाने के लिए देवता ने साफ इनकार किया है. अब सरकार को भी देव वाणी का सम्मान करना चाहिए और इस रोपवे को रद्द करना चाहिए.

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