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मैदान, पहाड़ और कोल्ड डेजर्ट तक है मंडी का विस्तार, सतलुज और ब्यास को जोड़ती लोकसभा सीट पर प्रचार ने निकाला नेताओं का पसीना - Mandi Lok Sabha Seat

Mandi is the largest parliamentary constituency in Himachal: हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की 4 संसदीय सीट है. इन चारों में क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो मंडी लोकसभा सीट सबसे बड़ा है. मंडी लोकसभा क्षेत्र जितना बड़ा है, उतना ही यहां भौगोलिक परिस्थिति काफी जटिल है. ऐसे में चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों के प्रत्याशी को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है. साथ ही अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों को गांव-गांव जाकर खूब पसीना बहाना पड़ता है. पढ़िए पूरी खबर...

Mandi Lok Sabha seat
मंडी लोकसभा सीट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 28, 2024, 10:26 PM IST

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की मंडी सीट क्षेत्रफल के लिहाज से चारों सीटों से बड़ी है. इस सीट के साथ कई रोमांचकारी बातें जुड़ी हैं. बॉलीवुड 'क्वीन' कंगना रनौत और हिमाचल की राजनीति के राजा कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के चुनाव मैदान में होने के कारण मंडी सीट पर देश भर में चर्चित हो गई है. इसके अलावा मंडी से जुड़े और भी रोचक तथ्य हैं. ये तथ्य भी मंडी निर्वाचन क्षेत्र को चर्चा के केंद्र में लाते हैं. मसलन, इस सीट पर प्रचंड गर्मी वाले मैदानी इलाके हैं तो सर्दी का अहसास करवाने वाले पहाड़ भी.

Mandi Lok Sabha seat
पीएम मोदी ने कंगना रनौत के समर्थन में की रैली (ETV Bharat)

इसी निर्वाचन क्षेत्र के एरिया में सतलुज नदी भी बहती है तो ब्यास नदी की कलकल भी सुनाई देती है. मंडी सीट के तहत ही हिमाचल का कोल्ड डेजर्ट यानी लाहौल स्पीति एरिया भी है. यहां किन्नौर की पहाडिय़ां हैं तो भरमौर की ऊंची चोटियां भी. इस सीट पर राजघरानों की भरमार है तो जनजातीय संस्कृति के भी दर्शन होते हैं. मंडी सीट की इन्हीं लीक से हटकर बातों की चर्चा यहां दर्ज की जाएगी.

क्षेत्रफल के लिहाज से देश की अव्वल सीटों में शुमार
मंडी का विस्तार किन्नौर से भरमौर और सुंदरनगर से रामपुर तक है. कुल 17 विधानसभा क्षेत्र इस सीट के तहत आते हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो ये देश की सबसे बड़ी चुनिंदा सीटों में एक है. क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो यह सीट 34 हजार वर्ग किलोमीटर का विस्तार लिए हुए है. यहां इस बार 13.59 लाख से अधिक मतदाता अपना सांसद चुनेंगे. वैसे क्षेत्रफल के लिहाज से लद्दाख सीट सबसे बड़ी है. लद्दाख लोकसभा सीट का एरिया पौने दो लाख वर्ग किलोमीटर से कुछ ही कम है. उसके बाद राजस्थान का बाड़मेर, फिर गुजरात का कच्छ, अरुणाचल दक्षिण और अरुणाचल पूर्व आता है. फिर 34 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक एरिया के साथ मंडी सीट का नंबर है.

राजघरानों की सीट है मंडी
मंडी लोकसभा सीट में कई राजघराने आते हैं. मंडी, सुकेत, बुशहर, कुल्लू रियासत के राजा इसी सीट से संबंध रखते हैं. सेन राजवंश से लेकर वीरभद्र सिंह और महेश्वर सिंह का परिवार इसी सीट का मतदाता है. इस सीट से राजपरिवार के सदस्यों के निर्वाचन पर नजर डाली जाए तो यहां सेन वंश के शासकों को प्रतिनिधित्व का आरंभ में मौका मिला. 1957 में राजा जोगेंद्र सेन, फिर ललित सेन ने दो बार चुनाव जीता. उसके बाद 1971 में बुशहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह विजयी हुए. 1989 में कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह जीते. 2004 में प्रतिभा सिंह ने सीट जीती थी. इसके अलावा वे दो बार उपचुनाव में भी विजयी रहीं. वर्ष 2009 में वीरभद्र सिंह जीते थे. ऐसे में इस सीट पर राजघरानों का प्रभाव रहा है.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़ी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

गर्म और सर्द इलाकों में कठिन है चुनाव प्रचार
मंडी लोकसभा सीट पर कुछ क्षेत्र काफी गर्म हैं. मैदानी इलाकों में तापमान 38 से 42 डिग्री तक पहुंच जाता है. इन इलाकों में सुंदरनगर, नेरचौक, गोहर, रामपुर, करसोग, सरकाघाट, बल्ह, जोगेंद्र नगर, द्रंग आदि आते हैं. वहीं, पहाड़ी इलाकों में मंडी जिला में जंजैहली, शिकारी देवी, सराज, बालीचौकी आदि क्षेत्र हैं. ये अपेक्षाकृत सामान्य तापमान वाले इलाके हैं. फिर रामपुर गर्म इलाका है तो लाहौल स्पीति, किन्नौर व भरमौर वाला एरिया सर्दी वाला है. यहां कुल 17 विधानसभा क्षेत्रों के गांव-गांव में प्रचार करना कोई आसान काम नहीं है। हालांकि अब हैलीकॉप्टर के जरिए प्रत्याशी व बड़े नेता आसानी से सफर कर लेते हैं, लेकिन चंद दिनों में पूरे मंडी लोकसभा का दौरा करना कठिन है। एक तरफ मंडी सदर सीट है तो दूसरी तरफ मनाली। कहीं किन्नौर है तो कहीं भरमौर के गांव। एक तरफ बंजार का इलाका तो दूसरी तरफ करसोग, रामपुर। यानी एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में प्रत्याशी थक कर चूर हो जाते हैं.

जोगेंद्र नगर सीट पर सबसे अधिक मतदाता
मंडी लोकसभा के तहत जोगेंद्र नगर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक मतदाता है. वैसे मंडी जिला में कुल नौ सीटें इस लोकसभा सीट के तहत आती हैं. धर्मपुर सीट हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत है. यहां नौ सीटों पर 7.94 लाख मतदाता है. अकेले जोगेंद्रनगर विस सीट के मतदाताओं की संख्या एक लाख से अधिक है. ऐसे में गांव-गांव पहुंचना कोई आसान काम नहीं हैं. मंडी सीट के तहत हिमाचल के कुल 12 जिलों में से छह जिले आते हैं. इनमें मंडी, कुल्लू, शिमला, चंबा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति शामिल हैं.

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कंगना रनौत और विक्रमादित्य सिंह में टक्कर (ETV Bharat)

प्रत्याशी चयन और प्रचार में भाजपा आगे
भाजपा ने मंडी लोकसभा सीट पर बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत को उतारा है. कंगना ने उम्मीदवारी मिलते ही प्रचार भी शुरू कर दिया था. कांग्रेस प्रत्याशी चयन को लेकर लेट हो गई थी. कंगना को 24 मार्च को टिकट मिला और उसने तुरंत ही प्रचार भी शुरू कर दिया. विक्रमादित्य सिंह को पार्टी उम्मीदवार बनाने से पहले कांग्रेस में खूब मंथन हुआ. फिर कांग्रेस ने 13 अप्रैल को विक्रमादित्य सिंह को प्रत्याशी बनाया. तब तक कंगना कई इलाकों में घूम चुकी थी. इस चुनाव में कंगना ने प्रचार में पीएम नरेंद्र मोदी के काम और नाम का सहारा लेने के साथ ही विक्रमादित्य सिंह पर निजी हमले भी खूब किए हैं. विक्रमादित्य सिंह को उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में शहजादा, छोटा पप्पू आदि कहा. इसकी शिकायत भी चुनाव आयोग में हुई.

कांग्रेस ने कंगना रनौत से जोड़ा बीफ विवाद
वहीं, कांग्रेस की तरफ से कंगना के खिलाफ बीफ खाने वाले विवाद को उछाला गया. कंगना खुद को हिमाचल की बेटी बताकर मंडयाली बोली में भी जमकर प्रचार कर रही है. वहीं, विक्रमादित्य सिंह के साथ उनके पिता की छवि और राजपरिवार वाला फैक्टर है. साथ ही युवा कैबिनेट मंत्री के रूप में वे हिमाचल के जन-जन से अपना जुड़ाव बता रहे हैं.

Mandi Lok Sabha seat
कंगना रनौत, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के साथ (ETV Bharat)

मंडी सीट पर चुनाव प्रचार आसान नहीं

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार मंडी सीट पर चुनाव प्रचार आसान नहीं है. कारण ये है कि मंडी लोकसभा क्षेत्र में मैदानी और पहाड़ी इलाके आते हैं. यहां एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए प्रत्याशियों को काफी पसीना बहाना पड़ता है. कहां भरमौर और कहां किन्नौर फिर तापमान वैरिएशन का भी इशू है. लेखक-संपादक नवनीत शर्मा के अनुसार हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि किसी-किसी गांव में चार से छह घर ही हैं. जो बड़े गांव भी हैं, उनमें भी आबादी स्कैटर्ड है. कहीं पैदल चलना पड़ता है तो कहीं रास्ता ही इतना संकरा है कि जिसे अभ्यास न हो, वो गिर जाए. ऐसे में मंडी लोकसभा सीट का प्रचार किसी युद्ध में भाग लेने से कम नहीं है.

Mandi Lok Sabha seat
कांग्रेस प्रत्याशी अनुराधा राणा लोगों से मिलते हुए (ETV Bharat)

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के अनुसार अब गांव-गांव में सड़कें हैं. ऐसे में प्रचार पहले के मुकाबले आसान हो गया है और अधिक लोगों से संपर्क भी सहज हो गया है. फिर भी पहाड़ की अपनी दिक्कतें हैं. मंडी सीट तो वैसे भी कई हजार वर्ग किलोमीटर तक फैली है. कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह के अनुसार उनके पिता और छह बार हिमाचल के सीएम रहे वीरभद्र सिंह ने प्रदेश के चप्पे-चप्पे में जाकर पार्टी का प्रचार व प्रसार किया है. वे खुद भी हिमाचल की जनता के साथ निरंतर संपर्क में रहते हैं. मंडी सीट छह जिलों में फैली है और प्रचार के मोर्चे पर भौगोलिक कठिनाइयां तो हैं ही.

ये भी पढ़ें: "RSS प्रचारक मंडी से कंगना के खिलाफ लड़ रहे चुनाव, BJP को करना चाहिए चिंतन"

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की मंडी सीट क्षेत्रफल के लिहाज से चारों सीटों से बड़ी है. इस सीट के साथ कई रोमांचकारी बातें जुड़ी हैं. बॉलीवुड 'क्वीन' कंगना रनौत और हिमाचल की राजनीति के राजा कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के चुनाव मैदान में होने के कारण मंडी सीट पर देश भर में चर्चित हो गई है. इसके अलावा मंडी से जुड़े और भी रोचक तथ्य हैं. ये तथ्य भी मंडी निर्वाचन क्षेत्र को चर्चा के केंद्र में लाते हैं. मसलन, इस सीट पर प्रचंड गर्मी वाले मैदानी इलाके हैं तो सर्दी का अहसास करवाने वाले पहाड़ भी.

Mandi Lok Sabha seat
पीएम मोदी ने कंगना रनौत के समर्थन में की रैली (ETV Bharat)

इसी निर्वाचन क्षेत्र के एरिया में सतलुज नदी भी बहती है तो ब्यास नदी की कलकल भी सुनाई देती है. मंडी सीट के तहत ही हिमाचल का कोल्ड डेजर्ट यानी लाहौल स्पीति एरिया भी है. यहां किन्नौर की पहाडिय़ां हैं तो भरमौर की ऊंची चोटियां भी. इस सीट पर राजघरानों की भरमार है तो जनजातीय संस्कृति के भी दर्शन होते हैं. मंडी सीट की इन्हीं लीक से हटकर बातों की चर्चा यहां दर्ज की जाएगी.

क्षेत्रफल के लिहाज से देश की अव्वल सीटों में शुमार
मंडी का विस्तार किन्नौर से भरमौर और सुंदरनगर से रामपुर तक है. कुल 17 विधानसभा क्षेत्र इस सीट के तहत आते हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो ये देश की सबसे बड़ी चुनिंदा सीटों में एक है. क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो यह सीट 34 हजार वर्ग किलोमीटर का विस्तार लिए हुए है. यहां इस बार 13.59 लाख से अधिक मतदाता अपना सांसद चुनेंगे. वैसे क्षेत्रफल के लिहाज से लद्दाख सीट सबसे बड़ी है. लद्दाख लोकसभा सीट का एरिया पौने दो लाख वर्ग किलोमीटर से कुछ ही कम है. उसके बाद राजस्थान का बाड़मेर, फिर गुजरात का कच्छ, अरुणाचल दक्षिण और अरुणाचल पूर्व आता है. फिर 34 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक एरिया के साथ मंडी सीट का नंबर है.

राजघरानों की सीट है मंडी
मंडी लोकसभा सीट में कई राजघराने आते हैं. मंडी, सुकेत, बुशहर, कुल्लू रियासत के राजा इसी सीट से संबंध रखते हैं. सेन राजवंश से लेकर वीरभद्र सिंह और महेश्वर सिंह का परिवार इसी सीट का मतदाता है. इस सीट से राजपरिवार के सदस्यों के निर्वाचन पर नजर डाली जाए तो यहां सेन वंश के शासकों को प्रतिनिधित्व का आरंभ में मौका मिला. 1957 में राजा जोगेंद्र सेन, फिर ललित सेन ने दो बार चुनाव जीता. उसके बाद 1971 में बुशहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह विजयी हुए. 1989 में कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह जीते. 2004 में प्रतिभा सिंह ने सीट जीती थी. इसके अलावा वे दो बार उपचुनाव में भी विजयी रहीं. वर्ष 2009 में वीरभद्र सिंह जीते थे. ऐसे में इस सीट पर राजघरानों का प्रभाव रहा है.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़ी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

गर्म और सर्द इलाकों में कठिन है चुनाव प्रचार
मंडी लोकसभा सीट पर कुछ क्षेत्र काफी गर्म हैं. मैदानी इलाकों में तापमान 38 से 42 डिग्री तक पहुंच जाता है. इन इलाकों में सुंदरनगर, नेरचौक, गोहर, रामपुर, करसोग, सरकाघाट, बल्ह, जोगेंद्र नगर, द्रंग आदि आते हैं. वहीं, पहाड़ी इलाकों में मंडी जिला में जंजैहली, शिकारी देवी, सराज, बालीचौकी आदि क्षेत्र हैं. ये अपेक्षाकृत सामान्य तापमान वाले इलाके हैं. फिर रामपुर गर्म इलाका है तो लाहौल स्पीति, किन्नौर व भरमौर वाला एरिया सर्दी वाला है. यहां कुल 17 विधानसभा क्षेत्रों के गांव-गांव में प्रचार करना कोई आसान काम नहीं है। हालांकि अब हैलीकॉप्टर के जरिए प्रत्याशी व बड़े नेता आसानी से सफर कर लेते हैं, लेकिन चंद दिनों में पूरे मंडी लोकसभा का दौरा करना कठिन है। एक तरफ मंडी सदर सीट है तो दूसरी तरफ मनाली। कहीं किन्नौर है तो कहीं भरमौर के गांव। एक तरफ बंजार का इलाका तो दूसरी तरफ करसोग, रामपुर। यानी एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में प्रत्याशी थक कर चूर हो जाते हैं.

जोगेंद्र नगर सीट पर सबसे अधिक मतदाता
मंडी लोकसभा के तहत जोगेंद्र नगर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक मतदाता है. वैसे मंडी जिला में कुल नौ सीटें इस लोकसभा सीट के तहत आती हैं. धर्मपुर सीट हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत है. यहां नौ सीटों पर 7.94 लाख मतदाता है. अकेले जोगेंद्रनगर विस सीट के मतदाताओं की संख्या एक लाख से अधिक है. ऐसे में गांव-गांव पहुंचना कोई आसान काम नहीं हैं. मंडी सीट के तहत हिमाचल के कुल 12 जिलों में से छह जिले आते हैं. इनमें मंडी, कुल्लू, शिमला, चंबा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति शामिल हैं.

Mandi Lok Sabha seat
कंगना रनौत और विक्रमादित्य सिंह में टक्कर (ETV Bharat)

प्रत्याशी चयन और प्रचार में भाजपा आगे
भाजपा ने मंडी लोकसभा सीट पर बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत को उतारा है. कंगना ने उम्मीदवारी मिलते ही प्रचार भी शुरू कर दिया था. कांग्रेस प्रत्याशी चयन को लेकर लेट हो गई थी. कंगना को 24 मार्च को टिकट मिला और उसने तुरंत ही प्रचार भी शुरू कर दिया. विक्रमादित्य सिंह को पार्टी उम्मीदवार बनाने से पहले कांग्रेस में खूब मंथन हुआ. फिर कांग्रेस ने 13 अप्रैल को विक्रमादित्य सिंह को प्रत्याशी बनाया. तब तक कंगना कई इलाकों में घूम चुकी थी. इस चुनाव में कंगना ने प्रचार में पीएम नरेंद्र मोदी के काम और नाम का सहारा लेने के साथ ही विक्रमादित्य सिंह पर निजी हमले भी खूब किए हैं. विक्रमादित्य सिंह को उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में शहजादा, छोटा पप्पू आदि कहा. इसकी शिकायत भी चुनाव आयोग में हुई.

कांग्रेस ने कंगना रनौत से जोड़ा बीफ विवाद
वहीं, कांग्रेस की तरफ से कंगना के खिलाफ बीफ खाने वाले विवाद को उछाला गया. कंगना खुद को हिमाचल की बेटी बताकर मंडयाली बोली में भी जमकर प्रचार कर रही है. वहीं, विक्रमादित्य सिंह के साथ उनके पिता की छवि और राजपरिवार वाला फैक्टर है. साथ ही युवा कैबिनेट मंत्री के रूप में वे हिमाचल के जन-जन से अपना जुड़ाव बता रहे हैं.

Mandi Lok Sabha seat
कंगना रनौत, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के साथ (ETV Bharat)

मंडी सीट पर चुनाव प्रचार आसान नहीं

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार मंडी सीट पर चुनाव प्रचार आसान नहीं है. कारण ये है कि मंडी लोकसभा क्षेत्र में मैदानी और पहाड़ी इलाके आते हैं. यहां एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए प्रत्याशियों को काफी पसीना बहाना पड़ता है. कहां भरमौर और कहां किन्नौर फिर तापमान वैरिएशन का भी इशू है. लेखक-संपादक नवनीत शर्मा के अनुसार हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि किसी-किसी गांव में चार से छह घर ही हैं. जो बड़े गांव भी हैं, उनमें भी आबादी स्कैटर्ड है. कहीं पैदल चलना पड़ता है तो कहीं रास्ता ही इतना संकरा है कि जिसे अभ्यास न हो, वो गिर जाए. ऐसे में मंडी लोकसभा सीट का प्रचार किसी युद्ध में भाग लेने से कम नहीं है.

Mandi Lok Sabha seat
कांग्रेस प्रत्याशी अनुराधा राणा लोगों से मिलते हुए (ETV Bharat)

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के अनुसार अब गांव-गांव में सड़कें हैं. ऐसे में प्रचार पहले के मुकाबले आसान हो गया है और अधिक लोगों से संपर्क भी सहज हो गया है. फिर भी पहाड़ की अपनी दिक्कतें हैं. मंडी सीट तो वैसे भी कई हजार वर्ग किलोमीटर तक फैली है. कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह के अनुसार उनके पिता और छह बार हिमाचल के सीएम रहे वीरभद्र सिंह ने प्रदेश के चप्पे-चप्पे में जाकर पार्टी का प्रचार व प्रसार किया है. वे खुद भी हिमाचल की जनता के साथ निरंतर संपर्क में रहते हैं. मंडी सीट छह जिलों में फैली है और प्रचार के मोर्चे पर भौगोलिक कठिनाइयां तो हैं ही.

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