धमतरी: शारदीय नवरात्रि खत्म हो चुकी है. इसके साथ ही हर जगह ज्योत जवारा विसर्जन किया जा रहा है. धमतरी में दशहरा के दूसरे दिन मंदर माई की ज्योत जवारा का विसर्जन किया गया. हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल हुए. 108 कुंवारी कन्या इसमें शामिल हुई. मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि मंदर माई की महिमा अपरंपार है. पंचमी के दिन माता दर्शन देती है और विजयादशमी के दूसरे दिन जंवारा विसर्जन की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है.
जवारा विसर्जन की रही धूम : धमतरी शहर के मराठापारा में रविवार शाम पूरी श्रद्धा के साथ मां मंदर माई मंदिर से जवारा और कलश की शोभायात्रा निकाली गई. जवारा विसर्जन के दौरान भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था. मां मंदरमाई की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद ज्योत विसर्जन का कार्यक्रम शुरू किया गया. कलश यात्रा मराठापारा से शुरू हुई, जो सदर रोड, रामबाग होते हुए बिलाईमाता मंदिर से शीतला मंदिर पहुंची. मेमेसागर तालाब में कलश और जवारा की पूजा करने के बाद इसका विसर्जन किया गया.
आस-पास के लोग होते हैं शामिल: इस दौरान मराठापारा और अन्य स्थानों पर लोगों ने पूजा की थाल सजाकर जवारा की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की. शोभायात्रा के दौरान बाना धारण करने वाले युवा आकर्षण का केन्द्र रहे. मांदर की थाप पर कई किशोरी, बालिका और महिलाएं झूमती नजर आईं. इस बारे में मंदिर समिति सदस्य शंकर यादव ने बताया कि सालों से मंदरमाई की पूजा की जा रही है. यहां पर पीढ़ी दर पीढ़ी जवारा की परंपरा का निर्वाह आज तक किया जा रहा है. माता का प्रताप है कि लोग दूर-दूर से मनोकामना ज्योत प्रज्जवलित करने के लिए आते हैं. इस आयोजन में धमतरी सहित आसपास के गांव से माता के भक्त ज्योत जवारा में शामिल होने पहुंचते हैं.
मंदर माई मंदिर में परंपरा अनुसार पंचमी के दिन से नवरात्र मनाया जाता है. मंदिर में भक्त मनोकामना ज्योत जलवाते हैं.पांच दिनों तक माता की आराधना के बाद एकादशी के दिन विसर्जन यात्रा निकाली जाती है: नीलू पवार, पार्षद, मराठापारा वार्ड
दूर-दूर से मनोकामना लेकर आते हैं भक्त: बता दें कि इसमें शामिल कुंवारी कन्याएं सिर पर कलश लेकर चलती हैं. बताया जा रहा है कि साल में एक बार भक्तों को दर्शन देने झांपी से मां मंदर माई बाहर आती हैं. माता का प्रताप है कि लोग दूर-दूर से यहां मनोकामना ज्योत जलाने आते हैं.