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कैंची धाम मेला: बाबा नीब करौली महाराज के कैंची धाम में बंट रहा मालपुए का प्रसाद, जानें क्या है मान्यता - Neem Karauli Dham Prasad

Uttarakhand Neem Karauli Dham बाबा नीम धाम में प्रसाद के रूप में मालपुए बांटे जाते हैं. मान्यता के अनुसार मालपुआ प्रसाद के पीछे भी बाबा का चमत्कार बताया जाता है. प्रसाद पाने के लिए हर साल बड़ी तादाद में श्रद्धालु प्रसिद्ध कैंची धाम मेले में पहुंचते हैं.

Devotees taking Malpua Prasad at Kainchi Dham
कैंची धाम में मालपुए प्रसाद लेते श्रद्धालु (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 15, 2024, 1:21 PM IST

कैंची धाम में मालपुए प्रसाद का है विशेष महत्व (वीडियो- ईटीवी भारत)

हल्द्वानी: नैनीताल के प्रसिद्ध कैंची धाम के मेले का आयोजन चल रहा है. हर साल 15 जून को कैंची धाम मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है. आज मंदिर की स्थापना दिवस के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा नीम करौली महाराज का दर्शन करने पहुंचे हुए हैं. लेकिन खास बात यह है कि बाबा नीब करौली के दर्शन करने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में मालपुआ का प्रसाद दिया जाता है और मालपुआ प्रसाद के पीछे भी बाबा का चमत्कार बताया जाता है.

मालपुआ प्रसाद बाबा नीम करौली महाराज का दिव्या प्रसाद बताया जाता है. यही कारण है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद लोग अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. मंदिर समिति द्वारा मंदिर में पहुंचने वाले लोगों के लिए मालपुआ और आलू की सब्जी की प्रसाद की व्यवस्था की जाती है. बाबा नीम करौली महाराज का चमत्कार कारण है कि आज लाखों की संख्या में बाबा नीम करौली के श्रद्धालु उनके दर्शन करने पहुंच रहे हैं और बाबा के भक्तों में देश-विदेश के नामी हस्तियां भी शामिल हैं.

मान्यता है कि बाबा नीम करौली महाराज जब अपने मंदिर की स्थापना दिवस पर मालपुआ का प्रसाद बनवा रहे थे. उस दौरान प्रसाद के लिए घी कम पड़ गया तो बाबा के भक्तों ने बाबा से घी की डिमांड की, जहां बाद बाबा ने कहा कि घी आने में अभी देरी है, लेकिन उससे पहले आप मंदिर के पास से बहने वाली नदी से एक बाल्टी पानी लेकर आओ और कढ़ाई में डाल दो, इसके बाद बाबा के भक्त नदी से एक बाल्टी पानी लेकर कढ़ाई में डाला तो पानी घी बन गया और तभी से मालपुआ प्रसाद में देने की प्रथा शुरू हुई.

हर साल 15 जून को कैंची धाम के मेले में भक्तों को मालपुआ देने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है. आटा, घी, गुड़, सौंफ और कालीमिर्च से बनने वाले मालपुए को प्रसाद के रूप में बांटने की इच्छा स्वयं नीब करौरी महाराज ने की थी. 15 जून को कैंची धाम स्थापना दिवस का है. उतना ही महत्व यहां मिलने वाले मालपुआ के प्रसाद का भी है. मालपुआ बनाने पिछले तीन दिनों से चल रहा है. इसे बनाने के कड़े नियम है.

शुद्ध देशी घी से मालपुए बनाने में वही श्रद्धालु भाग ले सकता है, जो व्रत पर हो और धोती, कुर्ता धारण कर उस अवधि में लगातार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हों. कैंची धाम के प्रसाद की महत्ता इतनी है कि इसे पाने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से मंदिर में पहुंचते हैं. जो लोग यहां नहीं पहुंच पाते हैं वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के माध्यम से प्रसाद मंगवाते हैं. इस माध्यम से कैंची धाम का प्रसाद देश के कोने कोने तक पहुंचता है.

पढ़ें-बाबा नीब करौरी कैंची धाम के स्थापना दिवस पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर, कई किमी लंबी लाइन

कैंची धाम में मालपुए प्रसाद का है विशेष महत्व (वीडियो- ईटीवी भारत)

हल्द्वानी: नैनीताल के प्रसिद्ध कैंची धाम के मेले का आयोजन चल रहा है. हर साल 15 जून को कैंची धाम मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है. आज मंदिर की स्थापना दिवस के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा नीम करौली महाराज का दर्शन करने पहुंचे हुए हैं. लेकिन खास बात यह है कि बाबा नीब करौली के दर्शन करने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में मालपुआ का प्रसाद दिया जाता है और मालपुआ प्रसाद के पीछे भी बाबा का चमत्कार बताया जाता है.

मालपुआ प्रसाद बाबा नीम करौली महाराज का दिव्या प्रसाद बताया जाता है. यही कारण है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद लोग अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. मंदिर समिति द्वारा मंदिर में पहुंचने वाले लोगों के लिए मालपुआ और आलू की सब्जी की प्रसाद की व्यवस्था की जाती है. बाबा नीम करौली महाराज का चमत्कार कारण है कि आज लाखों की संख्या में बाबा नीम करौली के श्रद्धालु उनके दर्शन करने पहुंच रहे हैं और बाबा के भक्तों में देश-विदेश के नामी हस्तियां भी शामिल हैं.

मान्यता है कि बाबा नीम करौली महाराज जब अपने मंदिर की स्थापना दिवस पर मालपुआ का प्रसाद बनवा रहे थे. उस दौरान प्रसाद के लिए घी कम पड़ गया तो बाबा के भक्तों ने बाबा से घी की डिमांड की, जहां बाद बाबा ने कहा कि घी आने में अभी देरी है, लेकिन उससे पहले आप मंदिर के पास से बहने वाली नदी से एक बाल्टी पानी लेकर आओ और कढ़ाई में डाल दो, इसके बाद बाबा के भक्त नदी से एक बाल्टी पानी लेकर कढ़ाई में डाला तो पानी घी बन गया और तभी से मालपुआ प्रसाद में देने की प्रथा शुरू हुई.

हर साल 15 जून को कैंची धाम के मेले में भक्तों को मालपुआ देने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है. आटा, घी, गुड़, सौंफ और कालीमिर्च से बनने वाले मालपुए को प्रसाद के रूप में बांटने की इच्छा स्वयं नीब करौरी महाराज ने की थी. 15 जून को कैंची धाम स्थापना दिवस का है. उतना ही महत्व यहां मिलने वाले मालपुआ के प्रसाद का भी है. मालपुआ बनाने पिछले तीन दिनों से चल रहा है. इसे बनाने के कड़े नियम है.

शुद्ध देशी घी से मालपुए बनाने में वही श्रद्धालु भाग ले सकता है, जो व्रत पर हो और धोती, कुर्ता धारण कर उस अवधि में लगातार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हों. कैंची धाम के प्रसाद की महत्ता इतनी है कि इसे पाने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से मंदिर में पहुंचते हैं. जो लोग यहां नहीं पहुंच पाते हैं वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के माध्यम से प्रसाद मंगवाते हैं. इस माध्यम से कैंची धाम का प्रसाद देश के कोने कोने तक पहुंचता है.

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