मैहर। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मैहर के त्रिकूट पर्वत पर विराजमान जगत जननी मां शारदा देवी का विशेष श्रृंगार हुआ. मां शारदा के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां देर रात से ही पहुंचना शुरू हो गए थे. मंगलवार सुबह पट खुलने के बाद विशेष आरती हुई. मैहर में नवरात्रि का मेला भी शुरू हो गया है. नवरात्र के दौरान माता के 9 दिन तक नौ रूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की गई. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंद माता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवम दिन सिद्धिदात्री की आराधना की जाएगी.
मां शारदा की पूजा सबसे पहले करते हैं आल्हा
मां शारदा मंदिर के पुजारी नितिन पांडे के मुताबिक "आल्हा आज भी माता का सबसे पहले पूजन करते हैं. माता शारदा के प्रथम भक्त आल्हा हैं, जिन्हें माता ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अमरता का वरदान दिया था. आज भी माता शारदा के दर्शन के बाद आल्हा के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है, नहीं तो दर्शन पूर्ण नहीं होते." बता दें कि आल्हा महोबा के राजा थे, जोकि मां शारदा के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं. मैहर नवरात्रि के मेले में माता के दर्शन के लिए प्रतिदिन 2 लाख से भी ज्यादा भक्त पहुंचते हैं. प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश से लोग मैहर में मां के दर्शन करने आते हैं. अधिकतर लोग पैदल यात्रा करते हैं. दिन-रात चलकर माता के जयकारे के साथ मैहर पहुंचते हैं.
मैहर स्टेशन रोड पर निः शुल्क भोजन प्रसादी
मैहर के स्टेशन रोड पर माई की रसोई के नाम से निःशुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई है. इसे पुजारी परिवार के बड़े पुत्र पंडित धीरज पांडे द्वारा संचालित किया जा रहा है. दर्शनार्थियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन एवं मां शारदा मंदिर प्रबंध समिति ने व्यापक इंतजाम किए हैं. रेलवे ने भी यात्रियों को अतिरिक्त ट्रेनों के स्टॉपेज की सौगात दी है. बड़ी संख्या में ट्रेनों से भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.