महाराजगंज: 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराजगंज लोकसभा सीट पर सीधी टक्कर है. एक तरफ NDA के बैनर तले बीजेपी के जनार्दन सिंह ने लगातार तीसरी जीत के लिए एड़ी-चोटी एक कर दिया है तो महागठबंधन की ओर से बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर अपने बेटे आकाश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. सिग्रीवाल या आकाश कौन बनेगा महाराजगंज का 'महाराज' ? जानते हैं महाराजगंज लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा सियासी समीकरण.
महाराजगंज सीट का इतिहासः देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के चुनाव लड़ने के बाद चर्चा में रहे इस लोकसभा सीट पर राजपूत प्रत्याशियों का ही सिक्का चलता है. चुनावी नतीजे भी इसकी गवाही देते हैं. चंद्रशेखर, रामबहादुर सिंह, प्रभुनाथ सिंह जैसे बड़े नामों ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है तो पिछले दो चुनावों से बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल बाजी मारते आ रहे हैं.
NDA Vs INDI गठबंधन में मुकाबला: इस बार लोकसभा चुनाव में महाराजगंज सीट पर भी NDA और INDI गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं. NDA की ओर से बीजेपी के मौजूदा सांसद जनार्दन सिग्रीवाल एक बार फिर मैदान में हैं तो महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के आकाश सिंह उन्हें चुनौती दे रहे हैं.
बाहुबली प्रभुनाथ सिंह का गढ़ था कभीः महाराजगंज लोकसभा सीट को कभी बाहुबली प्रभुनाथ सिंह का गढ़ माना जाता था.प्रभुनाथ सिंह ने यहां से 1998, 1999 और 2004 में यानी लगातार तीन बार जीत दर्ज की तो 2013 के उपचुनाव में भी जीतकर महाराजगंज से सबसे अधिक बार जीतने का रिकॉर्ड बनाया.
पिछले दो चुनावों से लहरा रहा है भगवाः पिछले दो चुनावों से महाराजगंज लोकसभा सीट पर भगवा लहरा रहा है. 2014 में बीजेपी के जनार्दन सिग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को हराकर उनका गढ़ छीना तो 2019 में प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह को मात देकर लगातार दूसरी जीत दर्ज की. इस बार भी सिग्रीवाल बुलंद हौसलों के साथ महाराजगंज में ताल ठोक रहे हैं.
महाराजगंज लोकसभा सीटः 2009 से अब तकः इस सीट पर 2009 में हुए चुनाव में आरजेडी के उमाशंकर सिंह ने जेडीयू के प्रभुनाथ सिंह को हराकर जीत दर्ज की. हालांकि उमाशंकर सिंह के निधन के बाद 2013 में प्रभुनाथ सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल कर फिर कब्जा कर लिया, लेकिन इस बार उनकी पार्टी बदल चुकी थी और आरजेडी कैंडिडेट के रूप में उन्होंने जेडीयू के पी के शाही को मात दी.
2014 में NDA से अलग हुआ जेडीयूः 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू और बीजेपी की राहें अलग-अलग थीं और महाराजगंज के नये महाराज बने जनार्दन सिंह सिग्रीवाल जिन्होंने आरजेडी के टिकट पर खड़े प्रभुनाथ सिंह को मात दी. 2019 की बात करें तो इस बार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने आरजेडी कैंडिडेट और प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को चुनावी समर में शिकस्त दी.
महाराजगंजः बिहार का दूसरा 'चित्तौड़गढ़': औरंगाबाद के बाद महाराजगंज को बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. सिवान जिले में पड़नेवाले इस लोकसभा सीट में 6 विधानसभा सीट हैं. जिनमें सिवान जिले की 2 और सारण जिले की 4 विधानसभा सीटें शामिल हैं. जिनमें गोरियाकोठी और तरैया सीटों पर बीजेपी का कब्जा है जबकि एकमा और बनियापुर से आरजेडी के विधायक हैं. वहीं महाराजगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस और मांझी विधानसभा सीट पर सीपीएम का कब्जा है.
महाराजगंज में में जातिगत समीकरण : महाराजगंज में मतदाताओं की कुल संख्या 19 लाख 31 हजार 8 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 6 हजार 87 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 24 हजार 921 है.जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक राजपूत मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब 4 लाख 38 हजार है
दूसरे नंबर पर हैं भूमिहार: महाराजगंज लोकसभा सीट पर भूमिहार मतदाताओं की संख्या भी 4 लाख से ज्यादा है. इसके अलावा 2 लाख 75 हजार ब्राह्मण और करीब ढाई लाख यादव मतदाता हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 75 हजार है तो कुर्मी-कोइरी, एससी-एसटी और वैश्य मतदाता भी 3 लाख 90 हजार के पार हैं.
क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे सिग्रीवाल ?: पीएम के बिहार दौरे तक महाराजगंज की चुनावी चौसर बेहद ही दिलचस्प होनेवाली थी क्योंकि इस इलाके में भूमिहारों पर अच्छी पकड़ रखनेवाले एमएलसी सच्चिदानंद राय ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ने का एलान किया था. लेकिन सारण में आयोजित पीएम की रैली में सच्चिदानंद राय ने न सिर्फ मंच साझा किया बल्कि लोगों से बीजेपी का समर्थन करने की भी अपील की.
रणधीर सिंह ने ज्वाइन की जेडीयूः इससे पहले आरजेडी से बागी होकर चुनाव लड़ने का एलान करनेवाले रणधीर सिंह ने भी जेडीयू का दामन थाम कर जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की राह काफी आसान कर दी है. हालांकि महागठबंधन ने इस बार महाराजगंज से भूमिहार कार्ड खेला है और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है.
जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं सिग्रीवालः व्यक्तिगत तौर पर जनार्दन सिंह को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है. इलाके के लोगों का मानना है कि सिग्रीवाल सर्वसुलभ हैं. साफ-सुथरी छवि और इलाके के लोगों के बीच सहज उपलब्धता जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का मजबूत पक्ष है. इसके अलावा पिछले सप्ताह तेजी से बदलते समीकरणों के कारण भी वे जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं. हालांकि महागठबंधन ने भी यहां चुनाव प्रचार में काफी जोर लगाया है और जीत का दावा कर रहा है.
'जनार्दन सिंह सिग्रीवाल अच्छे आदमी हैं. जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. लोगों के सुख-दुःख में शामिल रहते हैं. आकाश सिंह अभी इस इलाके के लिए नये हैं. उनके बारे में जानेंगे-समझेंगे तब न कुछ कहा जा सकता है." मुकुल कुमार,स्थानीय निवासी, महाराजगंज
"वो जमीनी नेता हैं और प्रभुनाथ सिंह को भी हराया है. काम अच्छा करते हैं, जनता के बीच रहते हैं. कोई भी अपना काम लेकर जाता है तो उससे मिलते जरूर हैं." विनय कुमार, स्थानीय निवासी, महाराजगंज
25 मई को वोटिंग, 4 जून को आएगा रिजल्टः लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को महाराजगंज लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी और फिर 4 जून को सभी लोकसभा सीटों के साथ ही महाराजगंज लोकसभा सीट का भी रिजल्ट आएगा. तो कीजिए बस थोड़ा सा इंतजार, देखते हैं किसकी होती है जीत और किसकी होती है हार.