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सावन के पहले सोमवार पर औरैया, महराजगंज, रायबरेली, फर्रुखाबाद समेत सभी जिलों के शिवालयों में भीड़, जलाभिषेक कर मांगा आशीर्वाद - sawan 2024

यमुना किनारे स्थित महाकालेश्वर (देवकली मंदिर) हर हर महादेव (sawan 2024) के उद्घोष से गुंजायमान है. कभी यहां दस्युओं का बोलबाला था. मान्यता है कि प्रतिवर्ष इस शिवलिंग का अपने आप एक जौ के दाने के बराबर बढ़ना भी इसकी एक खूबी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 8:04 AM IST

Updated : Jul 22, 2024, 1:25 PM IST

बीहड़ का देवकली मंदिर
बीहड़ का देवकली मंदिर (Photo credit: ETV Bharat)
बीहड़ के देवकली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ (Video credit: ETV Bharat)

औरैया/महराजगंज/रायबरेली/फर्रुखाबाद : आज सावन का पहला सोमवार है. जनपद के बीहड़ में यमुना नदी किनारे स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर देवकली में पूरे प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ की आराधना को पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां जो भी श्रद्धा के साथ मन्नत मांगते हैं, भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.

यूं तो सावन में सभी शिव देवालयों में पूजा-अर्चना शुरू हो चुकी है, लेकिन यूपी के औरैया जिले में यमुना नदी के किनारे बीहड़ घाटी में स्थित महाकालेश्वर यानी की देवकली मंदिर का कुछ अलग ही नजारा है. यह मंदिर औरैया और इसके आस-पास के जिलों में इसलिए चर्चा का विषय रहा है कि इस मंदिर पर पहले कई नामी-इनामी डाकू घंटा चढ़ाकर बाबा भोले नाथ से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा अर्चना कर चुके हैं. दस्यु के समय में कोई भी आम नागरिक वहां जाने की सोच भी नहीं सकता था, उस समय इस मंदिर और बीहड़ में सिर्फ और सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन आज सावन के पहले सोमवार को औरैया जनपद में सिर्फ हर हर महादेव और बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. मंदिर का प्राचीनतम इतिहास भी इसे विशेष बनाता है. लोगों का मानना है कि प्रतिवर्ष इस शिवलिंग का अपने आप एक जौ के दाने के बराबर बढ़ना भी इसकी एक खूबी है.

एक जमाने में गूंजती थी गोलियों की तड़तड़ाहट : यूपी का औरैया जनपद जोकि बीहड़ांचल के नाम से भी जाना जाता है. यह जनपद बीहड़ घाटी के साथ ही कुछ दशक पूर्व यहां के दस्यु की वजह से भी जाना जाता है. यहां पर यमुना नदी के किनारे बाबा महाकालेश्वर यानि की देवकली मंदिर स्थित है, जो यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है. एक समय ऐसा भी था जब इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन को आम लोग तरसते थे, क्योकि यहां सिर्फ और सिर्फ दस्यु का ही बोलबाला था. मंदिर में जयकारों की जगह सिर्फ गोलियों कि तड़तड़ाहट की गूंज ही सुनाई देती थी, लेकिन समय बदलने के साथ ही दस्यु के खत्म हो जाने पर अब इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है.

कन्नौज के राजा जयचंद ने कराया था मंदिर का निर्माण : बताया जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी बहन देवकला के नाम से इस मंदिर का निर्माण कराया था. यह विश्व का एक मात्र शिव मंदिर जो किसी स्त्री के नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर के शिवलिंग की लम्बाई लगभग 3 या साढ़े 3 फुट की होगी और चौड़ाई तो आज तक कोई भी नाप नहीं सका है. सावन में आसपास के जनपदों जैसे जालौन, कानपुर देहात, कानपुर नगर, इटावा, आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद तक से भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए आती है.

मंदिर कमेटी के सदस्य गौरव मिश्रा ने बताया कि देवकली मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन में बेलपत्र और जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, बाबा भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं. वहीं, मंदिर में सावन में प्रदेश भर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं.



कई थानों के फोर्स तैनात : सावन में देवकली मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. औरैया एसपी चारू निगम के निर्देशन में जनपद के कई थानों की फोर्स सुरक्षा के लिए मंदिर में तैनात है. वहीं, कुछ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सादी वर्दी में लगाई गई है.

महराजगंज में इटहिया धाम शिव मंदिर से भी जुड़ी है रोचक कहानी : भारत नेपाल सीमा से सटे मिनी बाबा धाम से मशहूर नेपाल बॉर्डर पर स्थित इटहिया धाम शिव मंदिर पर पूरे सावन में भक्तों का तांता लगा रहता है. पड़ोसी राज्य बिहार और पूर्वांचल से हजारों भक्त यहां कांवड़ लेकर पहुंचते हैं. मंदिर के व्यवस्थापक मुन्ना गिरी का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर की स्थापना की गई थी. यहां सुरक्षा की दृष्टिकोण से करीब 300 पुलिस कर्मी तैनात हैं. सावन में यहां मेला लगता है. मंदिर की स्थापना लगभग 1968 में हुई थी.

इटहिया शिव मंदिर के प्रादुर्भाव की कहानी निचलौल इस्टेट के राजा रहे वृषभसेन से जुड़ी है. वृषभसेन निचलौल स्टेट के प्रतापी व न्यायप्रिय राजा थे. वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. उनकी गोशाला में नंदिनी नाम की एक गाय थी. नंदिनी भी अन्य गायों के साथ जंगल में प्रतिदिन चरने जाती थी. इसी बीच गाय ने दूध देना बन्द कर दिया. वह अपना दूध जंगल की घनी झाड़ियों पर चढ़ाने लगी. राजा ने खोदाई कराई तो वहां शिवलिंग मिला. इसके बाद इसकी पूजा से राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. उसका नाम उन्होंने रतनसेन रखा. तभी से निचलौल की धरती रत्नसेन के नाम से विख्यात है. मन्दिर ट्रस्ट प्रशासन के नाम से है.

रायबरेली में भी शिवालयों पर उमड़ी भीड़ : रायबरेली में भी पहले सोमवार के दिन शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है. शहर के चंदापुर कोठी में स्थित प्राचीन जग मोहनेश्वर धाम मंदिर में काफी भीड़ रही. जनपद के अन्य बड़े मंदिरों बालेश्वर व भवरेश्वर धाम इत्यादि के साथ छोटे मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ देखी गई. गंगागंज स्थित आस्तिकन धाम मंदिर में सावन के पहले सोमवार से पूरे सावन भर मेला आयोजित होता है.

फर्रुखाबाद में उबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरे शिवभक्त : फर्रुखाबाद जिले में रविवार देर रात्रि से ही गंगा जल भरकर शिवभक्तों के शिवालयों में पहुंचने का सिलसिला जारी है. लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्णनाथ समेत अन्य शिव स्थानों से गंगा जल लाए जा रहे हैं. शिवभक्त हृदेश सिंह ने बताया कि जनपद मैनपुरी के कावड़िया पांचालघाट गंगा तट से काबड़ में जल भरकर ला रहे हैं. इटावा-बरेली हाईवे 730 पर गड्ढों व कंक्रीट युक्त उबड़ खाबड़ रास्ते से गुजरना पड़ा. NHAI के अधिकारियों ने जनपद की सीमा में करीब 40 किमी तक हाईवे के गड्ढे नहीं भरवाए.

कुशीनगर में बोल बम के जयकारों की गूंज : कुशीनगर में जटहा बाजार स्थित नारायणी नदी से जल लेकर बोल बम कांवरिया संघ का जत्था सोमनाथ के बाबा सिद्धनाथ मदिरं परिसर से होता हुआ देवघर के लिए रवाना हुआ. श्री बाबा सिद्धनाथ चल कांवरिया शिव धाम के बैनर तले बंका कुशवाहा के नेतृत्व में जटहा स्थित नारायणी नदी पहुंच जल भरकर पवित्रधाम बाबा सिद्ध नाथ पहुंचा. देर शाम श्रद्धालुओं का जत्था झारखंड स्थित देवघर के लिए रवाना हुआ. हर सड़क पर शिवभक्तों की गूंज सुनाई दे रही थी.

कुशीनगर से निकलने वाले इस पहले जत्थे में अजय गुप्ता, राजेश कुशवाहा, अंगद कुशवाहा, संदीप कुशवाहा, आनंद श्रीवास्तव, बाबूलाल मद्धेशिया, आनंद वर्मा, लाल बहादुर, मनोज कुशवाहा, विवेक गुप्ता, महेंद्र कुशवाहा, उमेश गुप्ता, मैनेजर कुशवाहा, सोनू वर्मा, आदित्य वर्मा, अभिषेक मद्धेशिया, अशोक, छोटेलाल, मुकेश, राजेश मद्धेशिया, नीरज, प्रदीप कुशवाहा आदि थे.

ज्योतिर्विद हरिओम मिश्र के अनुसार सावन का पहला सोमवार सिद्धि योग, श्रवण नक्षत्र में 22 जुलाई को पड़ा. दूसरा सोमवार 29 को, तीसरा पांच अगस्त को, चौथा 12 को और पांचवां 19 अगस्त को पड़ेगा. 19 को रक्षाबंधन पर्व भी मनाया जाएगा. पवित्र सावन का पहला प्रदोष एक अगस्त को और दूसरा प्रदोष 17 अगस्त को रहेगा. ज्योतिषाचार्य राजकिशोर मिश्र के अनुसार सावन माह में प्रत्येक मंगलवार को महिलाएं मां पार्वती की आराधना कर मंगला गौरी का व्रत रखती हैं.

यह भी पढ़ें : हरिद्वार से 235 लीटर गंगाजल लेकर पैदल ही बागपत पहुंचा शिव भक्त, बुजुर्ग दादी को कराएगा स्नान - Kanwar Yatra 2024

यह भी पढ़ें : इस बार खास है सावन, प्रीति योग, आयुष्मान योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में बरसेगी भोले की कृपा, जानिए पूजन का तरीका - Sawan 2024

बीहड़ के देवकली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ (Video credit: ETV Bharat)

औरैया/महराजगंज/रायबरेली/फर्रुखाबाद : आज सावन का पहला सोमवार है. जनपद के बीहड़ में यमुना नदी किनारे स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर देवकली में पूरे प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ की आराधना को पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां जो भी श्रद्धा के साथ मन्नत मांगते हैं, भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.

यूं तो सावन में सभी शिव देवालयों में पूजा-अर्चना शुरू हो चुकी है, लेकिन यूपी के औरैया जिले में यमुना नदी के किनारे बीहड़ घाटी में स्थित महाकालेश्वर यानी की देवकली मंदिर का कुछ अलग ही नजारा है. यह मंदिर औरैया और इसके आस-पास के जिलों में इसलिए चर्चा का विषय रहा है कि इस मंदिर पर पहले कई नामी-इनामी डाकू घंटा चढ़ाकर बाबा भोले नाथ से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा अर्चना कर चुके हैं. दस्यु के समय में कोई भी आम नागरिक वहां जाने की सोच भी नहीं सकता था, उस समय इस मंदिर और बीहड़ में सिर्फ और सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन आज सावन के पहले सोमवार को औरैया जनपद में सिर्फ हर हर महादेव और बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. मंदिर का प्राचीनतम इतिहास भी इसे विशेष बनाता है. लोगों का मानना है कि प्रतिवर्ष इस शिवलिंग का अपने आप एक जौ के दाने के बराबर बढ़ना भी इसकी एक खूबी है.

एक जमाने में गूंजती थी गोलियों की तड़तड़ाहट : यूपी का औरैया जनपद जोकि बीहड़ांचल के नाम से भी जाना जाता है. यह जनपद बीहड़ घाटी के साथ ही कुछ दशक पूर्व यहां के दस्यु की वजह से भी जाना जाता है. यहां पर यमुना नदी के किनारे बाबा महाकालेश्वर यानि की देवकली मंदिर स्थित है, जो यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है. एक समय ऐसा भी था जब इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन को आम लोग तरसते थे, क्योकि यहां सिर्फ और सिर्फ दस्यु का ही बोलबाला था. मंदिर में जयकारों की जगह सिर्फ गोलियों कि तड़तड़ाहट की गूंज ही सुनाई देती थी, लेकिन समय बदलने के साथ ही दस्यु के खत्म हो जाने पर अब इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है.

कन्नौज के राजा जयचंद ने कराया था मंदिर का निर्माण : बताया जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी बहन देवकला के नाम से इस मंदिर का निर्माण कराया था. यह विश्व का एक मात्र शिव मंदिर जो किसी स्त्री के नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर के शिवलिंग की लम्बाई लगभग 3 या साढ़े 3 फुट की होगी और चौड़ाई तो आज तक कोई भी नाप नहीं सका है. सावन में आसपास के जनपदों जैसे जालौन, कानपुर देहात, कानपुर नगर, इटावा, आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद तक से भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए आती है.

मंदिर कमेटी के सदस्य गौरव मिश्रा ने बताया कि देवकली मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन में बेलपत्र और जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, बाबा भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं. वहीं, मंदिर में सावन में प्रदेश भर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं.



कई थानों के फोर्स तैनात : सावन में देवकली मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. औरैया एसपी चारू निगम के निर्देशन में जनपद के कई थानों की फोर्स सुरक्षा के लिए मंदिर में तैनात है. वहीं, कुछ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सादी वर्दी में लगाई गई है.

महराजगंज में इटहिया धाम शिव मंदिर से भी जुड़ी है रोचक कहानी : भारत नेपाल सीमा से सटे मिनी बाबा धाम से मशहूर नेपाल बॉर्डर पर स्थित इटहिया धाम शिव मंदिर पर पूरे सावन में भक्तों का तांता लगा रहता है. पड़ोसी राज्य बिहार और पूर्वांचल से हजारों भक्त यहां कांवड़ लेकर पहुंचते हैं. मंदिर के व्यवस्थापक मुन्ना गिरी का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर की स्थापना की गई थी. यहां सुरक्षा की दृष्टिकोण से करीब 300 पुलिस कर्मी तैनात हैं. सावन में यहां मेला लगता है. मंदिर की स्थापना लगभग 1968 में हुई थी.

इटहिया शिव मंदिर के प्रादुर्भाव की कहानी निचलौल इस्टेट के राजा रहे वृषभसेन से जुड़ी है. वृषभसेन निचलौल स्टेट के प्रतापी व न्यायप्रिय राजा थे. वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. उनकी गोशाला में नंदिनी नाम की एक गाय थी. नंदिनी भी अन्य गायों के साथ जंगल में प्रतिदिन चरने जाती थी. इसी बीच गाय ने दूध देना बन्द कर दिया. वह अपना दूध जंगल की घनी झाड़ियों पर चढ़ाने लगी. राजा ने खोदाई कराई तो वहां शिवलिंग मिला. इसके बाद इसकी पूजा से राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. उसका नाम उन्होंने रतनसेन रखा. तभी से निचलौल की धरती रत्नसेन के नाम से विख्यात है. मन्दिर ट्रस्ट प्रशासन के नाम से है.

रायबरेली में भी शिवालयों पर उमड़ी भीड़ : रायबरेली में भी पहले सोमवार के दिन शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है. शहर के चंदापुर कोठी में स्थित प्राचीन जग मोहनेश्वर धाम मंदिर में काफी भीड़ रही. जनपद के अन्य बड़े मंदिरों बालेश्वर व भवरेश्वर धाम इत्यादि के साथ छोटे मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ देखी गई. गंगागंज स्थित आस्तिकन धाम मंदिर में सावन के पहले सोमवार से पूरे सावन भर मेला आयोजित होता है.

फर्रुखाबाद में उबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरे शिवभक्त : फर्रुखाबाद जिले में रविवार देर रात्रि से ही गंगा जल भरकर शिवभक्तों के शिवालयों में पहुंचने का सिलसिला जारी है. लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्णनाथ समेत अन्य शिव स्थानों से गंगा जल लाए जा रहे हैं. शिवभक्त हृदेश सिंह ने बताया कि जनपद मैनपुरी के कावड़िया पांचालघाट गंगा तट से काबड़ में जल भरकर ला रहे हैं. इटावा-बरेली हाईवे 730 पर गड्ढों व कंक्रीट युक्त उबड़ खाबड़ रास्ते से गुजरना पड़ा. NHAI के अधिकारियों ने जनपद की सीमा में करीब 40 किमी तक हाईवे के गड्ढे नहीं भरवाए.

कुशीनगर में बोल बम के जयकारों की गूंज : कुशीनगर में जटहा बाजार स्थित नारायणी नदी से जल लेकर बोल बम कांवरिया संघ का जत्था सोमनाथ के बाबा सिद्धनाथ मदिरं परिसर से होता हुआ देवघर के लिए रवाना हुआ. श्री बाबा सिद्धनाथ चल कांवरिया शिव धाम के बैनर तले बंका कुशवाहा के नेतृत्व में जटहा स्थित नारायणी नदी पहुंच जल भरकर पवित्रधाम बाबा सिद्ध नाथ पहुंचा. देर शाम श्रद्धालुओं का जत्था झारखंड स्थित देवघर के लिए रवाना हुआ. हर सड़क पर शिवभक्तों की गूंज सुनाई दे रही थी.

कुशीनगर से निकलने वाले इस पहले जत्थे में अजय गुप्ता, राजेश कुशवाहा, अंगद कुशवाहा, संदीप कुशवाहा, आनंद श्रीवास्तव, बाबूलाल मद्धेशिया, आनंद वर्मा, लाल बहादुर, मनोज कुशवाहा, विवेक गुप्ता, महेंद्र कुशवाहा, उमेश गुप्ता, मैनेजर कुशवाहा, सोनू वर्मा, आदित्य वर्मा, अभिषेक मद्धेशिया, अशोक, छोटेलाल, मुकेश, राजेश मद्धेशिया, नीरज, प्रदीप कुशवाहा आदि थे.

ज्योतिर्विद हरिओम मिश्र के अनुसार सावन का पहला सोमवार सिद्धि योग, श्रवण नक्षत्र में 22 जुलाई को पड़ा. दूसरा सोमवार 29 को, तीसरा पांच अगस्त को, चौथा 12 को और पांचवां 19 अगस्त को पड़ेगा. 19 को रक्षाबंधन पर्व भी मनाया जाएगा. पवित्र सावन का पहला प्रदोष एक अगस्त को और दूसरा प्रदोष 17 अगस्त को रहेगा. ज्योतिषाचार्य राजकिशोर मिश्र के अनुसार सावन माह में प्रत्येक मंगलवार को महिलाएं मां पार्वती की आराधना कर मंगला गौरी का व्रत रखती हैं.

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Last Updated : Jul 22, 2024, 1:25 PM IST
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