आगरा : सावन का पावन माह चल रहा है. ये बाबा महादेव को खुश करने का विशेष माह है. आगरा पौराणिक और एतिहासिक शहर है. जिसके चारों कोने और बीच में स्थित प्राचीन मंदिरों में बाबा महादेव विराजमान हैं. सावन के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की शहर परिक्रमा की प्राचीन परंपरा है. आइये आज जानते हैं आगरा के महाकाल कहे जाने वाले यमुना किनारे स्थित बाबा बल्केश्वर महादेव का इतिहास, मान्यता और आराधना की पूरी कहानी. जो आज से करीब 700 साल पहले बेलपत्र के घने जंगल में मिले चमत्कारी शिवलिंग हैं.
बल्केश्वर महादेव मंदिर का इतिहास : मंदिर के पुजारी शिवकुमार बताते हैं कि, यमुना किनारे बल्केश्वर महादेव मंदिर आज जिस जगह पर स्थित हैं, आज से करीब 700 साल से अधिक समय पहले यहां पर बिल्व पत्र (बेलपत्र) के पेड़ों का घना जंगल था. जब ये जंगल कटा तो यहां पर बिल्व पत्र (बेलपत्र) के पेड़ों में चमत्कारी शिवलिंग और मंदिर मिला था. तभी से इस प्राचीन मंदिर का नाम बेलपत्र के जंगल में होने की वजह से बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर कहा जाने लगा तो अब बल्केश्वर महादेव मंदिर हो गया है. आज भी इस मंदिर के पास से ही यमुना नदी बहती हैं.
हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं बाबा : बल्केश्वर महादेव मंदिर की मान्यता है कि, सच्चे मन से जो भी भक्त बाबा महादेव की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक, शृंगार चंदन व केसर से किया जाता है. जो भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है. श्रद्धालु लक्ष्मी ने बताया कि, बाबा बल्केश्वर महादेव की ये भी मान्यता है कि, जो भी भक्त लगातार 40 दिन बाबा के दरबार में आए, बाबा बल्केश्वर नाथ पर जल अर्पण करे, पूजा और अर्चना करे तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. श्रद्धालु ऋषि अग्रवाल का कहना है कि, बाबा हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं. श्रद्धालु ने बताया कि, बाबा की पूजा से जीवन के हर मनोरथ पूरा हो रहा है.
प्राचीन है मेला और परिक्रमा की परंपरा : बता दें कि, सावन माह के द्वितीय सोमवार पर बल्केश्वर महादेव मंदिर पर भव्य मेला लगाता है. मेला की पूर्व संध्या पर शहर और आसपास के जिलों से श्रद्धालु यहां की प्राचीन नगर परिक्रमा में शामिल होते हैं. जिसमें श्रद्धालु रात में शहर के चारों कोने और बीच में स्थित बाबा मनकामेश्वर महादेव मंदिर की परिक्रमा और जल अर्पण करते हैं. इसके बाद सबसे बाद में बाबा बल्केश्वर महादेव मंदिर में जल अर्पित करने की परंपरा है. मेला में भीड़ उमड़ती है.
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की तरह की विशेष व्यवस्था : बाबा बल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत कपिल नागर ने बताया कि, सावन माह के द्वितीय सोमवार से पूर्व रविवार शाम से ही परिक्रमार्थी बड़ी संख्या में मंदिर में पहुंचकर भगवान का अभिषेक करेंगे. अगले दिन सोमवार को भी पूरे दिन यही क्रम चलता रहेगा. मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ सेवादारी परिवार के सदस्यों को ही प्रवेश दिया जाता है. श्रद्धालुओं को कोई समस्या ना हो, इसके लिए दूर से ही शिवलिंग पर जल अर्पित करने की व्यवस्था की गई है. जिसमें अतिरिक्त जलधारी भी लगाई गई है. श्रद्धालुओं का अर्पित जल और दुग्ध सीधे बाबा तक पहुंचेगा.
यह भी पढ़ें : आगराः ऐतिहासिक परिक्रमा कर बल्केश्वर पहुंच रहे भोले भक्त