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महाशिवरात्रि पर कपिलेश्वर शिव मंदिर में हो रही विशेष पूजा अर्चना - Mahashivratri 2024

Kapileshwar Shiv Temple बालोद जिले के प्रसिद्ध कपिलेश्वर शिव मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की धूम है. मंदिर में आज भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा हो रही है. आज महाशिवरात्रि के अवसर पर नयापारा में विशेष मेले का आयोजन किया जा रहा है. Mahashivratri 2024

Kapileshwar Shiv Temple
कपिलेश्वर शिव मंदिर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 8, 2024, 4:52 PM IST

कपिलेश्वर शिव मंदिर में भक्तों का तांता

बालोद: महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना आज देशभर में की जा रही है. बालोद जिले में कई ऐसे प्राचीन शिव मंदिर हैं, जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं. नयापारा में 11वीं शताब्दी का शिवलिंग और भगवान गणेश की मूर्तियां आज भी शोभायमान है. यहां की पहचान कपिलेश्वर शिव मंदिर समूह एवं बावड़ी है. यहां आज महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष मेले का आयोजन किया जा रहा है. सुबह से ही भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए लोग दूर दूर से पहुंचे हुए हैं.

मंदिर में हैं भगवान की प्राचीन प्रतिमाएं: कपिलेश्वर मंदिर समूह, भगवान शिव और गणेश को समर्पित मंदिर है. श्रीकृष्ण, देवी दुर्गा, संतोषी माता और राम जानकी मंदिर भी है. भगवान शंकर को समर्पित कपिलेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा मंदिर है. पूर्वाभिमुख इस मंदिर में सिर्फ गर्भगृह मात्र है. मंदिर का शिखर काफी ऊंचा है. दोनों तरफ भगवान गणेश की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर द्वार के दाएं और बाएं तरफ कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित है.

जल कुंड का पानी कभी नहीं सूखता: कपिलेश्वर जनसेवा समिति के सदस्य चेतन नागवंशी ने बताया, "यहां शिव मंदिर के सामने एक कुंड है. जहां हमेशा पानी भरा रहता है, जो कभी नहीं सूखता. मेरी जानकारी में तो सूखा ही नहीं है. कई योद्धाओं की प्रतिमा यहां स्तंभों पर स्थापित हैं."

सभी दरवाजे के ऊपर है गणेश जी की मूर्तियां: यहां शिवलिंग, राजा-रानी की मूर्तियां 11वीं से 14वीं शताब्दी का बताया जाता है. सभी मंदिर के दरवाजे के ऊपर गणेश जी की मूतियां है. मंदिरों के शिखर भाग पर नागों की आकृतियां अंकित है. अनुमान है कि यहां पर भी स्थानीय नागवंशी राजाओं का शासन रहा होगा. किवंदती है कि नागवंशी राजाओं के शासन काल में ही इन मंदिरों का निर्माण हुआ है. यहां भगवान राम का मंदिर गर्भगृह और मंडप में विभक्त है. आज महाशिवरात्रि पर यहां विभिन्न आयोजन किये ज रहे हैं.

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मंदिर में हैं भगवान की प्राचीन प्रतिमाएं: कपिलेश्वर मंदिर समूह, भगवान शिव और गणेश को समर्पित मंदिर है. श्रीकृष्ण, देवी दुर्गा, संतोषी माता और राम जानकी मंदिर भी है. भगवान शंकर को समर्पित कपिलेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा मंदिर है. पूर्वाभिमुख इस मंदिर में सिर्फ गर्भगृह मात्र है. मंदिर का शिखर काफी ऊंचा है. दोनों तरफ भगवान गणेश की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर द्वार के दाएं और बाएं तरफ कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित है.

जल कुंड का पानी कभी नहीं सूखता: कपिलेश्वर जनसेवा समिति के सदस्य चेतन नागवंशी ने बताया, "यहां शिव मंदिर के सामने एक कुंड है. जहां हमेशा पानी भरा रहता है, जो कभी नहीं सूखता. मेरी जानकारी में तो सूखा ही नहीं है. कई योद्धाओं की प्रतिमा यहां स्तंभों पर स्थापित हैं."

सभी दरवाजे के ऊपर है गणेश जी की मूर्तियां: यहां शिवलिंग, राजा-रानी की मूर्तियां 11वीं से 14वीं शताब्दी का बताया जाता है. सभी मंदिर के दरवाजे के ऊपर गणेश जी की मूतियां है. मंदिरों के शिखर भाग पर नागों की आकृतियां अंकित है. अनुमान है कि यहां पर भी स्थानीय नागवंशी राजाओं का शासन रहा होगा. किवंदती है कि नागवंशी राजाओं के शासन काल में ही इन मंदिरों का निर्माण हुआ है. यहां भगवान राम का मंदिर गर्भगृह और मंडप में विभक्त है. आज महाशिवरात्रि पर यहां विभिन्न आयोजन किये ज रहे हैं.

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