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निरंजनी अखाड़े ने बनाया पहला जगद्गुरु, वैदिक मंत्रों के ज्ञाता ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी को मिली पदवी - MAHA KUMBH MELA 2025

अलग-अलग महामंडलेश्वरों की मौजूदगी में विधि-विधान से कराया गया कार्यक्रम.

निरंजनी अखाड़े ने बनाया पहला जगद्गुरु.
निरंजनी अखाड़े ने बनाया पहला जगद्गुरु. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 1, 2025, 9:33 AM IST

प्रयागराज : महाकुंभ मेले में अखाड़ों की तरफ से नागा-संन्यासी और महामंडलेश्वर बनाए जा रहे हैं. इसी बीच श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी को जगद्गुरु की पदवी प्रदान की. इस अखाड़े की तरफ से पहली बार किसी संत को जगद्गुरु की पदवी दी गई है.

निरंजनी अखाड़े ने बनाया पहला जगद्गुरु. (Video Credit; ETV Bharat)

अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि दूसरे अखाड़ों ने जगद्गुरु बनाए थे लेकिन उनके अखाड़े में पहली बार एक महामंडलेश्वर को जगद्गुरु को बनाया गया है. बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से पहले श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने मंत्रों के जानकार महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी को जगद्गुरु की पदवी प्रदान की. शुक्रवार को निरंजनी अखाड़े के शिविर में आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी और सचिव महंत रवींद्र पुरी समेत अलग-अलग महामंडलेश्वरों की मौजूदगी में मंत्रोच्चार के बीच पुष्पवर्षा करके पूरे विधि-विधान के साथ उन्हें जगद्गुरु की पदवी प्रदान की गई.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की इजाजत से जगद्गुरु के रूप में जलाभिषेक के बाद चादरपोशी करते हुए पट्टा अभिषेक समारोह शुरू किया गया. पट्टाभिषेक के पहले निरंजनी पीठाधीश्वर वैदिक मंत्रोच्चार भी किया. इसके बाद विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों ने इस कार्यक्रम में पहुंचकर जगद्गुरु के ऊपर पुष्प अर्पित किया.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी पिछले कई वर्षों से सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रहे हैं. अभी तक वह निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में कार्य कर रहे थे. अब वो जगद्गुरु के रूप में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे.

कुमार स्वामी वैदिक बीज मंत्रों के ज्ञाता हैं. मंत्रों के जरिए ही वह कई तरह के असाध्य रोगों का इलाज भी करते हैं‌. उनमें जगद्गुरु बनने की योग्यता थी. वह निरंतर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार दूसरे देशों में भी कर रहे हैं. यही वजह है कि इन जैसे योग्य संत को निरंजनी अखाड़े ने अपना पहला जगद्गुरु बनाया है.

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कुमार स्वामी महाराज ने बताया कि वो सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए देश-दुनिया में लगातार कार्य करेंगे. वैदिक मंत्रों में बहुत शक्ति होती है. उन्हीं के जरिए वह लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों से मुक्ति दिलवाते हैं. इसी के जरिए वह लगातार सनातन धर्म का डंका देश दुनिया में बजा रहे हैं. इन्हीं कारणों से विदेशी लोग भी सनातन धर्म की शक्ति पहचान रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मंत्रों के साथ ही वो आयुर्वेद का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.वैदिक मंत्रों और आयुर्वेद का संबंध है. इस कारण वो वैदिक बीज मंत्र के साथ ही आयुर्वेद को और बढ़ावा दिए के लिए भी कार्य करेंगे. वहीं इस मौके पर काशी विद्वत परिषद की तरफ से निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि को सनातन धर्म मार्तण्ड का सम्मान दिया गया. वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी को महा जगद्गुरु की पदवी भी प्रदान की गई.

यह भी पढ़ें : प्रयागराज महाकुंभ 20वां दिन; आज आएंगे उपराष्ट्रपति और सीएम योगी, तीसरे अमृत स्नान की तैयारी, भगदड़ के बाद क्राउड मैनेजमेंट पर जोर

प्रयागराज : महाकुंभ मेले में अखाड़ों की तरफ से नागा-संन्यासी और महामंडलेश्वर बनाए जा रहे हैं. इसी बीच श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी को जगद्गुरु की पदवी प्रदान की. इस अखाड़े की तरफ से पहली बार किसी संत को जगद्गुरु की पदवी दी गई है.

निरंजनी अखाड़े ने बनाया पहला जगद्गुरु. (Video Credit; ETV Bharat)

अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि दूसरे अखाड़ों ने जगद्गुरु बनाए थे लेकिन उनके अखाड़े में पहली बार एक महामंडलेश्वर को जगद्गुरु को बनाया गया है. बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से पहले श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने मंत्रों के जानकार महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी को जगद्गुरु की पदवी प्रदान की. शुक्रवार को निरंजनी अखाड़े के शिविर में आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी और सचिव महंत रवींद्र पुरी समेत अलग-अलग महामंडलेश्वरों की मौजूदगी में मंत्रोच्चार के बीच पुष्पवर्षा करके पूरे विधि-विधान के साथ उन्हें जगद्गुरु की पदवी प्रदान की गई.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की इजाजत से जगद्गुरु के रूप में जलाभिषेक के बाद चादरपोशी करते हुए पट्टा अभिषेक समारोह शुरू किया गया. पट्टाभिषेक के पहले निरंजनी पीठाधीश्वर वैदिक मंत्रोच्चार भी किया. इसके बाद विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों ने इस कार्यक्रम में पहुंचकर जगद्गुरु के ऊपर पुष्प अर्पित किया.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी पिछले कई वर्षों से सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रहे हैं. अभी तक वह निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में कार्य कर रहे थे. अब वो जगद्गुरु के रूप में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे.

कुमार स्वामी वैदिक बीज मंत्रों के ज्ञाता हैं. मंत्रों के जरिए ही वह कई तरह के असाध्य रोगों का इलाज भी करते हैं‌. उनमें जगद्गुरु बनने की योग्यता थी. वह निरंतर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार दूसरे देशों में भी कर रहे हैं. यही वजह है कि इन जैसे योग्य संत को निरंजनी अखाड़े ने अपना पहला जगद्गुरु बनाया है.

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कुमार स्वामी महाराज ने बताया कि वो सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए देश-दुनिया में लगातार कार्य करेंगे. वैदिक मंत्रों में बहुत शक्ति होती है. उन्हीं के जरिए वह लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों से मुक्ति दिलवाते हैं. इसी के जरिए वह लगातार सनातन धर्म का डंका देश दुनिया में बजा रहे हैं. इन्हीं कारणों से विदेशी लोग भी सनातन धर्म की शक्ति पहचान रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मंत्रों के साथ ही वो आयुर्वेद का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.वैदिक मंत्रों और आयुर्वेद का संबंध है. इस कारण वो वैदिक बीज मंत्र के साथ ही आयुर्वेद को और बढ़ावा दिए के लिए भी कार्य करेंगे. वहीं इस मौके पर काशी विद्वत परिषद की तरफ से निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि को सनातन धर्म मार्तण्ड का सम्मान दिया गया. वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी को महा जगद्गुरु की पदवी भी प्रदान की गई.

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