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लहसुन की कलियों ने खिलाया गुल, सावन खत्म होते करेगा 400 पार, देगा 440 वोल्ट का झटका - Garlic Price at Rs 400 Per KG

देश में मध्य प्रदेश लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है इसके बावजूद यहां लहसुन दोगुनी छलांग लगाने को तैयार है. पिछले कुछ सालों में लहसुन की खेती का रकबा घटने से यह हालात बन रहे हैं. कई किसानों ने फसल में घाटा होने से दूसरी फसल की खेती करना चालू कर दिया है. पढ़िए इस खास रिपोर्ट में लहसुन की खेती करने से क्यों नाराज हो गए किसान.

Garlic Price at Rs 400 Per KG
तेजी से बढ़ रहे लहसुन के भाव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 24, 2024, 9:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 11:05 AM IST

Garlic Rates Increase : सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में वैसे ही लहसुन का सेवन बहुत कम लोग करते हैं लिहाजा दाम नहीं बढ़ते हैं. पिछले 1 महीने में देखें तो एक बार फिर से लहसुन के दाम में बड़ा इजाफा देखने को मिल रहा है और लहसुन व्यापारियों की माने तो आने वाले समय में सावन महीने के खत्म होते ही लहसुन के दाम ₹400 पार कर जाएंगे.

लहसुन के क्या हैं दाम

शहडोल सब्जी मंडी के व्यापारी उपेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि "वर्तमान में लहसुन के दाम बढ़े हैं. सावन का महीना चल रहा है, तो क्या हुआ अभी लहसुन खुले बाजार में ₹80 पाव से लेकर ₹320 किलो तक बिक रहा है. जून महीने में यही लहसुन ₹120 किलो तक चला गया था. अचानक एक बार फिर से लहसुन के दाम में इजाफा देखने को मिला है. सावन खत्म होने दीजिए फिर इसके बाद यही लहसुन के दाम ₹400 किलो तक फिर से पहुंचेंगे क्योंकि मार्केट में लहसुन कम है, इसका उत्पादन भी कम हो चुका है, जिसकी वजह से लहसुन के दाम इतने ज्यादा हैं."

लहसुन के क्यों बढ़ रहे दाम

लहसुन के दाम बढ़ने को लेकर लहसुन व्यापारी बताते हैं इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि साल दर अब लहसुन का रकबा घट रहा है. इसकी खेती किसान कम कर रहे हैं. 2022 में ही मध्य प्रदेश में ₹5 किलो लहसुन किसानों ने बेचा. कुछ किसानों ने तो गुस्से में सड़कों पर भी लहसुन फेंक दिया था. अब किसान स्मार्ट हो गया है और वही फसल लगाता है जिसमें उसे लाभ मिलता है. जिस फसल में उसको नुकसान होता है अगले साल उस फसल को बदल देता है. ठीक लहसुन के साथ भी ऐसा ही हुआ.

लहसुन की खेती का रकबा घटा

लहसुन आखिर क्यों महंगा हुआ इसे आंकड़ों से ऐसे समझा जा सकता है कि 2020-21 में लहसुन सस्ता था तो उसकी वजह यह थी कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जो आंकड़े उसके मुताबिक 2020-21 में देश में 39,2000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती की गई थी. 2021-22 में यह फिर बढ़कर 4 लाख 31 हजार हेक्टेयर हो गया. मतलब लहसुन की खेती का रकबा बढ़ा तो इन सालों में उत्पादन भी बढ़ा. जब लहसुन का उत्पादन ज्यादा हुआ तो वो सस्ता हो गया और किसानों को कम पैसे मिले तो साल 2022-23 में लहसुन की खेती का एरिया घट गया, जब एरिया घट गया तो लहसुन का उत्पादन भी कम हो गया और इस वजह से इसके दाम बढ़ गए.

देश में सबसे ज्यादा लहसुन कहां होता है

लहसुन उत्पादन की बात करें तो भारत में सबसे अधिक लहसुन का उत्पादन मध्य प्रदेश में ही होता है यानि देश के टोटल लहसुन उत्पादन में अकेले मध्य प्रदेश में 60 से 65 फीसदी का योगदान देता है. दूसरे स्थान पर राजस्थान है और तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है. देश में मध्य प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश तीन राज्य ही मिलकर 80 से 85 फीसदी तक लहसुन का उत्पादन करते हैं.

ये भी पढ़ें:

सोना बना लहसुन, नीलामी अब सरकारी संरक्षण में, आसमान छूती कीमतों के बीच कोर्ट का फैसला

5 लाख की लहसुन हुई चोरी, वारदात को अंजाम देने वाला गिरोह आया पुलिस की गिरफ्त में

मुनाफा नहीं होने पर किसान बदल देते हैं खेती

जब प्रोडक्शन कम होगा तो निश्चित तौर पर महंगाई तो बढ़ेगी. ऐसे में इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है कि जब उत्पादन अच्छा होता है तो किसानों को इतना तो मिले कि उनकी लागत निकल जाए लेकिन किसान मजबूर हो जाता है रुपए दो रुपए किलो फसल बेचने के लिए. जिसकी वजह से उसे सड़कों पर फसल फेंक देना पड़ती है. अंदाजा लगाइए कितना नुकसान किसान को होता है और इतना नुकसान झेलने के बाद क्या किसान फिर से उस फसल की खेती करेगा. ऐसे में दाम तो बढ़ेंगे ही क्योंकि अगर किसान को मुनाफा नहीं होगा तो उसका प्रोडक्शन घटेगा और ऐसे ही महंगाई लोगों को झेलना पड़ेगी.

Garlic Rates Increase : सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में वैसे ही लहसुन का सेवन बहुत कम लोग करते हैं लिहाजा दाम नहीं बढ़ते हैं. पिछले 1 महीने में देखें तो एक बार फिर से लहसुन के दाम में बड़ा इजाफा देखने को मिल रहा है और लहसुन व्यापारियों की माने तो आने वाले समय में सावन महीने के खत्म होते ही लहसुन के दाम ₹400 पार कर जाएंगे.

लहसुन के क्या हैं दाम

शहडोल सब्जी मंडी के व्यापारी उपेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि "वर्तमान में लहसुन के दाम बढ़े हैं. सावन का महीना चल रहा है, तो क्या हुआ अभी लहसुन खुले बाजार में ₹80 पाव से लेकर ₹320 किलो तक बिक रहा है. जून महीने में यही लहसुन ₹120 किलो तक चला गया था. अचानक एक बार फिर से लहसुन के दाम में इजाफा देखने को मिला है. सावन खत्म होने दीजिए फिर इसके बाद यही लहसुन के दाम ₹400 किलो तक फिर से पहुंचेंगे क्योंकि मार्केट में लहसुन कम है, इसका उत्पादन भी कम हो चुका है, जिसकी वजह से लहसुन के दाम इतने ज्यादा हैं."

लहसुन के क्यों बढ़ रहे दाम

लहसुन के दाम बढ़ने को लेकर लहसुन व्यापारी बताते हैं इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि साल दर अब लहसुन का रकबा घट रहा है. इसकी खेती किसान कम कर रहे हैं. 2022 में ही मध्य प्रदेश में ₹5 किलो लहसुन किसानों ने बेचा. कुछ किसानों ने तो गुस्से में सड़कों पर भी लहसुन फेंक दिया था. अब किसान स्मार्ट हो गया है और वही फसल लगाता है जिसमें उसे लाभ मिलता है. जिस फसल में उसको नुकसान होता है अगले साल उस फसल को बदल देता है. ठीक लहसुन के साथ भी ऐसा ही हुआ.

लहसुन की खेती का रकबा घटा

लहसुन आखिर क्यों महंगा हुआ इसे आंकड़ों से ऐसे समझा जा सकता है कि 2020-21 में लहसुन सस्ता था तो उसकी वजह यह थी कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जो आंकड़े उसके मुताबिक 2020-21 में देश में 39,2000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती की गई थी. 2021-22 में यह फिर बढ़कर 4 लाख 31 हजार हेक्टेयर हो गया. मतलब लहसुन की खेती का रकबा बढ़ा तो इन सालों में उत्पादन भी बढ़ा. जब लहसुन का उत्पादन ज्यादा हुआ तो वो सस्ता हो गया और किसानों को कम पैसे मिले तो साल 2022-23 में लहसुन की खेती का एरिया घट गया, जब एरिया घट गया तो लहसुन का उत्पादन भी कम हो गया और इस वजह से इसके दाम बढ़ गए.

देश में सबसे ज्यादा लहसुन कहां होता है

लहसुन उत्पादन की बात करें तो भारत में सबसे अधिक लहसुन का उत्पादन मध्य प्रदेश में ही होता है यानि देश के टोटल लहसुन उत्पादन में अकेले मध्य प्रदेश में 60 से 65 फीसदी का योगदान देता है. दूसरे स्थान पर राजस्थान है और तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है. देश में मध्य प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश तीन राज्य ही मिलकर 80 से 85 फीसदी तक लहसुन का उत्पादन करते हैं.

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मुनाफा नहीं होने पर किसान बदल देते हैं खेती

जब प्रोडक्शन कम होगा तो निश्चित तौर पर महंगाई तो बढ़ेगी. ऐसे में इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है कि जब उत्पादन अच्छा होता है तो किसानों को इतना तो मिले कि उनकी लागत निकल जाए लेकिन किसान मजबूर हो जाता है रुपए दो रुपए किलो फसल बेचने के लिए. जिसकी वजह से उसे सड़कों पर फसल फेंक देना पड़ती है. अंदाजा लगाइए कितना नुकसान किसान को होता है और इतना नुकसान झेलने के बाद क्या किसान फिर से उस फसल की खेती करेगा. ऐसे में दाम तो बढ़ेंगे ही क्योंकि अगर किसान को मुनाफा नहीं होगा तो उसका प्रोडक्शन घटेगा और ऐसे ही महंगाई लोगों को झेलना पड़ेगी.

Last Updated : Jul 25, 2024, 11:05 AM IST
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