नई दिल्ली/जयपुर : भीख मांगना एक सामाजिक बुराई के साथ ही कलंक भी है. खास तौर पर बाल भिक्षावृत्ति, जिसे जड़ से मिटाने के लिए पूर्व में भी कई तरह के प्रयास किए गए, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली. वहीं, शुक्रवार को राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य मदन राठौड़ ने इस मुद्दे को सदन में उठाया. राठौड़ ने देश में बढ़ रहे बाल भिक्षावृत्ति जैसे गंभीर मुद्दे को राज्यसभा में उठाते हुए ऐसे बच्चों के पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि सरकार और समाज को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. इसके साथ ही देश में बाल भिक्षुकों की बायोमेट्रिक पहचान के साथ पुनर्वास की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि ये बच्चे फिर से इस दलदल में न फंसे. उन्होंने कहा कि आज देश में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो बच्चों को अगवा कर उनसे भीख मंगवाने का काम कर रहे हैं.
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राठौड़ ने आगे कहा कि आज देश के अधिकांश चौराहों पर संगठित गिरोहों द्वारा छोटे बच्चों का अपहरण कर उनके अंगों को क्षतिग्रस्त कर उनसे भीख मंगवाने का काम किया जा रहा है. इतना ही नहीं चौराहों पर कुछ महिलाएं तो कुपोषित नजर आने वाले बच्चों को लेकर उनके पालन पोषण के नाम पर भीख मांगती हैं. ऐसे में इन मासूम बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए केंद्र सरकार को विशेष मुहिम चलाकर पुनर्वास सहित तमाम सुविधा करने की पहल करनी चाहिए.
राठौड़ ने सदन में आग्रह किया कि इस संबंध में अंतर विभागीय और अंतर मंत्रालयी समन्वय के लिए मैकेनिज्म विकसित किए जाने की आवश्यकता है. आज देश में भिक्षावृत्ति आपराधिक गिरोहों द्वारा बड़े पैमाने पर करवाई जा रही है. इसमें धार्मिक तीर्थ स्थलों के साथ ही पर्यटन स्थलों और मुख्य बाजारों में कुछ महिलाएं छोटे मासूम बच्चों के साथ भिक्षा मांगते नजर आती हैं.
ऐसे में विदेशी पर्यटकों के सामने जहां देश की छवि धूमिल होती है. वहीं, दूसरी ओर एक संगठित गिरोह द्वारा अपहरण कर बाल शोषण जैसे कृत्य को अंजाम दिया जा रहा है. मासूम बच्चों को ड्रग्स जैसे नशे की लत लगाकर भिक्षावृत्ति करवाई जा रही है. दया, सहानुभूति और मानवीय भावनाओं का लाभ उठाकर ये लोग भिक्षावृत्ति का गोरखधंधा चला रहे हैं. साथ ही बच्चों का शोषण कर रहे हैं.
जागरूकता अभियान के साथ पुर्नवास की जरूरत : राठौड़ ने कहा कि भिक्षावृत्ति में लिप्त इंसान की सामाजिक पहचान खत्म हो जाती है. लोग उसे हिकारत की नजरों से देखते हैं. मौलिक रूप से उसका सामाजिक बहिष्कार होने लगता है. ऐसे में केंद्र सरकार को देशव्यापी अभियान चलाकर बाल भिक्षावृत्ति करने वालों की पहचान कर जनगणना करनी चाहिए. साथ ही छोटे मासूम बच्चों के लिए विशेष पुनर्वास कार्यक्रम तैयार कर उनको शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ अन्य भिक्षुकों के लिए भी कौशल विकास के क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर तलाशने की जरूरत है. वहीं, हमारे समाज में भिक्षावृत्ति जैसी अवैध कुप्रथा को समाप्त करने के लिए जागरूक करने की पहल करनी चाहिए.