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सातवें दिन देवी कालरात्रि की होती है पूजा, आज होगा सहस्रार चक्र जागृत - Gupt Navratri 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 12, 2024, 6:59 AM IST

गुप्त नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. मां कालरात्रि को संकट हरणी भी कहा जाता है. कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया था.

GUPT NAVRATRI 2024
सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा (Etv bharat gfx Team)

बीकानेर. गुप्त नवरात्र के सातवें दिन को महासप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा के देवी कालरात्रि रूप की पूजा होती है. बीकानेर के पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. काल नाशी देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य मिलता है. मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है.

महादुष्टों का विनाश करती है देवी : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती के अनुसार कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया था. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए उनके विनाश से काल का दमन करती हैं. मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. इस कारण इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है.

सहस्रार चक्र होता है जागृत : सहस्रार चक्र आमतौर पर शुद्ध चेतना का चक्र माना जाता है. यह मस्तक के ठीक बीच में ऊपर की ओर स्थित होता है. इसका प्रतीक कमल की एक हजार पंखुड़ियां हैं. यह सिर के शीर्ष पर अवस्थित होता है. सहस्रार बैंगनी रंग का प्रतिनिधित्व करती है और यह आतंरिक बुद्धि और दैहिक मृत्यु से जुड़ी होती है.

गर्दभ की सवारी हाथ में वज्र : पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खड़ग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं. मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है.

इसे भी पढ़ें : छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, विवाह संबंधी अड़चनें होती हैं दूर - Gupta Navratri 2024

इस मंत्र का करें जाप : नवरात्र में सातवें दिन इस मंत्र का जाप करने से लाभ होता है. किराडू कहते हैं कि शनि की दशा दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति को मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना से लाभ होता है.

मंत्र कुछ इस प्रकार है -

या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थितानमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः !

बीकानेर. गुप्त नवरात्र के सातवें दिन को महासप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा के देवी कालरात्रि रूप की पूजा होती है. बीकानेर के पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. काल नाशी देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य मिलता है. मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है.

महादुष्टों का विनाश करती है देवी : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती के अनुसार कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया था. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए उनके विनाश से काल का दमन करती हैं. मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. इस कारण इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है.

सहस्रार चक्र होता है जागृत : सहस्रार चक्र आमतौर पर शुद्ध चेतना का चक्र माना जाता है. यह मस्तक के ठीक बीच में ऊपर की ओर स्थित होता है. इसका प्रतीक कमल की एक हजार पंखुड़ियां हैं. यह सिर के शीर्ष पर अवस्थित होता है. सहस्रार बैंगनी रंग का प्रतिनिधित्व करती है और यह आतंरिक बुद्धि और दैहिक मृत्यु से जुड़ी होती है.

गर्दभ की सवारी हाथ में वज्र : पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खड़ग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं. मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है.

इसे भी पढ़ें : छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, विवाह संबंधी अड़चनें होती हैं दूर - Gupta Navratri 2024

इस मंत्र का करें जाप : नवरात्र में सातवें दिन इस मंत्र का जाप करने से लाभ होता है. किराडू कहते हैं कि शनि की दशा दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति को मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना से लाभ होता है.

मंत्र कुछ इस प्रकार है -

या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थितानमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः !

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