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अष्टमी और नवमी को कर लें मां मंगला गौरी के दर्शन, 52 शक्तिपीठों में से एक है माता सती का धाम - NAVRATRI 2024

गया के माता सती भस्मकूट पर्वत पर मां मंगला गौरी मंदिर में विराजमान हैं. यह मंदिर 52 शक्ति पीठों में एक माना जाता है.

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
भस्मकुट पर्वत मां सती विराजमान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 11, 2024, 1:59 PM IST

गया: गया शहर के भस्मकुट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी पालन पीठ के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है. इस मंदिर में ऐसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है. नवरात्र में मां मंगला गौरी शक्तिपीठ में दर्शन व पूजन करने का विशेष महत्व है.

भस्मकूट पर्वत पर स्थित है मां मंगला गौरी: गया के माड़नपुर मोहल्ला के भस्मकुट पर्वत पर माता सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था, जो मंगला गौरी मंदिर के गर्भगृह में मौजूद है. इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण, वायु पुराण और अग्नि पुराण के साथ देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण समेत अन्य ग्रंथों में किया गया है. देवी सती का यह मंदिर 52 शक्ति पीठों में एक माना जाता है, जहां सती के शरीर का एक अंग (स्तन) गिरा था. सच्चे मन से पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. जिस कारण मां मंगला गौरी परोपकार की देवी के रूप में भी प्रसिद्ध है.

मंगला गौरी मंदिर (ETV Bharat)

मां के वक्ष स्थल की होती है पूजा: वहीं स्थानीय पंडित नरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि भगवान शंकर जब मां पार्वती के जलते शरीर को तांडव करते हुए आकाश मार्ग से निकले थे. उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाया. जिसके बाद माता के शरीर के कई टुकड़े हो गए. इसी क्रम में माता का वक्ष गया के भस्मकूट पर्वत पर गिरा, तब से यह मंदिर मां मंगला गौरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. इसे पालनपीठ भी कहा जाता है. मंदिर के गर्भगृह में अखंड ज्योति वर्षों से जलते चली आ रही है. इसी ज्योति के समक्ष भक्त पूजा अर्चना करते हैं.

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
भस्मकुट पर्वत मां सती विराजमान (ETV Bharat)

"यहां पूजा-अर्चना करने से लोगों को सुख, समृद्धि व शांति मिलती है. साथ ही धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है. नवरात्र के महीने में देश के विभिन्न कोने से भक्त यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान लंबी कतार भक्तों की लगी रहती है. घंटों कतार में खड़े रहकर भक्त यहां पूजा अर्चना करते हैं."-नरेंद्र कुमार मिश्रा, स्थानीय पंडित

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
गया में शक्तिपीठ मंदिर (ETV Bharat)

मां पूरी करती है भक्तों की मुराद: वहीं स्थानीय निवासी मुकुल किशोर सिन्हा ने बताया कि विगत 20 वर्षों से लगातार मंगला गौरी मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. जिस तरह से मां वैष्णो देवी में पूजा अर्चना करने से भक्तों की मुराद पूरी होती है. इसी तरह मंगला गौरी में भी पूजा अर्चना करने से परिवार में सुख, समृद्धि व शांति आती है, व्यापार में भी बढ़ावा होता है. इसी कामना के साथ यहां आकर पूजा-पाठ करते हैं. यहां पूजा करने से असीम शांति मिलती है.

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
सालों भर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ (ETV Bharat)

"गया शहर के भस्मकुट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी पालन पीठ के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है. इस मंदिर में ऐसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है."- मुकुल किशोर सिन्हा, स्थानीय निवासी

पढ़ें-गया में 60 फीट का रावण.. 55 फीट का कुंभकरण और 50 फीट के मेघनाद के पुतले का होगा दहन

गया: गया शहर के भस्मकुट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी पालन पीठ के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है. इस मंदिर में ऐसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है. नवरात्र में मां मंगला गौरी शक्तिपीठ में दर्शन व पूजन करने का विशेष महत्व है.

भस्मकूट पर्वत पर स्थित है मां मंगला गौरी: गया के माड़नपुर मोहल्ला के भस्मकुट पर्वत पर माता सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था, जो मंगला गौरी मंदिर के गर्भगृह में मौजूद है. इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण, वायु पुराण और अग्नि पुराण के साथ देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण समेत अन्य ग्रंथों में किया गया है. देवी सती का यह मंदिर 52 शक्ति पीठों में एक माना जाता है, जहां सती के शरीर का एक अंग (स्तन) गिरा था. सच्चे मन से पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. जिस कारण मां मंगला गौरी परोपकार की देवी के रूप में भी प्रसिद्ध है.

मंगला गौरी मंदिर (ETV Bharat)

मां के वक्ष स्थल की होती है पूजा: वहीं स्थानीय पंडित नरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि भगवान शंकर जब मां पार्वती के जलते शरीर को तांडव करते हुए आकाश मार्ग से निकले थे. उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाया. जिसके बाद माता के शरीर के कई टुकड़े हो गए. इसी क्रम में माता का वक्ष गया के भस्मकूट पर्वत पर गिरा, तब से यह मंदिर मां मंगला गौरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. इसे पालनपीठ भी कहा जाता है. मंदिर के गर्भगृह में अखंड ज्योति वर्षों से जलते चली आ रही है. इसी ज्योति के समक्ष भक्त पूजा अर्चना करते हैं.

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
भस्मकुट पर्वत मां सती विराजमान (ETV Bharat)

"यहां पूजा-अर्चना करने से लोगों को सुख, समृद्धि व शांति मिलती है. साथ ही धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है. नवरात्र के महीने में देश के विभिन्न कोने से भक्त यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान लंबी कतार भक्तों की लगी रहती है. घंटों कतार में खड़े रहकर भक्त यहां पूजा अर्चना करते हैं."-नरेंद्र कुमार मिश्रा, स्थानीय पंडित

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
गया में शक्तिपीठ मंदिर (ETV Bharat)

मां पूरी करती है भक्तों की मुराद: वहीं स्थानीय निवासी मुकुल किशोर सिन्हा ने बताया कि विगत 20 वर्षों से लगातार मंगला गौरी मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. जिस तरह से मां वैष्णो देवी में पूजा अर्चना करने से भक्तों की मुराद पूरी होती है. इसी तरह मंगला गौरी में भी पूजा अर्चना करने से परिवार में सुख, समृद्धि व शांति आती है, व्यापार में भी बढ़ावा होता है. इसी कामना के साथ यहां आकर पूजा-पाठ करते हैं. यहां पूजा करने से असीम शांति मिलती है.

Maa Mangala Gauri Palan Peeth
सालों भर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ (ETV Bharat)

"गया शहर के भस्मकुट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी पालन पीठ के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है. इस मंदिर में ऐसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है."- मुकुल किशोर सिन्हा, स्थानीय निवासी

पढ़ें-गया में 60 फीट का रावण.. 55 फीट का कुंभकरण और 50 फीट के मेघनाद के पुतले का होगा दहन

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