लखनऊ. योगी सरकार ने यूपी में एम सैंड नीति लागू कर दी है. बालू का यह विकल्प नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और बिल्कुल बालू की तरह ही इसका इस्तेमाल भी किया जा सकेगा. उत्तर प्रदेश भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की निदेशक माला श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एम सैंड नीति लागू की है. प्रदेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में विकास व निर्माण कार्यों को गति देने के लिए नदी तल में पाये जाने वाले बालू के विकल्प के रूप में एम सैंड (Manufactured Sand) यानि कृत्रिम बालू के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए भूतत्व एंव खनिकर्म अनुभाग ने "उत्तर प्रदेश एम सैंड नीति-2024" लागू की है.
माला श्रीवास्तव ने बताया कि एम सैंड का अर्थ कृत्रिम बालू से है, जो चट्टान को पीसकर बनाया जाता है. एम सैंड की रासयनिक विशिष्टताएं और स्ट्रेंथ नदी से प्राप्त बालू की तरह होती है. इसका प्रयोग भी एक ही तरह से किया जा सकता है. नदी से प्राप्त बालू में मिट्टी व सिल्ट की मात्रा लगभग 0.45 प्रतिशत होती है, जबकि एम सैंड में लगभग 0.2 प्रतिशत है. नदी से प्राप्त बालू में जल अवशोषण 1.15 प्रतिशत होता है, जबकि एम सैंड में यह लगभग 1.6 प्रतिशत है. एम सैंड से बने कंक्रीट में बॉड स्ट्रेंथ भी मार्जिनली अधिक होती है. बालू की तुलना में एम सैंड से बने मोर्टार में कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ अधिक होती है.
माला श्रीवास्तव ने बताया बताया कि प्रदेश में एम सैंड को बढ़ावा देने से पर्यावरण और नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बिना नुकसान पहुंचाए विकास किया जाना है. नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा है. इसकी बढ़ती मांग को ध्यान में रखकर एम सैंड को नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना है. उद्योग/सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग सेक्टर के तहत एम सैंड यूनिट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन के माध्यम से रोजगार के अवसरों व आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्यों की भी पूर्ति होगी.
निदेशक ने बताया कि एम सैंड नीति-2024 के अनुसार एम सैंड उत्पादन इकाइयों को उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति, 2022 /उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2022 (यथा संशोधित) के अर्न्तगत नियमानुसार औद्योगिक इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त होगी.
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