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यूपी में महिला हिंसा ; "नो जेल-नो बेल, सीधे प्रभू से मेल" फार्मूले से यूपी में घटे अपराध - WOMEN SAFETY IN UP

महिला सुरक्षा को लेकर योगी सरकार के साथ केंद्र सरकार की कई योजनाएं और दावे हैं. इन्ही मुद्दों को खंगालती ईटीवी भारत की खास खबर...

यूपी में महिला अपराध.
यूपी में महिला अपराध. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 5:18 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगर महिला सुरक्षा की बात किया जाए तो योगी सरकार इसको लेकर के काफी सख्ती से पेश आ रही है. राजधानी लखनऊ में 1090 का हेड क्वार्टर है. जहां पर महिलाओं से संबंधित मामले दर्ज किए जाते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का गठन 2017 में किया गया था. इन दोनों पर केंद्रों से महिलाओं को इंसाफ दिलाया जा रहा है. महिलाओं के साथ छेड़खानी, अभद्रता आदि घटनाओं पर कड़ा एक्शन लिया जा रहा है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में एक सिरफिरे ने लड़की से बीच राह छेड़खानी की. इसके बाद पुलिस ने 48 घंटे के भीतर ही सिरफिरे का एनकाउंटर कर दिया. यह महज एक उदाहरण है. इसके अलावा कई मामलों में यूपी सरकार की पैरवी से अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा गया है.

ईटीवी भारत को जानकारी देतीं डीसीपी रवीना त्यागी. (Video Credit : ETV Bharat)

डीसीपी रवीना त्यागी के मुताबिक महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार के साथ पुलिस विभाग भी पूरी तरह से तत्पर है. महिला सुरक्षा को लेकर थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. महिला हेल्पलाइन नंबर (1090) को अधिक प्रभावी बनाने के लिए नए हेल्पलाइन केंद्र स्थापित करने पर मंथन किया जा रहा है. साथ ही महिला अपराध के दोषियों पर कड़ा एक्शन लिया जा रहा है.



महिला अपराधों की तत्परता से जांच और सजा : डीसीपी रवीना त्यागी के मुताबिक महिला अपराधों की तत्परता से जांच और सजा सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार के साथ पुलिस महकमा गंभीरता से कदम उठा रहा है. प्रदेश में राज्य महिला आयोग भी दहेज उत्पीड़न, मारपीट, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा, बलात्कार जैसे अपराध से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करता है. अपराधों के मामलों की तेजी से जांच और त्वरित सजा के लिए कड़े कानून प्रावधान हैं. वूमेंस हेल्पलाइन नंबर 1091 और 1090 पूरे देश के लिए है. इसके अलावा महिलाएं नेशनल कमीशन फॉर वूमन (NCW) में अपनी कोई बात रखना चाहें तो वे 0111-23219750 पर कॉल कर सकती हैं.


सामाजिक और कानूनी शिक्षा : डीसीपी ने कहा कि समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम के तहत बेटियों को निशुल्क शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है. स्कूलों में महिला अपराधों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से बच्चियों को उनके कानूनी अधिकारों के बारें में जानकारी दी जा रही है. जिसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और शोषण के खिलाफ कानून की जानकारी शामिल है. प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में महिला सुरक्षा जागरूकता और उनके अधिकार के बाबत कार्यशालाओं आयोजित करने पर जोर दिया जा रहा है.


महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य महिला आयोग प्रयासरत

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने बताया है कि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य महिला आयोग अपने स्तर से कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. खास करके ऐसे कार्यक्रम स्कूल और कॉलेज में आयोजित किए जा रहे हैं. इससे महिलाओं और बच्चियों में अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. सरकारी और गैर सरकारी स्कूल-कॉलेजों में महिला सुरक्षा के लिए सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग की भी क्लासेस चल रही हैं. मौजूद समय को देखते हुए बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग आवश्यक रूप से लेनी चाहिए. अगर वह स्कूल-कॉलेज में ट्रेनिंग नहीं ले पा रही हैं तो शहर के निजी प्रशिक्षण संस्थानों से सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग ली जा सकती है. अभिभावकों को भी अपनी बच्चियों की सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के प्रति आगे आना चाहिए.



कार्यस्थल पर सुरक्षा और समान अवसर : बबीता चौहान के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की ओर से महिलाओं के लिए कार्य और स्थल के बाबत कई निर्देश जारी किए गए हैं. इस पर तत्परता से अमल भी कराया जा रहा है. कार्य स्थल पर किसी भी तरह से महिलाओं के साथ भेदभाव, अभद्र टिप्पणी की दशा में कड़े एक्शन के साथ सजा का भा प्रावधान किया गया है.



महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण : कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून हैं. महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शाम 6 बजे के बाद किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थान में महिलाओं को रोकना वर्जित किया है. किसी भी दफ्तर में अगर महिला के साथ कोई भी अपराध होता है तो वह उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग या 1090 या फिर महिला पुलिस थाने में जाकर शिकायत की जा सकती है. समय-समय पर विभिन्न विभागों और संस्थानों का मौका मुआयना करके वहां कार्यरत महिलाओं का फीडबैक लिया जाता है.


महिला कर्मचारियों के लिए पैरेंटल लीव और अन्य सुविधाएं : कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के लिए पैरेंटल लीव, मातृत्व लाभ और अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी ने हर स्तर की शुरुआत की है. यदि कोई महिला गर्भवती है तो वह मैटरनिटी लीव ले सकती है. मैटरनिटी लीव की अवधि 26 सप्ताह है. यह अवधि सैलरी के साथ मिलती है. इस अवधि में गर्भवती और नई माताओं को काम और देखभाल के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है. यह हर सरकारी और गैर सरकारी कार्यस्थल की महिलाओं के लिए है.



महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा की दिशा में सुधार : बबीता चौहान ने कहा कि सबसे अहम है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति स्वयं सचेत रहें. महिलाओं में सबसे बड़ी कमी है कि वह पूरे घर की जिम्मेदारी उठाती हैं, लेकिन जब स्वयं की देखभाल में फिछड़ जाती हैं. महिलाओं को समझना होगा कि स्वयं का स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना घर के अन्य सदस्यों का. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था प्रथम स्थान पर है. यहां पर सभी सरकारी अस्पतालों में अलग से महिला विभाग है. जहां पर महिलाएं अपना मासिक चेकअप करा सकती हैं.



महिला शिक्षा में सुधार : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का दावा है कि प्रदेश सरकार ने महिला शिक्षा में सुधार और बेटियों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम के तहत बेटियों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है. बेटियां 12वीं के बाद स्कॉलरशिप के तहत अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकती हैं. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत बेटी के पैदा होने से लेकर उसकी शिक्षा दीक्षा और विवाह की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार निभा रही है.


महिला हिंसा रोकने के उपाय : उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान के अनुसार महिला हिंसा रोकने के लिए हर स्तर से पहल जरूरी है. शहरी क्षेत्र में घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में इस तरह की कुरीतियां बरकरार हैं. हालांकि पुलिस अलर्ट है. इसके बावजूद किसी तरह के उत्पीड़न की बात सामने आती है तो संविधान के तहत आरोपियों पर कड़ी सजा का प्रावधान है. बशर्ते महिलाओं का जागरूक होना और आगे आना जरूरी है. इसके लिए महिला थाना, महिला आयोग, 1090 महिला एवं बाल विभाग की मदद ली जा सकती है. महिलाएं 1090, 1097 और 112 हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से अपनी शिकातय दर्ज करा सकती हैं. उत्पीड़न की शिकार महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के लिए शेल्टर होम हैं. जहां पर कुशल और प्रशिक्षित महिलाएं उन्हें आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वावलंबी बनने के लिए ट्रेंड करती हैं.



सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय सहायता : प्रदेश सरकार महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार कर रही है. जैसे वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और अन्य वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के उत्थान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं कृषि कार्यों में लगी रहती हैं. ऐसी महिहालाओं के लिए कृषि योजनाओं, प्रशिक्षण और संसाधनों में बढ़ावा किया जा रहा है.



सामाजिक सशक्तिकरण और नेटवर्किंग : महिला स्वयं सहायता समूहों और महिला संगठनों को सशक्त बनाने के लिए सरकारी स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं. इनका लाभ लेकर महिलाएं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो सकती हैं. इन समूहों को सरकार वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान कर रही है. 1090 वन स्टॉप सेंटर जैसे कई संस्थान और विभाग महिलाओं को सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, मेकअप या किसी अन्य प्रशिक्षण में प्रशिक्षित करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्यरत हैं.

महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना : अधिवक्ता संगीत शुक्ला का कहना है कि बीते 5 वर्षों में महिला अपराधों में बहुत गिरावट आई है. महिलाएं जागरूक भी हुई हैं. प्रदेश सरकार ने महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए हर स्तर पर प्रयास भी किया है. आधी आबादी की भागीदारी अब हर क्षेत्र में है. राजनीति में भी महिलाएं आगे आ रही हैं. प्रदेश सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर के कड़े नियम बनाए हैं.



डिजिटल प्लेटफॉर्म और हेल्पलाइन :अधिवक्ता संगीत शुक्ला के मुताबिक हम एक अधिवक्ता हैं. हमारे पास महिलाओं से संबंधित तमाम केस आते हैं. जिन्हें हम लड़ते हैं और उन्हें इंसाफ दिलाते हैं. वर्तमान में महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने में सोशल मीडिया का अहम रोल है. सोशल मीडिया के जरिए शहरी और ग्रामीण हर क्षेत्र की महिलाएं व बेटियां जागरूक हो रही हैं. अपने हक और अधिकारी की आवाज बुलंद कर रही हैं. पिछले 5 वर्षों में महिला अपराध की संख्या घटी है. इसमें 'वूमेन सेफ्टी ऐप' और 'माय गवर्नमेंट' ऐप काफी मददगार साबित हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में महिला सुरक्षा के लिए बहुत काम करने की जरूरत: वैष्णवी सिंह - mau news

यह भी पढ़ें : अखिलेश ने कहा-महिलाएं हटा सकती हैं भाजपा सरकार, डिंपल ने भी किया सर्मथन - यूपी में महिला सुरक्षा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगर महिला सुरक्षा की बात किया जाए तो योगी सरकार इसको लेकर के काफी सख्ती से पेश आ रही है. राजधानी लखनऊ में 1090 का हेड क्वार्टर है. जहां पर महिलाओं से संबंधित मामले दर्ज किए जाते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का गठन 2017 में किया गया था. इन दोनों पर केंद्रों से महिलाओं को इंसाफ दिलाया जा रहा है. महिलाओं के साथ छेड़खानी, अभद्रता आदि घटनाओं पर कड़ा एक्शन लिया जा रहा है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में एक सिरफिरे ने लड़की से बीच राह छेड़खानी की. इसके बाद पुलिस ने 48 घंटे के भीतर ही सिरफिरे का एनकाउंटर कर दिया. यह महज एक उदाहरण है. इसके अलावा कई मामलों में यूपी सरकार की पैरवी से अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा गया है.

ईटीवी भारत को जानकारी देतीं डीसीपी रवीना त्यागी. (Video Credit : ETV Bharat)

डीसीपी रवीना त्यागी के मुताबिक महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार के साथ पुलिस विभाग भी पूरी तरह से तत्पर है. महिला सुरक्षा को लेकर थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. महिला हेल्पलाइन नंबर (1090) को अधिक प्रभावी बनाने के लिए नए हेल्पलाइन केंद्र स्थापित करने पर मंथन किया जा रहा है. साथ ही महिला अपराध के दोषियों पर कड़ा एक्शन लिया जा रहा है.



महिला अपराधों की तत्परता से जांच और सजा : डीसीपी रवीना त्यागी के मुताबिक महिला अपराधों की तत्परता से जांच और सजा सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार के साथ पुलिस महकमा गंभीरता से कदम उठा रहा है. प्रदेश में राज्य महिला आयोग भी दहेज उत्पीड़न, मारपीट, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा, बलात्कार जैसे अपराध से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करता है. अपराधों के मामलों की तेजी से जांच और त्वरित सजा के लिए कड़े कानून प्रावधान हैं. वूमेंस हेल्पलाइन नंबर 1091 और 1090 पूरे देश के लिए है. इसके अलावा महिलाएं नेशनल कमीशन फॉर वूमन (NCW) में अपनी कोई बात रखना चाहें तो वे 0111-23219750 पर कॉल कर सकती हैं.


सामाजिक और कानूनी शिक्षा : डीसीपी ने कहा कि समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम के तहत बेटियों को निशुल्क शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है. स्कूलों में महिला अपराधों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से बच्चियों को उनके कानूनी अधिकारों के बारें में जानकारी दी जा रही है. जिसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और शोषण के खिलाफ कानून की जानकारी शामिल है. प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में महिला सुरक्षा जागरूकता और उनके अधिकार के बाबत कार्यशालाओं आयोजित करने पर जोर दिया जा रहा है.


महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य महिला आयोग प्रयासरत

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने बताया है कि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य महिला आयोग अपने स्तर से कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. खास करके ऐसे कार्यक्रम स्कूल और कॉलेज में आयोजित किए जा रहे हैं. इससे महिलाओं और बच्चियों में अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. सरकारी और गैर सरकारी स्कूल-कॉलेजों में महिला सुरक्षा के लिए सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग की भी क्लासेस चल रही हैं. मौजूद समय को देखते हुए बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग आवश्यक रूप से लेनी चाहिए. अगर वह स्कूल-कॉलेज में ट्रेनिंग नहीं ले पा रही हैं तो शहर के निजी प्रशिक्षण संस्थानों से सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग ली जा सकती है. अभिभावकों को भी अपनी बच्चियों की सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के प्रति आगे आना चाहिए.



कार्यस्थल पर सुरक्षा और समान अवसर : बबीता चौहान के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की ओर से महिलाओं के लिए कार्य और स्थल के बाबत कई निर्देश जारी किए गए हैं. इस पर तत्परता से अमल भी कराया जा रहा है. कार्य स्थल पर किसी भी तरह से महिलाओं के साथ भेदभाव, अभद्र टिप्पणी की दशा में कड़े एक्शन के साथ सजा का भा प्रावधान किया गया है.



महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण : कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून हैं. महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शाम 6 बजे के बाद किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थान में महिलाओं को रोकना वर्जित किया है. किसी भी दफ्तर में अगर महिला के साथ कोई भी अपराध होता है तो वह उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग या 1090 या फिर महिला पुलिस थाने में जाकर शिकायत की जा सकती है. समय-समय पर विभिन्न विभागों और संस्थानों का मौका मुआयना करके वहां कार्यरत महिलाओं का फीडबैक लिया जाता है.


महिला कर्मचारियों के लिए पैरेंटल लीव और अन्य सुविधाएं : कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के लिए पैरेंटल लीव, मातृत्व लाभ और अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी ने हर स्तर की शुरुआत की है. यदि कोई महिला गर्भवती है तो वह मैटरनिटी लीव ले सकती है. मैटरनिटी लीव की अवधि 26 सप्ताह है. यह अवधि सैलरी के साथ मिलती है. इस अवधि में गर्भवती और नई माताओं को काम और देखभाल के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है. यह हर सरकारी और गैर सरकारी कार्यस्थल की महिलाओं के लिए है.



महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा की दिशा में सुधार : बबीता चौहान ने कहा कि सबसे अहम है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति स्वयं सचेत रहें. महिलाओं में सबसे बड़ी कमी है कि वह पूरे घर की जिम्मेदारी उठाती हैं, लेकिन जब स्वयं की देखभाल में फिछड़ जाती हैं. महिलाओं को समझना होगा कि स्वयं का स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना घर के अन्य सदस्यों का. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था प्रथम स्थान पर है. यहां पर सभी सरकारी अस्पतालों में अलग से महिला विभाग है. जहां पर महिलाएं अपना मासिक चेकअप करा सकती हैं.



महिला शिक्षा में सुधार : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का दावा है कि प्रदेश सरकार ने महिला शिक्षा में सुधार और बेटियों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम के तहत बेटियों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है. बेटियां 12वीं के बाद स्कॉलरशिप के तहत अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकती हैं. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत बेटी के पैदा होने से लेकर उसकी शिक्षा दीक्षा और विवाह की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार निभा रही है.


महिला हिंसा रोकने के उपाय : उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान के अनुसार महिला हिंसा रोकने के लिए हर स्तर से पहल जरूरी है. शहरी क्षेत्र में घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में इस तरह की कुरीतियां बरकरार हैं. हालांकि पुलिस अलर्ट है. इसके बावजूद किसी तरह के उत्पीड़न की बात सामने आती है तो संविधान के तहत आरोपियों पर कड़ी सजा का प्रावधान है. बशर्ते महिलाओं का जागरूक होना और आगे आना जरूरी है. इसके लिए महिला थाना, महिला आयोग, 1090 महिला एवं बाल विभाग की मदद ली जा सकती है. महिलाएं 1090, 1097 और 112 हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से अपनी शिकातय दर्ज करा सकती हैं. उत्पीड़न की शिकार महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के लिए शेल्टर होम हैं. जहां पर कुशल और प्रशिक्षित महिलाएं उन्हें आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वावलंबी बनने के लिए ट्रेंड करती हैं.



सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय सहायता : प्रदेश सरकार महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार कर रही है. जैसे वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और अन्य वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के उत्थान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं कृषि कार्यों में लगी रहती हैं. ऐसी महिहालाओं के लिए कृषि योजनाओं, प्रशिक्षण और संसाधनों में बढ़ावा किया जा रहा है.



सामाजिक सशक्तिकरण और नेटवर्किंग : महिला स्वयं सहायता समूहों और महिला संगठनों को सशक्त बनाने के लिए सरकारी स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं. इनका लाभ लेकर महिलाएं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो सकती हैं. इन समूहों को सरकार वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान कर रही है. 1090 वन स्टॉप सेंटर जैसे कई संस्थान और विभाग महिलाओं को सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, मेकअप या किसी अन्य प्रशिक्षण में प्रशिक्षित करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्यरत हैं.

महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना : अधिवक्ता संगीत शुक्ला का कहना है कि बीते 5 वर्षों में महिला अपराधों में बहुत गिरावट आई है. महिलाएं जागरूक भी हुई हैं. प्रदेश सरकार ने महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए हर स्तर पर प्रयास भी किया है. आधी आबादी की भागीदारी अब हर क्षेत्र में है. राजनीति में भी महिलाएं आगे आ रही हैं. प्रदेश सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर के कड़े नियम बनाए हैं.



डिजिटल प्लेटफॉर्म और हेल्पलाइन :अधिवक्ता संगीत शुक्ला के मुताबिक हम एक अधिवक्ता हैं. हमारे पास महिलाओं से संबंधित तमाम केस आते हैं. जिन्हें हम लड़ते हैं और उन्हें इंसाफ दिलाते हैं. वर्तमान में महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने में सोशल मीडिया का अहम रोल है. सोशल मीडिया के जरिए शहरी और ग्रामीण हर क्षेत्र की महिलाएं व बेटियां जागरूक हो रही हैं. अपने हक और अधिकारी की आवाज बुलंद कर रही हैं. पिछले 5 वर्षों में महिला अपराध की संख्या घटी है. इसमें 'वूमेन सेफ्टी ऐप' और 'माय गवर्नमेंट' ऐप काफी मददगार साबित हो रहे हैं.

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