लखनऊ : महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को सदन ने चर्चा के बाद कार्यकारिणी से पास आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 के मूल बजट 28 अरब 59 करोड़ 15 हजार रुपये को मंजूरी प्रदान की गई. कांग्रेस और सपा पार्षदों की ओर से पार्षद कोटा बढ़ा कर दो करोड़ रुपये किए जाने की मांग की गई. इस पर लंच के पहले व बाद में दो बार हंगामा भी हुआ, मगर महापौर ने साफ इंकार कर दिया. इस पर बसपा कांग्रेस व सपा पार्षदों ने वाकआउट कर दिया और सदन से बाहर चले गए. बहरहाल महापौर ने सभी नगर निगमों में वार्ड विकास प्राथमिकता निधि का अध्ययन कराने के लिए कमेटी गठित कर दी है. नए वित्तीय वर्ष से पार्षद अपने वार्ड में डेढ़ करोड़ रुपये से विकास कार्य करा सकेंगे. इस धनराशि से हर वार्ड में सड़क, पार्क, स्ट्रीट लाइट, नलकूप व सबमर्सिबल पम्प के काम हो सकेंगे. इसके साथ ही महापौर कोटे के 35 करोड़ व नगर आयुक्त कोटे के 25 करोड़ से भी पूरे शहर में काम होंगे.
महापौर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि मूल बजट के आय व व्यय के एक-एक बिंदु पर चर्चा की गई. सपा पार्षद सैय्यद यावर हुसैन रेशू ने गृहकर वसूली का लक्ष्य 556 करोड़ से बढ़ाकर 621 करोड़ रुपये किए जाने पर सवाल किया. जबकि दिसंबर तक वसूली सिर्फ 240 करोड़ रुपये ही हुई है. इस पर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने जानकारी दी कि गृहकर वसूली के 621 करोड़ रुपये के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है. बताया गया कि नगर निगम सीमा में अभी तक 5.39 लाख भवन स्वामियों से गृहकर जमा होता है. नए सर्वे के बाद 1.62 भवन और बढ़े हैं. इसके साथ ही अलग-अलग भवनों की 35 श्रेणियां बनाई गईं हैं. इनमें होटल, अस्पताल, विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज इत्यादि शामिल हैं. सभी पर फोकस करते हुए मार्च 2024 तक यह वसूली किए जाने का दावा किया है. अंसल आदि हाइटेक टाउनशिप पर करीब 20 करोड़ रुपये वसूलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस सम्बंध में 27 फरवरी को शासन में कमेटी की बैठक होगी. सदन में जोनवार वसूली का आंकड़ा रखा गया. नगर आयुक्त ने बताया शत्रु संपत्तियों को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्राप्त हो गया है. नगर निगम सीमा में करीब 116 शत्रु संपत्तियां हैं.
मेयर, पार्षद कोटे के खर्च का फार्मूला तय : महापौर ने बताया कि सभी तरह की विकास निधि के खर्च का फार्मूला तय कर दिया गया है. वार्ड विकास प्राथमिकता निधि (पार्षद कोटा) 1.27 करोड़, महापौर निधि 35 व नगर आयुक्त निधि 25 करोड़ से विकास कार्य होंगे. निधि की 50 प्रतिशत धनराशि से सिविल कार्य, 20 प्रतिशत का स्ट्रीट लाइट, पार्क के लिए 15 प्रतिशत, वेंडिंग जोन व चौराहे के लिए 10 प्रतिशत तथा अन्य नाली आदि मरम्मत कार्यों पर पांच प्रतिशत खर्च किया जा सकेगा. यह फार्मूला सभी तरह की निधि के लिए लागू होगा.
पार्षद कोटा दो करोड़ की मांग पर हंगामा : सदन में पार्षद कोटा बढ़ाए जाने को लेकर विपक्ष ने हंगामा काटा. बजट पर चर्चा के दौरान भाजपा पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान ने वार्ड विकास प्राथमिकता निधि को दो करोड़ रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा. इसका समथर्न भाजपा पार्षदों के साथ ही सपा व कांग्रेस ने किया, मगर पार्षद मुकेश सिंह चौहान दो करोड़ रुपये करने को लेकर अड़े रहे. आरोप लगाया कि महापौर व नगर आयुक्त की निधि बढ़ चुकी है तो पार्षदों की निधि में वृद्धि की जानी चाहिए. इस पर महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि पहले 450 करोड़ रुपये की देनदारी को खत्म करना है. कहा कि अकेले लखनऊ नगर निगम में ही वार्ड विकास निधि सबसे अधिक है. उन्होंने कमेटी बनाकर सभी नगर निगमों में पार्षद निधि का अध्ययन कराने का निर्देश दिया. इसके लिए कंपनी का चयन होगा. उसकी रिपोर्ट के बाद निर्णय लिया जाएगा. महापौर के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया.
इस्माइलगंज वार्ड के साथ भेदभावः कांग्रेस पार्षद मुकेश चौहान ने आरोप लगाया कि इस्माइलगंज वार्ड प्रथम को छोड़कर सभी वार्डों में 15वें वित्त के मद से काम कराए गए. उन्होंने इस्तीफा देने तक की चेतावनी दी. कहा कि नगर विकास मंत्री के आदेश पर भी कार्य नहीं कराया गया. भाजपा पार्षद भृगुनाथ शुक्ला ने पार्षद कोटा बढ़ाए जाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि दूसरे निगमों में 74वां संविधान भी लागू है. विपक्ष के हंगामे के बाद लंच के लिए सदन स्थगित कर दिया गया. दोबारा सदन की बैठक शुरू होने पर मुकेश सिंह चौहान ने फिर कोटा बढ़ाने की मांग दोहराई. कई बार मुकेश की महापौर से तू-तू, मैं-मैं भी हुई. मुकेश समेत सपा व कांग्रेस पार्षद वेल में आ गए. करीब 10 मिनट तक नारेबाजी होती रही. महापौर के इंकार पर सभी विपक्ष के पार्षदों ने सदन से वाकआउट कर दिया. बसपा पार्षद अमित चौधरी बैठे रहे.
तीन साल का बनेगा रोड रजिस्टर : हर बाद कोटा बढ़ाने की मांग पर महापौर ने कहा कि अब रोड रजिस्टर बनाया जाएगा. इसमें तीन साल का रिकार्ड होगा. इस दौरान कराए गए सभी विकास कार्यों का विवरण देना होगा. इसके लिए कंपनी रखी जाएगी. किस वार्ड में कब, कितनी व लागत आदि की पूरी जानकारी देनी होगी.
537 करोड़ की देनदारी : नगर निगम पर करीब 537 करोड़ की देनदारी है. मुख्य अभियंता महेश वर्मा ने बताया वर्ष 2020-21 में 75 कामों के लिए 365 करोड़ और वर्ष 2022-23 में 24 कामों के लिए 172 करोड़ रुपये की देनदारी है. इसकी रिपोर्ट अधिशासी अभियंताओं से ले ली गई है. महापौर ने इसका सत्यापन कराने के लिए कमेटी बनाने के निर्देश दिए.
नगर निगम की एनओसी बिना नहीं बनेंगी सड़कें : नगर निगम की एनओसी बिना नहीं बनेंगी सड़कें लखनऊ. नगर निगम सीमा में कोई भी नगर निगम से बिना एनओसी नहीं बन सकेगी. सड़क नगर निगम सीमा में किसी भी विभाग के सड़क बनाने पर उसे नगर निगम से एनओसी लेनी होगी. महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा है कि कई बार एक सड़क को कई विभाग व अलग-अलग मद से बनाने का विवाद होता है. एनओसी से यह विवाद खत्म होगा. अब जो भी विभाग शहर में सड़क बनाएंगे, उन्हें नगर निगम से एनओसी लेनी होगी. बिना एनओसी कोई भी विभाग सड़क नहीं बना पाएगा. टेलीफोन और अन्य चीजों के लिए सड़क की खोदाई करने वाले विभागों को भी एनओसी लेनी होगी. बिना एनओसी वह सड़क नहीं खोद पाएंगे. रोड कटिंग की एनओसी के साथ सड़क बनाने का पैसा भी जमा करना होगा.
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