लखनऊ : उत्तर प्रदेश में उद्योगपतियों और बेरोजगारों को कम ऋण मिलने को लेकर सरकार में नाराजगी है. इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रत्येक मंडल आयुक्त और जिले के डीएम की जिम्मेदारी तय की जा रही है. बैंकों में जमा होने वाले धन और उसके सापेक्ष दिए जाने वाले ऋण की औसत में कमी आने की दशा में प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी और मंडल में मंडल आयुक्त की सालाना ACR में इसकी टिप्पणी की जाएगी.
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस संबंध में जारी शासनादेश की जानकारी शुक्रवार को लोक भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऐतिहासिक निर्णय गया है. जिलाधिकारी और मंडलायुक्त की सालान रिपोर्ट (ACR) में निवेश और सीडी रेशियो के प्रयास कम या ज्यादा होने की दशा दर्ज की जाएगी. जिले में डीएम के कार्यकाल में कितना निवेश आया और कितना सीडी रेशियो बढ़ा, उसकी जानकारी उनका 31 मार्च को क्लियर करनी होगी. उन्होंने कहा कि निवेश से रोजगार सृजित होते हैं, युवाओं को नौकरी मिलती है. अब जिलाधिकारी और मंडलायुक्त इस पर विशेष ध्यान देंगे. वार्षिक आधार पर निवेश और सीडी रेशियो की मॉनिटरिंग होगी. बेहतर कार्य करने वाले जिलाधिकारियों की ACR भी बेहतर बनेगी.
उत्तर प्रदेश का CD (क्रेडिट डेबिट) रेशियो बढ़ा है. क्रेडिट डेबिट वह रेशों होता है. इसमें बैंकों में जमाधान और उसके सापेक्ष दिए गए ऋण का आँकलन किया जाता है. उत्तर प्रदेश में वर्तमान में क्रेडिट डेबिट 60 प्रतिशत है. यानी कि बैंक में जब 100 रुपये जमा होते हैं तो उसके सापेक्ष 60 रुपये ही ऋण के तौर दिए जाते हैं. देश का औसत 70 प्रतिशत से भी अधिक है. राजधानी लखनऊ जैसे जिले में भी यह औसत 45 प्रतिशत के करीब है. जहां सीडी रेशियो कम है वहां आर्थिक गतिविधियां भी कम हैं. अधिक सीडी रेशियो वाले सम्भल और अमरोहा जिले हैं. कम सीडी रेशियो वाले जिले में उन्नाव प्रथम है.
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि एक स्वस्थ/पारदर्शी औद्योगिक निवेश को प्रमोट किए जाने की नीति (Monetary Policy) को भी मजबूती दी जानी आवश्यक है. विगत वर्षों में में अपेक्षित बढ़ोतरी हुई है, परंतु इसे और अधिक बढ़ाए जाने की आवश्यकता है. किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए पर्याप्त ऋण के पूर्ण घटक है. अतः ऐसी स्थिति में ऋण का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करना अधिकारियों के महत्वपूर्ण उत्तरदायित्वों में से है. C:D Ratio में वृद्धि के लिए आवश्यकता है.
इस संदर्भ में यह निर्णय लिया गया है कि संस्थागत वित्त विभाग, उत्तर प्रदेश शासन से परामर्श करते हुए प्रत्येक जनपद के वर्ष के प्रारम्भ में जो Credit-Deposit Ratio है. उन मजिस्ट्रेट व मण्डलायुक्त को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करेंगे. वर्ष के अंत में जिला मजिस्ट्रेट अपने जनपद एवं मण्डलायुक्त अपने मण्डल के Deposit Ratio में हुई बढ़ोतरी और परिवर्तन की सूचना का विश्लेषण करते हुए (Performance Appraisal Report) में स्पष्ट रूप से अंकित करेंगे.