लखनऊ : राजधानी में पहली बार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू की गई है. पूर्व में इसे धारा 144 सीआरपीसी के नाम से जाना जाता था. आगामी विभिन्न त्योहारों, प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य धरना प्रदशनों को देखते हुए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था ने 14 सितंबर तक निषेधाज्ञा अंतर्गत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू किया है.
इस तारीख तक लागू रहेगी धारा: ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था अमित वर्मा ने बताया कि, आगामी विभिन्न महत्वपूर्ण त्यौहार रक्षाबन्धन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और अन्य कार्यक्रमों को देखते हुए लखनऊ में 163 धारा लागू की गई है. इसके साथ ही लखनऊ में आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं और भारतीय किसान संगठनों, प्रदर्शनकारियों द्वारा धरना प्रदर्शन से शांति व्यवस्था का पूर्णतया अनुपालन कराने के लिए नवीन निषेधाज्ञा अंतर्गत धारा 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पूर्व धारा 144 सीआरपीसी) लागू की गयी, जो 14 सितंबर 2024 तक लागू रहेगी.
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ज्वलनशील पदार्थ, हथियार पर प्रतिबंध : ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने बताया, कि सितम्बर माह में विभिन्न महत्वपूर्ण त्योहार, कार्यक्रम, विभिन्न प्रवेश परीक्षाएं लखनऊ में आयोजित होंगी. ऐसे में बिना अनुमति के निर्धारित धरना स्थल को छोड़कर अन्य स्थान पर किसी भी प्रकार का धरना प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. सरकारी दफ्तरों और विधानभवन के आसपास एक किलोमीटर परिधि में ड्रोन से शूटिंग, ट्रैक्टर, ट्रैक्टर-ट्राली, आदि लेकर आवागमन पूर्णरूप से प्रतिबन्धित रहेगा.
गलत सूचना प्रसारित करना पडे़गा महंगा:इसके अलावा लखनऊ की सीमा के अन्दर तेज धार वाले, नुकीले शस्त्र अथवा आग्नेयास्त्र / ज्वलनशील पदार्थ, हथियार लेकर चलना, सार्वजनिक स्थलों पर पुतला जलाना, अफवाहे फैलाना और मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना का प्रसारित किया जाना प्रतिबंधित रहेगा. लखनऊ में वितरण कर्मचारी रखने वाली सभी निजी कंपनियां सेवा प्रदाता, अन्य ऑनलाइन कम्पनियों की जिम्मेदारी होगी कि वितरण कर्मचारियों की नियुक्ति से पूर्व उनका पुलिस सत्यापन अनिवार्य रूप से कराएंगे.
किराएदारों की पुलिस को दे जानकारी: कोई भी मकान मालिक जिनका मकान लखनऊ में स्थित है, वह बिना किरायेदार का पुलिस सत्यापन कराये मकान किराये पर नहीं देंगे. निर्देशों का उल्लंघन करने पर यदि वितरण कर्मचारी/किराएदार द्वारा कोई अपराध करता है, या कोई गंभीर घटना घटित करता है और वितरण कर्मचारी/किरायेदार का नाम पता तस्दीक न होने के कारण उसका पता नहीं चल पाता है तो सेवा प्रदाता या मकान मालिक के खिलाफ भी विधिपूर्ण कार्रवाई की जा सकेगी.