लखनऊ : सर्दियों की शुरुआत होते ही शहर का प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ने लगता है. प्रदेश के कुछ जिले ऐसे हैं जो हमेशा प्रदूषण के मामले में टॉप 10 में आते हैं. इस समय मुजफ्फरनगर, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ जैसे अन्य जिले शामिल हैं. सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की बुधवार की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का प्रदूषण स्तर 197 सबसे अधिक है. वर्तमान में राजधानी लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स तेजी से बढ़ रहा है. जहां बीते महीने में शहर का एक्यूआई 75 या 85 हुआ करता था. वहीं, अब प्रदूषण स्तर 150 के पार हो चुका है.
हवा की सेहत गिरी, एक्यूआई 150 के पार : राजधानी की आबोहवा बिगड़ने लगी है. बीते सोमवार को एक्यूआई 115 दर्ज किया गया. जो खराब की श्रेणी है. वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में बीते दिन मंगलवार को एक्यूआई 168 दर्ज किया गया था जो खराब की श्रेणी में था. बीते तीन दिनों में एक्यूआई बढ़ रहा है. वहीं नगर निगम का दावा है कि रोड स्वीपिंग और एंटी स्मॉग गन से राहत देने की कोशिश की जा रही है.
एक्यूआई | जिला |
120 164 130 163 164 197 134 112 136 103 | ग्रेटर नोएडा गोरखपुर गाजियाबाद कानपुर लखनऊ मुजफ्फरनगर मेरठ नोएडा प्रतापगढ़ प्रयागराज |
पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि शहरों में वायु प्रदूषण चिंता का विषय बनता जा रहा है. बढ़ता प्रदूषण लोगों की सेहत के लिए काफी हानिकारक बनता जा रहा है. जहरीली हवा से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. इसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण का असर आंखों पर भी पड़ा रहा है.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अख्तर ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में वायु प्रदूषण से प्रभावित मरीज अस्पताल की ओपीडी में अधिक आ रहे हैं. इस समय वायु प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की संख्या अस्पताल की ओपीडी में अधिक है ज्यादा तो जो मरीज आ रहे हैं उनकी आंखों में इंफेक्शन है जो कि प्रदूषण के कारण हुआ है इसलिए जब भी बाहर निकले तो चश्मे का इस्तेमाल जरूर करें ताकि धूल के कण आंखों में न प्रवेश करें. रोजाना इस समय अस्पताल की ओपीडी में लगभग 200 मरीज आ रहे हैं. पहले इससे कम ही मरीज वायु प्रदूषण के कारण आंखों में समस्या के साथ आते थे.
शहर में दौड़ रहे लाखों वाहन : वनों के विनाश, उद्योग, कल कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु और ध्वनि प्रदूषण का कारक माना जा रहा है. शहर में दौड़ रहे वाहनों में लगे हॉर्न से उत्पन्न होने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में करीब 21,23, 813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. इस प्रकार से राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.
लक्षण : अगर किसी व्यक्ति की आंखों में कोई दिक्कत हो रही है तो सबसे पहले मरीज को आंखों में जलन शुरू होगी. कई केस में देखा गया है कि प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की आंखें लाल हो जाती है. बहुत से लोगों में आंखों में दर्द होने की समस्या के अलावा आंखों से लगाता पानी निकलता है. आंख में खुजली होती है. अत्यधिक आंखों में कीचड़ आना और आंखों के कोने में खुजली का होना. सुबह सोकर उठते समय आंखों का चिपक जाना. आंख में दिक्कत होने के कारण सिर में लगातार दर्द बना रहना.
इन बातों का रखें ख्याल : ठंडे पानी से आंखों को धुलें. बाहर से जब भी घर आए तो एक बाल्टी पानी जो पूरी भरी हो उसमें आंखें खोल कर अपने चेहरे को बाल्टी में डालें जिससे आंखों में पानी जाएगा और आंखें साफ होगी. डॉक्टर द्वारा सुझाव दिए हुए आई ड्राप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. बहुत ज्यादा वायु प्रदूषण होने पर अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने से बचें. पलकों को बार-बार झपकाते रहें, जिससे आंखों को आराम मिलता है. अगर आप लगातार कम्प्यूटर पर भी काम कर रहे हैं तो आपको पलकों को जरूर झपकाना चाहिए. आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखें. अगर बाहर जाते वक्त चश्मा आदि पहनते हैं तो आपको इसका फायदा मिल सकता है.
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