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इयर एंडर : 906 दिन बाद यूपी को परमानेंट DGP मिलने की उम्मीद, पढ़िए यूपी पुलिस के लिए कैसा रहा साल 2024 - DGP SELECTION IN UP

DGP selection in UP : योगी सरकार की नई नियमावली लागू होने से डीजीपी चयन में संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका खत्म होगी.

यूपी में नए डीजीपी की खोज.
यूपी में नए डीजीपी की खोज. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

लखनऊ : यूपी में 2 वर्ष 176 दिन बाद स्थाई डीजीपी मिलने की उम्मीद है. डीजीपी चयन के लिए योगी सरकार ने नई नियमावली तैयार की है. इस नियमावली के बनने से सरकार के सामने अपने पसंद का डीजीपी नियुक्ति करने का सबसे बड़ा रोड़ा हट गया है. इस नियमावली के तहत डीजीपी की नियुक्ति पर संघ लोक सेवा आयोग भूमिका लगभग समाप्त हो गई है. सरकार आयोग को प्रस्ताव भेजने से मुक्त हो गई है.



साल खत्म होते ही डीजी चयन की उम्मीद: वर्ष 2024 के अंत से 56 दिन पहले 5 नवंबर 2024 को डीजीपी की नियुक्ति के लिए बनी नई नियमावली को बनाने के कारणों और उसकी उपलब्धि को समझने के लिए पीछे की पृष्ठभूमि काफी अहम है. नई नियमावली बनाने के लिए 906 दिन पहले 11 मई 2022 को योगी सरकार ने तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक उनके पद से हटा दिया. इसके पीछे का कारण बताया गया कि वे शासकीय कार्यों की अवहेलना कर रहे थे और विभागीय कार्यों में रुचि नहीं ले रहे थे. सरकार ने दो दिन बाद तत्कालीन डीजी इंटेलिजेंस डी. एस. चौहान को डीजीपी बना दिया. अब सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यूपीएससी को डीजीपी के चयन के लिए प्रस्ताव भेजना था. ऐसे में सरकार ने नए डीजीपी के लिए यूपीएससी को प्रस्ताव भेजा. जिसमें डी. एस. चौहान समेत सभी वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम शामिल थे.

lucknow-after-906-days-up-is-expected-to-get-permanent-dgp-in-2025
एक नजर. (Photo Credit : ETV Bharat)
  • अबतक के अस्थाई डीजीपी

  • 1988 बैच के आईपीएस डीएस चौहान को 13 मई 2022 से 31 मार्च 2023.
  • 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा को 1 अप्रैल 2023 से 31 मई 2023.
  • 1988 बैच के आईपीएस विजय कुमार को 1 जून से 31 जनवरी 2024.
  • वर्तमान के अस्थाई डीजीपी प्रशांत कुमार को 1 फरवरी 2024 में बनाया गया.



आयोग से ठनने के बाद सरकार ने तैयार की नियमावली: सरकार को यह भरोसा था कि आयोग की बैठक में उनके द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लगा कर तीन वरिष्ठ अफसरों का पैनल सरकार को भेज देगी. जिसमें वरिष्ठता क्रम में डी.एस. चौहान का भी नाम शामिल होगा. इसके इतर आयोग ने उस प्रस्ताव को बैरंग वापस भेजते हुए मुकुल गोयल को पद से हटाए जाने का ठोस कारण पूछ लिया. सरकार जानती थी कि जिस कारण को बताकर मुकुल गोयल को हटाया गया है उस जवाब को आयोग सिरे से नकार देगा. ऐसे में सरकार ने जवाब भेजा और न स्थाई डीजीपी के लिए नया प्रस्ताव. इसके बाद से ही सरकार बिना प्रस्ताव भेजे कार्यवाहक डीजीपी तैनात करती आ रही है. सरकार जानती थी यदि वह प्रस्ताव भेजेगी तो एक बार फिर मुकुल गोयल को हटाने का कारण पूछ लिया जाएगा.

सुलखान सिंह, पूर्व डीजीपी.
सुलखान सिंह, पूर्व डीजीपी. (Photo Credit : ETV Bharat)
सुप्रीम कोर्ट की नोटिस ने बढ़ाई राज्य सरकार की चिंताः सरकार को अस्थाई डीजीपी तैनात करने में कोई समस्या नहीं आ रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में स्थाई डीजीपी नियुक्त न होने पर तीन अलग अलग याचिकाएं दायर हुईं. जिसमें एक याचिका जन सेवा ट्रस्ट की ओर से गोपाल शंकर नारायण की भी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों याचिकाओं को एक कर इन सभी राज्यों के साथ साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग को नोटिस भेज जवाब तलब किया. इस बीच सरकार प्रशांत कुमार को अस्थाई डीजीपी बना चुकी थी. ऐसे में अब उनके रिटायरमेंट से पहले सरकार के सामने स्थाई डीजीपी के लिए कोई दूसरा रास्ता ढूंढ़ने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपना मजबूत जवाब दाखिल करने की चुनौती थी. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई मार्च 2025 में होनी है. ऐसे में सरकार को हर कदम इससे पहले ही उठाना है.
बृजलाल, पूर्व डीजीपी
बृजलाल, पूर्व डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)
प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी
प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)


सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर अगली तारीख से पहले ही योगी सरकार को पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए डीजीपी नियुक्ति की शक्ति संघ लोक सेवा आयोग से अपने हाथों में लेने की रणनीति में काम करना था. ऐसे में सरकार ने 5 नवंबर 2024 को पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख ) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी दे दी. सरकार ने कहा कि हमने यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत ही बनाई है.

प्रशांत कुमार, वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी
प्रशांत कुमार, वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)

प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला: असम और यूपी के डीजीपी रहे प्रकाश सिंह ने रिटायर होने के बाद वर्ष 1996 को सुप्रीम कोर्ट में पुलिस सुधार को लेकर याचिका दाखिल की थी. इसमें 22 सितंबर 2006 को कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों से पुलिस महकमे में सुधार लाने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने 7 ऐसे दिशा-निर्देश दिए कि जिससे राज्य पुलिस बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम कर सके. इन दिशा निर्देशों में डीजीपी के चयन का मुद्दा भी था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो अफसर कुछ ही दिन या माह में रिटायर हो रहे हो उन्हें डीजीपी बनाने से बेहतर है कि यह जिम्मेदारी उन्हें दी जाए जिनका कार्यकाल कम से कम दो वर्ष का बचा हो. जिससे कोई भी नेता उनका ट्रांसफर कभी भी न करवा सके. इसके अलावा डीजीपी चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग के तत्वावधान में कमेटी बनाने के भी निर्देश दिए गए.

पूर्व डीजीपी बृजलाल.
पूर्व डीजीपी बृजलाल. (Photo Credit : ETV Bharat)
विजय कुमार, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी
विजय कुमार, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)
आरके विश्वकर्मा, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी.
आरके विश्वकर्मा, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी. (Photo Credit : ETV Bharat)
डीएस चौहान, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी
डीएस चौहान, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)
मुकुल गोयल, पूर्व डीजीपी
मुकुल गोयल, पूर्व डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)


क्या है सरकार की नई नियमावलीः वर्ष 2024 के अंत में ही सही दो वर्ष 176 दिन बाद स्थाई डीजीपी बनने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख ) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 में कई खास बाते हैं. नई नियमावली में आयोग की भूमिका खत्म कर दी गई है. चयन कमेटी में अब हाई कोर्ट के रिटायर जज अध्यक्ष होंगे, उनके अलावा मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या एक नामित प्रतिनिधि, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव और राज्य के एक सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक सदस्य होंगे. नियमावली में प्रावधान है कि चयन के बाद डीजीपी को न्यूनतम दो वर्ष का कार्यकाल जरूर दिया जाएगा. इसके अलावा हटाने के लिए प्रमुख कारणों में शासकीय कार्य की अवेहलना, विभागीय कार्यों में रूचि न लेना और अकर्मण्यता को भी रखा गया.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की राय.
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की राय. (Photo Credit : ETV Bharat)


नई नियमावली पर पूर्व अफसरों की राय: योगी सरकार द्वारा बनाई गई इस नियमावली को लेकर पूर्व पुलिस अफसरों के अलग अलग मत सामने आए हैं. यूपी के डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने कहा कि यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट की मंशा के खिलाफ है. वर्ष 2006 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में डीजीपी के चयन की प्रक्रिया बताई गई थी. इस नियमावली के बाद तो आयोग की भूमिका बिलकुल खत्म ही हो जाएगी.




अब तक कैसे होती है DGP की नियुक्तिः प्रत्येक राज्य में डीजीपी या पुलिस फोर्स के मुखिया की नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार ऐसे डीजी या स्पेशल डीजी रैंक के अफसरों के नाम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजती है. जिन्होंने 30 वर्ष की पुलिस सेवा पूरी कर ली हो और जिनका कार्यकाल कम से कम छह महीने का बचा हुआ हो. डीजीपी चयन के लिए आयोग की एक कमेटी है. जिसमें यूपीएससी के चैयरमैन या फिर सदस्य अध्यक्ष होते हैं. उनके अलावा भारत सरकार के गृह सचिव या विशेष सचिव, राज्य के मुख्यसचिव, वर्तमान डीजीपी व केंद्रीय बल का कोई एक चीफ शामिल होता हैं. आयोग सभी आईपीएस अफसरों की योग्यता देख कर तीन सबसे वरिष्ठतम आईपीएस अफसरों का एक पैनल राज्य सरकार को भेजता है. इन्हीं तीन अफसरों में से एक अफसर को सरकार डीजीपी नियुक्त कर देती है. यह डीजीपी कम से कम दो वर्ष के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए. डीजीपी को हटाने की प्रक्रिया सर्विस रूल्स के उल्लंघन या क्रिमिनल केस में कोर्ट का फैसला आने, भ्रष्टाचार साबित होने पर शुरू होती है या डीजीपी को तब हटाया जा सकता है जब वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो.

क्या नये वर्ष में यूपी को स्थाई डीजीपी मिल सकेगा: दो वर्ष 176 दिनों से अस्थाई डीजीपी ही यूपी में नियुक्त हुआ, लेकिन वर्ष 2025 के अंतिम दिनों में सरकार ने नई नियमावली बनाकर एक उम्मीद तो जगाई है. हालांकि सवाल उठता है कि क्या नये वर्ष 2025 में यूपी को स्थाई डीजीपी मिल सकेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अस्थाई डीजीपी चयन को लेकर दायर की गई तीन याचिकाओं पर जैसे ही छह राज्यों को नोटिस दी तो उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने स्थाई डीजीपी नियुक्त कर दी. वह भी आयोग के द्वारा भेजे गए अफसरों को चुन कर, लेकिन यूपी सरकार ने अपनी नई नियमावली बना ली है.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई मार्च 2025 को होगी और उससे 10 दिन पहले संघ लोक सेवा आयोग को जवाब दाखिल करना है. ऐसे में सरकार के पास अभी समय है. इसके अलावा मई 2025 तक प्रशांत कुमार का कार्यकाल भी बचा हुआ है. ऐसे में प्रशांत कुमार के बाद 2025 में जो भी डीजीपी यूपी में नियुक्त होगा वह इसी नियमावली के तहत बनाया जाएगा. हालांकि यह तब संभव होगा जब मार्च 2025 को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सरकार की नियमावली से संतुष्ट हो जाए.




यह भी पढ़ें : दो माह के लिए फिर यूपी को मिलेगा कार्यवाहक DGP, जानिए किसकी दावेदारी मजबूत - यूपी डीजीपी

यह भी पढ़ें : यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक, जानिए क्यों फिर बन रहे ऐसे समीकरण - यूपी में कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक

लखनऊ : यूपी में 2 वर्ष 176 दिन बाद स्थाई डीजीपी मिलने की उम्मीद है. डीजीपी चयन के लिए योगी सरकार ने नई नियमावली तैयार की है. इस नियमावली के बनने से सरकार के सामने अपने पसंद का डीजीपी नियुक्ति करने का सबसे बड़ा रोड़ा हट गया है. इस नियमावली के तहत डीजीपी की नियुक्ति पर संघ लोक सेवा आयोग भूमिका लगभग समाप्त हो गई है. सरकार आयोग को प्रस्ताव भेजने से मुक्त हो गई है.



साल खत्म होते ही डीजी चयन की उम्मीद: वर्ष 2024 के अंत से 56 दिन पहले 5 नवंबर 2024 को डीजीपी की नियुक्ति के लिए बनी नई नियमावली को बनाने के कारणों और उसकी उपलब्धि को समझने के लिए पीछे की पृष्ठभूमि काफी अहम है. नई नियमावली बनाने के लिए 906 दिन पहले 11 मई 2022 को योगी सरकार ने तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक उनके पद से हटा दिया. इसके पीछे का कारण बताया गया कि वे शासकीय कार्यों की अवहेलना कर रहे थे और विभागीय कार्यों में रुचि नहीं ले रहे थे. सरकार ने दो दिन बाद तत्कालीन डीजी इंटेलिजेंस डी. एस. चौहान को डीजीपी बना दिया. अब सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यूपीएससी को डीजीपी के चयन के लिए प्रस्ताव भेजना था. ऐसे में सरकार ने नए डीजीपी के लिए यूपीएससी को प्रस्ताव भेजा. जिसमें डी. एस. चौहान समेत सभी वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम शामिल थे.

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एक नजर. (Photo Credit : ETV Bharat)
  • अबतक के अस्थाई डीजीपी

  • 1988 बैच के आईपीएस डीएस चौहान को 13 मई 2022 से 31 मार्च 2023.
  • 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा को 1 अप्रैल 2023 से 31 मई 2023.
  • 1988 बैच के आईपीएस विजय कुमार को 1 जून से 31 जनवरी 2024.
  • वर्तमान के अस्थाई डीजीपी प्रशांत कुमार को 1 फरवरी 2024 में बनाया गया.



आयोग से ठनने के बाद सरकार ने तैयार की नियमावली: सरकार को यह भरोसा था कि आयोग की बैठक में उनके द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लगा कर तीन वरिष्ठ अफसरों का पैनल सरकार को भेज देगी. जिसमें वरिष्ठता क्रम में डी.एस. चौहान का भी नाम शामिल होगा. इसके इतर आयोग ने उस प्रस्ताव को बैरंग वापस भेजते हुए मुकुल गोयल को पद से हटाए जाने का ठोस कारण पूछ लिया. सरकार जानती थी कि जिस कारण को बताकर मुकुल गोयल को हटाया गया है उस जवाब को आयोग सिरे से नकार देगा. ऐसे में सरकार ने जवाब भेजा और न स्थाई डीजीपी के लिए नया प्रस्ताव. इसके बाद से ही सरकार बिना प्रस्ताव भेजे कार्यवाहक डीजीपी तैनात करती आ रही है. सरकार जानती थी यदि वह प्रस्ताव भेजेगी तो एक बार फिर मुकुल गोयल को हटाने का कारण पूछ लिया जाएगा.

सुलखान सिंह, पूर्व डीजीपी.
सुलखान सिंह, पूर्व डीजीपी. (Photo Credit : ETV Bharat)
सुप्रीम कोर्ट की नोटिस ने बढ़ाई राज्य सरकार की चिंताः सरकार को अस्थाई डीजीपी तैनात करने में कोई समस्या नहीं आ रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में स्थाई डीजीपी नियुक्त न होने पर तीन अलग अलग याचिकाएं दायर हुईं. जिसमें एक याचिका जन सेवा ट्रस्ट की ओर से गोपाल शंकर नारायण की भी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों याचिकाओं को एक कर इन सभी राज्यों के साथ साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग को नोटिस भेज जवाब तलब किया. इस बीच सरकार प्रशांत कुमार को अस्थाई डीजीपी बना चुकी थी. ऐसे में अब उनके रिटायरमेंट से पहले सरकार के सामने स्थाई डीजीपी के लिए कोई दूसरा रास्ता ढूंढ़ने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपना मजबूत जवाब दाखिल करने की चुनौती थी. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई मार्च 2025 में होनी है. ऐसे में सरकार को हर कदम इससे पहले ही उठाना है.
बृजलाल, पूर्व डीजीपी
बृजलाल, पूर्व डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)
प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी
प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)


सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर अगली तारीख से पहले ही योगी सरकार को पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए डीजीपी नियुक्ति की शक्ति संघ लोक सेवा आयोग से अपने हाथों में लेने की रणनीति में काम करना था. ऐसे में सरकार ने 5 नवंबर 2024 को पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख ) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी दे दी. सरकार ने कहा कि हमने यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत ही बनाई है.

प्रशांत कुमार, वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी
प्रशांत कुमार, वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)

प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला: असम और यूपी के डीजीपी रहे प्रकाश सिंह ने रिटायर होने के बाद वर्ष 1996 को सुप्रीम कोर्ट में पुलिस सुधार को लेकर याचिका दाखिल की थी. इसमें 22 सितंबर 2006 को कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों से पुलिस महकमे में सुधार लाने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने 7 ऐसे दिशा-निर्देश दिए कि जिससे राज्य पुलिस बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम कर सके. इन दिशा निर्देशों में डीजीपी के चयन का मुद्दा भी था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो अफसर कुछ ही दिन या माह में रिटायर हो रहे हो उन्हें डीजीपी बनाने से बेहतर है कि यह जिम्मेदारी उन्हें दी जाए जिनका कार्यकाल कम से कम दो वर्ष का बचा हो. जिससे कोई भी नेता उनका ट्रांसफर कभी भी न करवा सके. इसके अलावा डीजीपी चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग के तत्वावधान में कमेटी बनाने के भी निर्देश दिए गए.

पूर्व डीजीपी बृजलाल.
पूर्व डीजीपी बृजलाल. (Photo Credit : ETV Bharat)
विजय कुमार, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी
विजय कुमार, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)
आरके विश्वकर्मा, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी.
आरके विश्वकर्मा, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी. (Photo Credit : ETV Bharat)
डीएस चौहान, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी
डीएस चौहान, पूर्व कार्यवाहक डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)
मुकुल गोयल, पूर्व डीजीपी
मुकुल गोयल, पूर्व डीजीपी (Photo Credit : ETV Bharat)


क्या है सरकार की नई नियमावलीः वर्ष 2024 के अंत में ही सही दो वर्ष 176 दिन बाद स्थाई डीजीपी बनने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख ) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 में कई खास बाते हैं. नई नियमावली में आयोग की भूमिका खत्म कर दी गई है. चयन कमेटी में अब हाई कोर्ट के रिटायर जज अध्यक्ष होंगे, उनके अलावा मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या एक नामित प्रतिनिधि, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव और राज्य के एक सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक सदस्य होंगे. नियमावली में प्रावधान है कि चयन के बाद डीजीपी को न्यूनतम दो वर्ष का कार्यकाल जरूर दिया जाएगा. इसके अलावा हटाने के लिए प्रमुख कारणों में शासकीय कार्य की अवेहलना, विभागीय कार्यों में रूचि न लेना और अकर्मण्यता को भी रखा गया.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की राय.
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की राय. (Photo Credit : ETV Bharat)


नई नियमावली पर पूर्व अफसरों की राय: योगी सरकार द्वारा बनाई गई इस नियमावली को लेकर पूर्व पुलिस अफसरों के अलग अलग मत सामने आए हैं. यूपी के डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने कहा कि यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट की मंशा के खिलाफ है. वर्ष 2006 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में डीजीपी के चयन की प्रक्रिया बताई गई थी. इस नियमावली के बाद तो आयोग की भूमिका बिलकुल खत्म ही हो जाएगी.




अब तक कैसे होती है DGP की नियुक्तिः प्रत्येक राज्य में डीजीपी या पुलिस फोर्स के मुखिया की नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार ऐसे डीजी या स्पेशल डीजी रैंक के अफसरों के नाम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजती है. जिन्होंने 30 वर्ष की पुलिस सेवा पूरी कर ली हो और जिनका कार्यकाल कम से कम छह महीने का बचा हुआ हो. डीजीपी चयन के लिए आयोग की एक कमेटी है. जिसमें यूपीएससी के चैयरमैन या फिर सदस्य अध्यक्ष होते हैं. उनके अलावा भारत सरकार के गृह सचिव या विशेष सचिव, राज्य के मुख्यसचिव, वर्तमान डीजीपी व केंद्रीय बल का कोई एक चीफ शामिल होता हैं. आयोग सभी आईपीएस अफसरों की योग्यता देख कर तीन सबसे वरिष्ठतम आईपीएस अफसरों का एक पैनल राज्य सरकार को भेजता है. इन्हीं तीन अफसरों में से एक अफसर को सरकार डीजीपी नियुक्त कर देती है. यह डीजीपी कम से कम दो वर्ष के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए. डीजीपी को हटाने की प्रक्रिया सर्विस रूल्स के उल्लंघन या क्रिमिनल केस में कोर्ट का फैसला आने, भ्रष्टाचार साबित होने पर शुरू होती है या डीजीपी को तब हटाया जा सकता है जब वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो.

क्या नये वर्ष में यूपी को स्थाई डीजीपी मिल सकेगा: दो वर्ष 176 दिनों से अस्थाई डीजीपी ही यूपी में नियुक्त हुआ, लेकिन वर्ष 2025 के अंतिम दिनों में सरकार ने नई नियमावली बनाकर एक उम्मीद तो जगाई है. हालांकि सवाल उठता है कि क्या नये वर्ष 2025 में यूपी को स्थाई डीजीपी मिल सकेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अस्थाई डीजीपी चयन को लेकर दायर की गई तीन याचिकाओं पर जैसे ही छह राज्यों को नोटिस दी तो उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने स्थाई डीजीपी नियुक्त कर दी. वह भी आयोग के द्वारा भेजे गए अफसरों को चुन कर, लेकिन यूपी सरकार ने अपनी नई नियमावली बना ली है.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई मार्च 2025 को होगी और उससे 10 दिन पहले संघ लोक सेवा आयोग को जवाब दाखिल करना है. ऐसे में सरकार के पास अभी समय है. इसके अलावा मई 2025 तक प्रशांत कुमार का कार्यकाल भी बचा हुआ है. ऐसे में प्रशांत कुमार के बाद 2025 में जो भी डीजीपी यूपी में नियुक्त होगा वह इसी नियमावली के तहत बनाया जाएगा. हालांकि यह तब संभव होगा जब मार्च 2025 को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सरकार की नियमावली से संतुष्ट हो जाए.




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