मसौढ़ी: पटना के मसौढ़ी स्थित ऐतिहासिक मंदिरों में से एक मणीचक सूर्य मंदिर धाम में भगवान भास्कर और श्री सूर्य नारायण प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई. जहां 108 सामग्रियों के साथ वैदिक मंत्र उच्चारण करते हुए भगवान श्री हरि विष्णु और सूर्य नारायण की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान किया गया.
मंत्र उच्चारण के साथ पूजा: दरअसल, मणीचक सूर्य मंदिर धाम पर भगवान सूर्य नारायण और श्री हरि विष्णु की प्रतिमा को सनातन धर्म के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान कर ईश्वरीय देवी शक्ति का आह्वान कर प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस दौरान पूरे विधि विधान मंत्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना की गई. जहां 1000 नदियों के जल और 1000 पेड़ों के पत्ते समर्पित करते हुए सहस्त्र स्नान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई.
देवताओं का आह्वान किया गया: इस दौरान रामानंदचार्य ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया का वेदों में वर्णन है. मत्स्य पुराण, वामन पुराण और नारद पुराण समेत कई पुराने में इसका विस्तार से वर्णन है. जिस देवता की मूर्ति होती है उसी देवता का आह्वान किया जाता है. जिसके बाद मूर्ति में उस देवता की दिव्य शक्तियां समाहित हो जाती हैं. इसी अनुसार, मणीचक सूर्य धाम में भगवान सूर्य नारायण और श्री हरि विष्णु की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के बाद सभी अलौकिक शक्तियां मूर्तियों में समाविष्ट हो गई है.
"मूर्ति को अनुष्ठानिक सहस्त्र स्नान कराया गया है. इस दौरान अलग-अलग सामग्रियों से प्रतिमा का अभिषेक किया गया, जिसमें 108 प्रकार की सामग्रीय शामिल की गई थी. मूर्ति का अनुष्ठानिक होने के बाद सूर्य देवता से आंखें, वायु देवता से कान और चंद्र देवता से मन आदि जागृत करने का आह्वान किया गया." - रामानंदाचार्य, पूजारी, आयोध्या
सोने की सुई से लगाया काजल: उन्होंने बताया कि फिर अंतिम चरण में मूर्ति की आंखों खुलती है. लेकिन उससे पहले सभी श्रद्धालु देवता की आंखों के चारों ओर सोने की सुई के साथ काजल की तरह अंजन लगाते है. यह सारी प्रक्रिया मूर्ति के पीछे से की जाती क्योंकि भगवान की आंखें खोलते ही अगर कोई उनकी ओर देखा है तो उसका नुकसान हो सकता है. जिसके बाद मूर्ति की आंखें खुल जाती है और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया संपन्न हो जाती है.
इन देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न: इस दौरान मणीचक धाम पर भगवान श्री हरि विष्णु, सूर्यानारायण, राम जानकी, लक्षमण, राधेश्याम, महादेव, हनुमान, गणेश समेत सात देवी देवताओं का सनातन धर्म के मंत्र उच्चारण के साथ प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुआ.
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