थराली: चमोली के वाण गांव में स्थित लाटू देवता मंदिर के कपाट विधि विधान और पारंपरिक रूप से खोल दिए गए हैं. इस मौके पर भगवान लाटू देवता का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. इस मंदिर की परंपरा भी अनोखी है. जहां पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर भगवान लाटू देवता की पूजा करते हैं. पूजा अर्चना करने के बाद गर्भगृह के कपाट को बंद कर दिया जाता है.
बता दें कि मंगलवार यानी 223 अप्रैल को सुबह से ही लाटू धाम वाण के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई. जहां झोड़े, चाचरी का आयोजन किया गया. इसके बाद दोपहर 12.30 बजे मंदिर के कपाट शंखनाद, घंटियों की घनघनाहट, बाजे भंकरों के वादन और नंदा भगवती व लाटू देवता के जयकारे के बीच कपाट खोले गए. वहीं, लाटू मंदिर के गर्भगृह में गुप्त पूजा के बाद मंदिर परिसर में नंदा भगवती, काली, गोलू देवता, लाटू देवता, हनुमान, दानू देवता, भैरव आदि देवताओं की स्तुति की गई.
इस दौरान कई पश्वा पर देवता अवतरित हुए. जिन्होंने नाचते हुए श्रद्धालुओं को जौ के दाने देकर आशीर्वाद दिया. वहीं, थराली विधायक भूपाल राम टम्टा ने लाटू देवता के मंदिर में पूजा अर्चना कर देश, प्रदेश एवं क्षेत्र की खुशहाली की प्रार्थना की. साथ ही मां नंदा और लाटू देवता के भक्तों को कपाट खुलने की बधाई दी. कपाट खुलने के दौरान मंदोली राइडर्स क्लब के कलम सिंह बिष्ट के नेतृत्व में साईकिलर्स बालिकाओं के पर्यावरण बचाने के साथ प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र रही.
आंख पर पट्टी बांधकर की जाती है पूजा: लाटू धाम के मंदिर के अंदर मुख्य पुजारी कपाट खोलने और बंद करने के दौरान मुंह एवं आंखों में पट्टी बांधते हैं. पट्टी बांधकर ही गर्भगृह में जाकर पूजा अर्चना करते हैं. जहां पूजा करने के बाद गर्भगृह के कपाट को बंद कर दिया जाता है. गर्भगृह के अंदर क्या है? इससे आज भी सभी लोग अनजान हैं.
मान्यता है कि अंदर रखी रहस्यमय वस्तु को जो कोई खुली आंखों से देखेगा, उसका सर्वनाश हो जाएगा. इसी भय के चलते कोई भी इसके अंदर रखी वस्तु को देखने का जोखिम नहीं उठाता है. बताया जाता है कि गर्भगृह के अंदर एक पाथा (पहाड़ी क्षेत्रों में राशन मापने का लकड़ी की बनी वस्तु) को उल्टा रखा गया है. इसी के अंदर कोई रहस्यमयी वस्तु होने का अनुमान है.
उत्तरकाशी के संग्राली गांव में पौराणिक भंडाणी मेले का समापन: उधर, उत्तरकाशी जिले के वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर बसे संग्राली गांव में पौराणिक भंडाणी मेले का आयोजन किया गया. जिसका समापन आज हो गया है. इस दौरान बाड़ाहाट क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता के इस धार्मिक अनुष्ठान में ग्रामीणों ने देव डोली के साथ रासो तांदी नृत्य कर क्षेत्र की खुशहाली एवं सुख समृद्धि की कामना की.
दो दिवसीय मेले के समापन के साथ ही कंडार देवता की भोग मूर्ति तीन दिनों के विश्राम के लिए अपने कोठार में चले गए हैं. कंडार देवता मंदिर परिसर में आयोजित इस मेले में पाटा, बग्यालगांव, गंगोरी, लक्षेश्वर, साल्ड, ज्ञाणजा आदि गांवों से भी काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे. इस दौरान देवता की विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही पारंपरिक लोकगीत और लोकनृत्यों की धूम रही.
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