अलवर. जन-जन के आराध्य भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा महोत्सव की शुरुआत गुरुवार सुबह 6 बजे से हो गई है. महोत्सव के तहत पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से 72 घंटे का अखंड कीर्तन शुरू हो गया. इस दौरान भगवान जगन्नाथ के पट बंद किए गए. अब 14 जुलाई तक श्रद्धालु बाहर से ही भगवान जगन्नाथ के आगे नतमस्तक होंगे. भगवान जगन्नाथ 14 जुलाई को दूल्हा रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे.
मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि गुरुवार सुबह 6 बजे से मंदिर प्रांगण में अखंड कीर्तन की शुरुआत हो गई. यह कीर्तन 14 जुलाई को सुबह 6 बजे तक जारी रहेगा. मंदिर प्रांगण में एक दिन में 12 भजन मंडली कीर्तन करेंगी. एक मंडली को मंदिर परिसर की ओर से 2 घंटे का समय दिया गया है. इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ की आरती भी गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के आगे लगे पर्दे के बाहर से ही की जाएगी. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की अंग सेवा भी की जाएगी.
महंत पुष्पेंद्र ने बताया कि भगवान जगन्नाथ का पंचामृत, केवड़ा और गंगाजल से अभिषेक किया जाएगा. जिस तरह शादी में दूल्हे को हल्दी का उबटन लगाया जाता है. इसी तरह भगवान जगन्नाथ को केसर और चंदन का उबटन लगाया जाएगा.
राम धुन गा रही भजन मंडलियां, हल्का प्रसादी का लग रहा भोग: पंडित शर्मा ने बताया कि मंदिर प्रांगण में महिलाओं की ओर से रामधुन की शुरुआत की गई है. भक्त भी भगवान के मंदिर में आकर धोक लगाकर मन्नत मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह कंगन डोरे बंधने के बाद दूल्हा घर के बाहर नहीं जाता, उसी तरह भगवान जगन्नाथ को भी कंगन डोर बंध गए हैं. इसके बाद अब भगवान के पट बंद है. हल्दी के बाद भगवान को हल्का भोजन दिया जा रहा है, जिसमें केसर दूध, आमरस,खिचड़ी, दलिया है.
14 जुलाई को दूल्हा रूप में देंगे दर्शन: शर्मा ने बताया कि 14 जुलाई को भगवान जगन्नाथ दोपहर में दूल्हा रूप में भक्तों को दर्शन देंगे. इस दौरान जिले भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पहुंचेंगे. शाम को इसी दिन मंदिर प्रांगण से भगवान सीतारामजी की सवारी रूप हरि मंदिर के लिए प्रस्थान होगी.
जोर शोर से चल रही तैयारी: जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है. शहर में लोग आकर अभी से दुकान लगाने लगे हैं. साथ ही इंद्र विमान की साफ सफाई का कार्य भी चल रहा है. हर साल की तरह इस साल भी इंद्र विमान में नए कपड़े लगाए जाएंगे. जिनकी सिलाई का काम चल रहा है. भगवान की तरह ही इंद्र विमान को भी विशेष रूप से हर साल सजाया जाता है, जो की देखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहता है.