अयोध्या : रामनगरी अयोध्या में भाजपा की करारी हार से देश में खलबली गई. 500 वर्षों के संघर्ष को जिसने सुखद परिणाम में बदला, अयोध्या में नया इतिहास रचा. वही बीजेपी अयोध्या के साथ अयोध्या मंडल की कई सीटें भी हार गई. अयोध्या में भाजपा प्रत्याशी को मिली शिकस्त को लेकर संत समाज और भाजपा समर्थक दुखी हैं. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
बता दें, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद अयोध्या प्राथमिकता में रही. केंद्र और प्रदेश सरकार ने करोड़ों रुपये की योजनाओं से यहां की तस्वीर बदल दी. इसके बावजूद लोगों में नाराजगी भर गई, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्री भांप नहीं सके. इसके पीछे कुछ प्रमुख वजहें सामने आ रही हैं. इनमें जनप्रतिनिधियों का स्थानीय जनता से दूरी, सड़क चौड़ीकरण में तोड़ी गईं दुकानों और मकानों के मुआवजा वितरण में अनियमितता प्रमुख रही.
प्रशासनिक बंदिशों से परेशान हो रही अयोध्या : संतों का माना कि मार्ग चौड़ीकरण के दरमियान तोड़फोड़ मुख्य मुद्दा रहा. संतों ने दावा किया 35 हजार से ज्यादा बीजेपी के वोटरों ने मतदान नहीं किया. अयोध्या के व्यापारियों में सांसद लल्लू सिंह के व्यवहार को लेकर नाराजगी है. वीआईपी मूवमेंट के दरमियान रोक टोक और तोड़फोड़ से भी लोगों में खासी नाराजगी उपजी. यही कारण रहा कि अयोध्या के साथ अमेठी, बाराबंकी और अंबेडकरनगर की सीटें इंडिया गठबंधन के खाते में चली गई हैं.