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नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद लोकसभा सीटों के बंटवारे का क्या होगा फार्मूला, किन-किन सीटों पर फंस रहा पेच - Lok Sabha Elections 2024

Lok Sabha Elections 2024 बिहार में एनडीए की सरकार है. नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो गए हैं. लोकसभा चुनाव में कुछ महीने शेष बचे हैं. ऐसे में नीतीश के एनडीए में आने के बाद सीट शेयरिंग का समीकरण उलझ गया है. एनडीए में नीतीश की एंट्री से पहले चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी आ चुके थे. सीट शेयरिंग में सबको संतुष्ट करना बीजेपी के लिए चुनौती होगी. पढ़ें, विस्तार से.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 1, 2024, 7:27 PM IST

Updated : Feb 1, 2024, 7:56 PM IST

एनडीए में सीट शेयरिंग का क्या हो सकता है फार्मूला.

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 में बहुत ज्यादा समय नहीं है. नीतीश कुमार अब एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं. 2019 में नीतीश कुमार और बीजेपी एक साथ चुनाव लड़े थे. उस वक्त लोजपा (चिराग पासवान और पशुपति पारस) भी साथ में थी. 17-17 और 6 का फार्मूला तीनों दलों ने अपनाया था. इस बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और जीतन राम माझी की पार्टी हम भी एनडीए में शामिल है. इन दोनों की तरफ से भी महत्वपूर्ण सीटों पर दावेदारी हो रही है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि सीटों को लेकर यदि कोई परेशानी हुई बीजेपी सब कुछ हैंडल कर लेगी.

क्यों उलझ रहा है सीट शेयरिंग का मामला: बिहार में फिलहाल 17 लोकसभा सीट बीजेपी की सीटिंग सीट है. जदयू के पास 16 सीटिंग सीट है. लोजपा के पास 6 सीटिंग सीट है. 40 में से 39 सीट अभी एनडीए के पास है. नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद कई तरह के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि एनडीए को नुकसान हो सकता है. लेकिन अब नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हो चुके हैं. इसलिए एनडीए को लोकसभा चुनाव में नुकसान होने की संभावना कम है. लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला उलझ गया है.

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एनडीए में पहले तीन ही दल थेः 2019 में जब एनडीए था उसमें तीन दल थे. अब तीन की जगह पांच दल हो गए हैं. भाजपा, जदयू, राष्ट्रीय लोक जनता दल, लोजपा और हम शामिल है. अभी तक एनडीए में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. जो चर्चा है उसमें नीतीश कुमार अपने कोटे से जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को सीट देंगे तो दूसरी तरफ बीजेपी और लोजपा जो सीटिंग सीट है उस पर लड़ेंगे. लेकिन जिन सीटों पर पेच फंस रहा है, उसमें सीतामढ़ी, गया, जहानाबाद, कराकाट और हाजीपुर सीट है. दरभंगा सीट पर भी जदयू की तरफ से दावेदारी हो रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि जदयू और बीजेपी के बीच सीटों का किस प्रकार से बंटवारा होगा.

क्या है पुराना समीकरणः 2019 की तरह ही इस बार भी जदयू और बीजेपी के बीच बराबर बराबर सीटों का बंटवारा होगा या जदयू को इस बार कम सीट मिलेगी. क्योंकि विधानसभा में जदयू को कम सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी को जदयू से कहीं अधिक सीटों पर जीत हासिल हुई थी. अभी बीजेपी के पास 78 विधायक है तो वहीं जदयू के पास केवल 45. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा बीजेपी के साथ थे. उपेंद्र कुशवाहा को तीन सीट मिली थी. तीनों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं भाजपा ने 22 सीट जीत हासिल की थी. नीतीश कुमार अकेले 38 सीट पर चुनाव लड़े थे लेकिन जीत केवल दो सीट पर हुई थी.

एनडीए में कोई विवाद नहींः बीजेपी के अंदर खाने से जो खबर आ रही है लोकसभा के साथ विधानसभा के प्रदर्शन को भी इस बार सीट बंटवारे के फार्मूले में ध्यान रखा जाएगा. बीजेपी और जदयू के नेता कह रहे हैं कि सीट बंटवारा में कहीं कोई परेशानी नहीं होगी. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि एनडीए में कहीं से कोई विवाद नहीं है. नीतीश कुमार के आने के बाद कोई परेशानी नहीं होने वाली है. जदयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि 2019 में जो एक सीट कांग्रेस जीती थी वह भी इस बार हम लोग जीत लेंगे. राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रवक्ता राम पुकार सिंह भी कह रहे हैं कि सब कुछ समय पर हो जाएगा.

"लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में परेशानी तो होगी है. नीतीश कुमार के आने से एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर यदि कोई परेशानी होगी तो बीजेपी उसको संभाल लेगी."- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक


अधिक सीटों की हो रही मांग: 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर बिहार में जीत हासिल की थी. एनडीए की इस बार भी नजर सभी 40 सीटों पर है. ऐसे महागठबंधन से भी चुनौती मिलने वाली है. लेकिन एनडीए में इस बार तीन की जगह पांच दल है. हाजीपुर सीट को लेकर पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच विवाद है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की तरफ से भी अधिक सीट की मांग हो रही है. अब देखना है बीजेपी अपने सहयोगियों को नीतीश कुमार के आने के बाद कितना संतुष्ट कर पाती है. जिन सीटों पर पेच फंस रहा है उसका समाधान कैसे करती है.

इसे भी पढ़ेंः बेतिया में 4 फरवरी को होगी पीएम मोदी की सभा, मुख्यमंत्री नीतीश भी साझा करेंगे मंच

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एनडीए में सीट शेयरिंग का क्या हो सकता है फार्मूला.

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 में बहुत ज्यादा समय नहीं है. नीतीश कुमार अब एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं. 2019 में नीतीश कुमार और बीजेपी एक साथ चुनाव लड़े थे. उस वक्त लोजपा (चिराग पासवान और पशुपति पारस) भी साथ में थी. 17-17 और 6 का फार्मूला तीनों दलों ने अपनाया था. इस बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और जीतन राम माझी की पार्टी हम भी एनडीए में शामिल है. इन दोनों की तरफ से भी महत्वपूर्ण सीटों पर दावेदारी हो रही है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि सीटों को लेकर यदि कोई परेशानी हुई बीजेपी सब कुछ हैंडल कर लेगी.

क्यों उलझ रहा है सीट शेयरिंग का मामला: बिहार में फिलहाल 17 लोकसभा सीट बीजेपी की सीटिंग सीट है. जदयू के पास 16 सीटिंग सीट है. लोजपा के पास 6 सीटिंग सीट है. 40 में से 39 सीट अभी एनडीए के पास है. नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद कई तरह के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि एनडीए को नुकसान हो सकता है. लेकिन अब नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हो चुके हैं. इसलिए एनडीए को लोकसभा चुनाव में नुकसान होने की संभावना कम है. लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला उलझ गया है.

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एनडीए में पहले तीन ही दल थेः 2019 में जब एनडीए था उसमें तीन दल थे. अब तीन की जगह पांच दल हो गए हैं. भाजपा, जदयू, राष्ट्रीय लोक जनता दल, लोजपा और हम शामिल है. अभी तक एनडीए में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. जो चर्चा है उसमें नीतीश कुमार अपने कोटे से जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को सीट देंगे तो दूसरी तरफ बीजेपी और लोजपा जो सीटिंग सीट है उस पर लड़ेंगे. लेकिन जिन सीटों पर पेच फंस रहा है, उसमें सीतामढ़ी, गया, जहानाबाद, कराकाट और हाजीपुर सीट है. दरभंगा सीट पर भी जदयू की तरफ से दावेदारी हो रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि जदयू और बीजेपी के बीच सीटों का किस प्रकार से बंटवारा होगा.

क्या है पुराना समीकरणः 2019 की तरह ही इस बार भी जदयू और बीजेपी के बीच बराबर बराबर सीटों का बंटवारा होगा या जदयू को इस बार कम सीट मिलेगी. क्योंकि विधानसभा में जदयू को कम सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी को जदयू से कहीं अधिक सीटों पर जीत हासिल हुई थी. अभी बीजेपी के पास 78 विधायक है तो वहीं जदयू के पास केवल 45. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा बीजेपी के साथ थे. उपेंद्र कुशवाहा को तीन सीट मिली थी. तीनों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं भाजपा ने 22 सीट जीत हासिल की थी. नीतीश कुमार अकेले 38 सीट पर चुनाव लड़े थे लेकिन जीत केवल दो सीट पर हुई थी.

एनडीए में कोई विवाद नहींः बीजेपी के अंदर खाने से जो खबर आ रही है लोकसभा के साथ विधानसभा के प्रदर्शन को भी इस बार सीट बंटवारे के फार्मूले में ध्यान रखा जाएगा. बीजेपी और जदयू के नेता कह रहे हैं कि सीट बंटवारा में कहीं कोई परेशानी नहीं होगी. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि एनडीए में कहीं से कोई विवाद नहीं है. नीतीश कुमार के आने के बाद कोई परेशानी नहीं होने वाली है. जदयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि 2019 में जो एक सीट कांग्रेस जीती थी वह भी इस बार हम लोग जीत लेंगे. राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रवक्ता राम पुकार सिंह भी कह रहे हैं कि सब कुछ समय पर हो जाएगा.

"लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में परेशानी तो होगी है. नीतीश कुमार के आने से एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर यदि कोई परेशानी होगी तो बीजेपी उसको संभाल लेगी."- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक


अधिक सीटों की हो रही मांग: 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर बिहार में जीत हासिल की थी. एनडीए की इस बार भी नजर सभी 40 सीटों पर है. ऐसे महागठबंधन से भी चुनौती मिलने वाली है. लेकिन एनडीए में इस बार तीन की जगह पांच दल है. हाजीपुर सीट को लेकर पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच विवाद है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की तरफ से भी अधिक सीट की मांग हो रही है. अब देखना है बीजेपी अपने सहयोगियों को नीतीश कुमार के आने के बाद कितना संतुष्ट कर पाती है. जिन सीटों पर पेच फंस रहा है उसका समाधान कैसे करती है.

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Last Updated : Feb 1, 2024, 7:56 PM IST
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