शिमला: लोकसभा की चार सीटों वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की इस समय देश भर में चर्चा है. चर्चा का कारण यहां की मंडी सीट से कंगना रनौत यानी बॉलीवुड क्वीन की सियासी एंट्री है. अपने बेबाक बयानों से सुर्खियां बटोरने वाली कंगना की राजनीति में एंट्री ने भी देश भर में हलचल मचा दी है. जैसे ही भाजपा ने मंडी सीट से कंगना रनौत का नाम फाइनल किया, सोशल मीडिया पर कांग्रेस की तरफ से ऐसी टिप्पणी आई कि सियासत में भूचाल आ गया.
अभद्र टिप्पणी से बैकफुट में आई कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की असभ्य टिप्पणी से भाजपा को कांग्रेस पर जोरदार पलटवार का मौका मिल गया. यहां तक कि उत्तराखंड से एक बड़ी लेखिका की बेटी और पत्रकारिता जगत की एक सम्मानित महिला संपादक की अभद्र टिप्पणी भी सामने आई. उसके बाद से मंडी सीट और कंगना रनौत एकाएक देश की राजनीति में सबसे हॉट टॉपिक हो गया. ये सही है कि कंगना पर की गई अभद्र टिप्पणियों के कारण कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है, लेकिन मंडी सीट एक अन्य कारण से वीवीआईपी बन गई है. यहां उस कारण की समीक्षा के साथ ही मंडी सीट के सियासी समीकरण और हिमाचल से एक सिने स्टार की राजनीति में एंट्री पर चर्चा जरूरी है.
पीएम के दूसरे घर में कंगना
प्राचीन शिव मंदिरों की नगरी मंडी को छोटी काशी कहा जाता है. पीएम नरेंद्र मोदी काशी यानी बनारस से चुनाव लड़ेंगे तो कंगना छोटी काशी से. पीएम नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं. पहली बार पीएम बनने के बाद वे मंडी के दौरे पर आए थे. यहां से चुनाव जीते रामस्वरूप शर्मा के साथ भी पीएम नरेंद्र मोदी का स्नेहपूर्ण रिश्ता था. पीएम नरेंद्र मोदी मंडी आकर यहां के लोक व्यंजनों की तारीफ कर जनता के साथ भावुक संवाद करते आए हैं. ऐसे में मंडी सीट वीवीआईपी बन गई है. फिर हिमाचल में कंगना के रूप में पहली बार कोई सिने स्टार चुनाव लड़ रहा है. हालांकि कंगना के पुरखे भी राजनीति में थे और उनके परदादा सरजू सिंह कांग्रेस विधायक रहे हैं, लेकिन कंगना ने एक छोटे से कस्बे से निकल कर बॉलीवुड में नाम कमाया है. फिल्म जगत में एक चमकदार पारी खेलने के साथ ही अब कंगना ने राजनीति में एंट्री की है.
मुकाबला क्वीन वर्सेस रानी हुआ तो रोचक होगी जंग
कंगना रनौत के मंडी सीट से उतरने पर अब सभी की नजरें इस बात पर लग गई हैं कि कांग्रेस से किसे टिकट मिलेगा. यहां से प्रतिभा सिंह सांसद हैं. राजा वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह हिमाचल में रानी के नाम से अधिक पुकारी जाती हैं. कंगना बॉलीवुड की क्वीन कहलाती हैं. ऐसे में यदि मुकाबला क्वीन वर्सेस रानी हुआ तो समीकरण रोचक होंगे. मंडी सीट से वीरभद्र सिंह भी सांसद रहे हैं और प्रतिभा सिंह भी. यहां कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है.
ये बात अलग है कि मंडी से दो बार लगातार रामस्वरूप शर्मा भाजपा टिकट पर चुनाव जीते. उनके आकस्मिक निधन के बाद हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने कारगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को हराया था. अब समीकरण ये हैं कि कंगना रनौत मोदी मैजिक व केंद्र सरकार की नीतियों के सहारे है. उन्होंने इसका खुलकर ऐलान भी किया है. वहीं, यदि प्रतिभा सिंह चुनाव में उतरती हैं तो अपनी ही पार्टी की सत्ता और वीरभद्र सिंह के नाम का सहारे वो जनता के बीच जाएंगी. जिन परिस्थितियों में कंगना को टिकट मिला है, उससे प्रतिभा सिंह पर भी ये दबाव पड़ा है कि वो मुकाबले में उतरें. हाईकमान भी प्रतिभा सिंह को इसके लिए राजी करेगा.
ये हैं कंगना के रास्ते की बाधाएं
कंगना रनौत हालांकि हिमाचल से ही हैं और मनाली में उन्होंने घर भी बनाया है, लेकिन राजनीति में पैराशूटी एंट्री के कई नुकसान भी होते हैं. कंगना को टिकट मिलने से ये सवाल उठ रहा है कि आखिर निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी क्यों की गई. लोग ये भी मानते हैं कि सिने स्टार चुनाव जीतने के बाद जनता के बीच फिर दिखाई नहीं देते. धर्मेंद्र से लेकर सन्नी देओल, राजेश खन्ना व गोविंदा आदि का उदाहरण दिया जाता है. किरण खेर व हेमामालिनी भी अधिक सक्रिय नहीं दिखाई देतीं. किरण खेर तो सांसद होते हुए भी रियलिटी शो में जज की भूमिका में नजर आती हैं. ऐसे में सवाल ये है कि कंगना भी लोकसभा में पहुंच कर फिर मंडी के वोटर्स के बीच नजर आएंगी या नहीं?
राजनीति में वोटर्स के बीच जाना, गांव-गलियों की धूल फांकना और जनता के कटु वचन सुनने का आदी होना पड़ता है. सितारों जैसा जीवन जीने वाले नेता जमीन पर कम ही सहज दिखते हैं. ये बातें कंगना के खिलाफ जाती हैं. वहीं, पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगने से सफलता बेशक मिल जाए, लेकिन उसमें कंगना का खुद का प्रयास क्या होगा, ये सवाल रहेगा.
कंगना और देवभूमि के अपमान को मुद्दा बनाएगी भाजपा
वहीं, भाजपा की प्रदेश इकाई कांग्रेस प्रवक्ता की असभ्य और भद्दी टिप्पणी को मुद्दा बनाएगी. इसे मंडी और हिमाचल के अपमान के साथ-साथ नारी गरिमा के अपमान से जोड़ा जाएगा. भाजपा ने इसे लेकर आक्रामक शुरुआत भी कर दी है. इसे लेकर समर्थ मंचों पर शिकायतों का सिलसिला शुरू हो रहा है. भाजपा इस मामले को हिमाचल की अस्मिता से जोड़ेगी और प्रचार के दौरान भुनाएगी. वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि मंडी सीट पूरे चुनाव के दौरान चर्चा बटोरेगी. हिमाचल से पहली बार कोई बड़ा सिने स्टार चुनाव मैदान में है. कंगना का व्यक्तित्व धाकड़ रहा है. वे अपनी बात बेबाकी से रखती हैं. फिर उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के नाम और काम का सहारा मिलेगा.
मंडी जिले पर भाजपा की मजबूत पकड़
मंडी जिला की दस में से नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा जीती हुई है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के साथ-साथ प्रदेश के मुखिया डॉ. राजीव बिंदल पर भी कंगना को जिताने की जिम्मेदारी है. कंगना का प्रत्याशी होना सभी में उत्सुकता जगाएगा, लेकिन ये सारे फैक्टर वोट में तब्दील होते हैं या नहीं, ये तो परिणाम के दिन ही पता चलेगा. अलबत्ता ये तय है कि कंगना को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता की अभद्र टिप्पणी से जरूर कांग्रेस को नुकसान होगा. फिलहाल काशी से पीएम मोदी और छोटी काशी से कंगना रनौत के चुनावी मैदान में उतरने और नरेंद्र मोदी कनेक्शन से ये सीट वीवीआईपी तो हो ही गई है.
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