लखनऊ : बाहरी नेताओं को भाजपा में शामिल कराने को लेकर फिर से काफी ऊहापोह देखने को मिल रहा है. इनमें कई ऐसे दागी शामिल हैं, जिनके लिए पहले तो पार्टी ने दरवाजे खोल दिए, लेकिन जब ज्वाइनिंग की बात आई तो बैरंग लौटा दिया. कुछ को तो पार्टी ज्वाइन कराने के बाद बाहर का रास्ता दिखाया गया.
दागियों के आने से हुई किरकिरी
10,000 करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में आरोपित अनंत मिश्रा अंटू भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में शुक्रवार को शामिल होने के लिए पहुंचे थे, मगर ऐन मौके पर पार्टी में उनको शामिल नहीं किया गया. जिससे BJP की किरकिरी हो रही है. अंटू मिश्रा से पहले बाबू सिंह कुशवाहा, जितेंद्र सिंह बबलू और धर्म सिंह सैनी जैसे दागियों को भी पार्टी ने शामिल करते ही या ज्वाइन करने से पहले बाहर का रास्ता दिखा दिया. बलात्कार और कत्ल के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी को बीजेपी ने उन्नाव नगर पंचायत अध्यक्ष का टिकट देकर वापस ले लिया था.
ज्वाइनिंग कमेटी पर उठे सवाल
इस बार हुई गड़बड़ में वर्तमान लोकसभा चुनाव को लेकर बनाई गई ज्वाइनिंग कमेटी पर बड़े सवाल उठ रहे हैं. इस कमेटी में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य शामिल हैं. जबकि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक इसके मुख्य कर्ताधर्ता बताए जा रहे हैं. उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर भी संचालन कर रहे हैं. बृजेश पाठक और ब्रज बहादुर की इस कमेटी को देख रहे हैं. इतने बड़े नेताओं की रहते हुए एनआरएचएम घोटाले के दागी की भाजपा में किस तरह से एंट्री होने जा रही थी, इसको लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं.
पहले भी हुई फजीहत
भाजपा में ज्वाइनिंग को लेकर किसी फजीहत होना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले नवंबर 2022 में नगर निगम चुनाव के दौरान पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी की ज्वाइनिंग फाइनल हुई थी. वह सहारनपुर से खतौली के लिए सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ निकले. रास्ते में उनके काफिले को रोक दिया गया. विधानसभा चुनाव 2022 में स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान के साथ धर्म सिंह भी योगी मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. सपा के टिकट पर सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा से चुनाव लड़कर यह हार गए और फिर से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई. सैनी के विरुद्ध अभी आयुष घोटाले की जांच चल रही है. इसलिये इनकी ज्वाइनिंग रोक दी गई थी.
रीता की आपत्ति पर जितेंद्र सिंह 'बबलू' की नो इंट्री
इससे पहले अगस्त 2021 में जितेंद्र कुमार सिंह 'बबलू' को पार्टी में शामिल करके निकाल दिया गया था. बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के करीबी रहे बबलू पर तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और वर्तमान में प्रयागराज से भाजपा की सांसद रीता बहुगुणा जोशी का मकान जलाने का आरोप है. बताया जाता है कि भाजपा के एक खेमे ने बबलू को पार्टी में लखनऊ कार्यालय पर शामिल कराया. रीता जोशी ने केंद्रीय नेतृत्व से इस ज्वाइनिंग पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. जल्द ही जितेंद्र सिंह भाजपा से बाहर कर दिया गया.
सवाल उठे तो किया किनारा
दागियों को शामिल करने के बाद जब सवाल उठे तो भाजपा ने उनसे किनारा करने में देर नहीं की. 2011 में मायावती सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में मायावती द्वारा बर्खास्त किए गए बाबू सिंह कुशवाहा को जनवरी 2012 में भाजपा में शामिल कर लिया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी भाजपा नेतृत्व पर भ्रष्टाचारी को शामिल करने का आरोप लगाया गया, इसके बाद कुशवाहा को बाहर किया गया था. कहा जाता है कि इस फजीहत में भी केंद्र और राज्य में समन्वय का अभाव दिखा था.
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