बारां. देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशी के चुनाव में जुटे हुए हैं. राजस्थान में भी बीजेपी 25 सीटों पर जीतने का दावा कर रही है. ऐसे में बात की जाए प्रदेश की बारां-झालावाड़ सीट की तो यहां बीते 35 साल से लगातार भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है. एक ही परिवार से आने वाले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और दुष्यंत सिंह लगातार 9 बार यहां से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्हें कई प्रत्याशियों ने आकर चुनौती दी, लेकिन हर बार मात ही खानी पड़ी है. वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भी बारां-झालावाड़ से दुष्यंत सिंह को फिर से मैदान में उतारा है.
झालावाड़ लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें शुरुआती दो चुनाव नेमीचंद कासलीवाल जीते थे. वह 1952 और 1957 में इस सीट से सांसद रहे. इसके बाद इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी या जनसंघ का कब्जा ही रहा है. वहीं, साल 1984 में भी यहां से कांग्रेस से जुझार सिंह चुनाव जीते हैं, जबकि इसके बाद हुए सभी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी यहां से जीतती आई है. इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में से 14 पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीती है, जबकि तीन चुनाव कांग्रेस पार्टी जीत पाई है. वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र राहुल का मानना है कि इस लोकसभा सीट पर राज परिवारों का दबदबा सामने आया है, जिसमें 17 चुनाव में से 10 चुनाव में राज परिवार से जुड़े सदस्य ही चुनाव जीते हैं. अब तक इस सीट पर राज परिवार से जुड़े सदस्यों ने 12 चुनाव लड़े हैं.
कांग्रेस ने कई बार बदली स्ट्रेटजी : कांग्रेस पार्टी ने यहां पर कई बार स्ट्रेटजी बदली और स्थानीय के अलावा बाहर से भी प्रत्याशियों को उतारा. साल 1999 में वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ डॉ. अबरार अहमद को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2004 में दुष्यंत सिंह के सामने भी संजय गुर्जर को चुनावी मैदान में उतारा गया, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. केंद्र में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ही बीते 35 साल से झालावाड़ लोकसभा सीट से जीतती आ रही है. साल 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट बारां-झालावाड़ हो गई थी. इसमें भी तीनों बार दुष्यंत सिंह ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते हैं.
17 चुनाव केवल 6 सांसद : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धीतेंद्र शर्मा के अनुसार बारां झालावाड़ या झालावाड़ लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां से 1952 के बाद अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं. यहां से 6 जने ही सांसद बने हैं. इनमें सबसे ज्यादा वसुंधरा राजे सिंधिया पांच बार यहां से निर्वाचित हुईं हैं. इसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह यहां पर चार बार निर्वाचित हो चुके हैं. वहीं, कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह यहां से तीन बार सांसद रहे हैं. इसके अलावा बारां जिले के अंताना निवासी चतुर्भुज नागर और नेमीचंद कासलीवाल भी दो बार यहां से सांसद बने हैं. इसी तरह से जुझार सिंह भी यहां से एक बार सांसद बने हैं.
बीजेपी से जीते, कांग्रेस से हारे बृजराज सिंह : कोटा के पूर्व महाराज बृजराज सिंह झालावाड़ लोकसभा सीट से पांच चुनाव लड़ चुके हैं, जिनमें तीन चुनाव उन्होंने जनसंघ यानी भाजपा के पूर्ववर्ती संगठन से लड़े हैं. इनमें उन्हें जीत भी मिली, लेकिन जब जनसंघ के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 1977 में अपना टिकट बदल दिया था, तब उन्हें कांग्रेस में मौका दिया गया. साल 1977 और 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दोनों बार उन्हें जनसंघ प्रत्याशी चतुर्भुज नागर ने मात दी. बृजराज सिंह साल 1962, 1967 और 1971 में जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में यहां से निर्वाचित किए गए थे.
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सर्वाधिक मतों से जीत का रिकॉर्ड भी दुष्यंत के नाम : बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट पर भाजपा की सबसे बड़ी जीत दुष्यंत सिंह के नाम दर्ज है. साल 2019 में उन्होंने अपने नजदीकी कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद शर्मा को चुनाव में हराया था. शर्मा को 433472 वोट मिले थे, जबकि दुष्यंत सिंह को 887400 वोट मिले थे. दुष्यंत सिंह की जीत का अंतर 453928 वोट था. दूसरे नंबर की जीत का रिकॉर्ड भी दुष्यंत सिंह के नाम है, उन्होंने 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया को 281546 वोटों से हराया था. इसके बाद तीसरी बड़ी जीत का रिकॉर्ड वसुंधरा राजे सिंधिया के नाम है. उन्होंने 1999 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अबरार अहमद को एक लाख 52 हजार 415 वोटों से हराया था.
महज 5605 वोटो से जीते थे चतुर्भुज नागर : झालावाड़ लोकसभा सीट से चतुर्भुज नागर दो बार सांसद रहे हैं. साल 1977 और 1980 में उन्होंने चुनाव जीता था. हालांकि, साल 1984 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जुझार सिंह चुनाव जीत गए थे. साल 1971 के बाद कम अंतर की जीत की बात की जाए तो साल 1980 में चतुर्भुज नागर ने कांग्रेस के प्रत्याशी बृजराज सिंह को महज 5605 मतों से शिकस्त दी थी. इसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया ने 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी मानसिंह को हराकर 48884 वोटों से जीत दर्ज की थी. इसी तरह से साल 2009 में दुष्यंत सिंह और उर्मिला जैन भाया के बीच भी बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट पर काफी कड़ा संघर्ष हुआ था. इस चुनाव में दुष्यंत सिंह 52841 वोटों से जीते थे.
सात विधानसभा सीटों पर भाजपा, एक पर कांग्रेस : बारां-झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें सात सीटों पर साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया था, जबकि एकमात्र सीट खानपुर कांग्रेस के खाते में गई है. वहां से सुरेश गुर्जर विधायक बने हैं, जबकि शेष 8 सीटों की बात की जाए तो झालरापाटन से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायक बनीं थीं. इसके अलावा डग सीट से कालू लाल मेघवाल, मनोहर थाना से गोविंद रानीपुरिया, बारां-अटरू से राधेश्याम बैरवा, छबड़ा से प्रताप सिंह सिंघवी, किशनगंज से ललित मीणा और अंता सीट से कंवरलाल मीणा चुनाव जीते हैं.