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अजमेर में दो जाटों के बीच महामुकाबला, जानें कौन बनेगा क्षेत्र का चौधरी! - rajasthan Lok sabha election 2024

ajmer constituency , अजमेर लोकसभा सीट पर इस बार दो जाट प्रत्याशियों के बीच मुकाबला तय माना जा रहा है. भाजपा ने जहां अपने पुराने चेहरे भागीरथ चौधरी पर भरोसा जताया है तो वहीं, कांग्रेस ने रामचंद्र चौधरी पर दांव चला है. चलिए इस सीट के सियासी गणित को समझते हैं. अजमेर लोकसभा सीट पर मतदान 26 अप्रैल को होगा. अजमेर लोकसभा सीट की मतगणना 4 जून को होगी.

LOK SABHA ELECTIONS 2024
LOK SABHA ELECTIONS 2024
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 15, 2024, 10:28 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 4:03 PM IST

अजमेर. लोकसभा चुनाव की रंगत जमने लगी है. प्रचार में सियासी पार्टियों के प्रत्याशियों ने पूरा जोर लगा दिया है. खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी एक-दूसरे पर व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपना पूरा फोकस जनसंपर्क पर किए हैं. कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी दूधियों के भरोसे हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी मोदी के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की फिराक में हैं. खैर, हार-जीत का फैसला तो अंतत: जनता जनार्दन को करना है, लेकिन मैदानी मुकाबले की बात करें तो इस बार अजमेर में बराबर की टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है.

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों के प्रचार का आलम यह है कि सुबह से लेकर देर रात तक वो मैदान में डटे दिख रहे हैं. लगातार संपर्क का सिलसिला जारी है. यहां भाजपा-कांग्रेस के अलावा 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसके बावजूद इस सीट पर मुख्य तौर पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है. दरअसल, अजमेर संसदीय क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. इनमें किशनगढ़ को छोड़कर शेष अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, पुष्कर, नसीराबाद, मसूदा, केकड़ी और दूदू सीट पर भाजपा का कब्जा है. वहीं, इस क्षेत्र में जाट मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. यही वजह है कि राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने जाट प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान की 10 हॉट सीटें, जहां दांव पर लगी दिग्गजों की साख - Lok Sabha Elections 2024

हारे के सहारे मोदी : अजमेर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने भागीरथ चौधरी को दोबारा मैदान में उतारा है. 2019 में भागीरथ चौधरी अजमेर लोकसभा क्षेत्र से सवा चार लाख मतों से चुनाव जीते थे. इस बार भागीरथ चौधरी की जीत का दावा 5 लाख से अधिक मतों से किया जा रहा है. हालांकि, भागीरथ चौधरी ने 2023 का विधानसभा चुनाव अपने ही गृह क्षेत्र किशनगढ़ से लड़ा था. खास बात यह रही कि भागीरथ चौधरी उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि भाजपा की विचारधारा को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाले विकास चौधरी को यहां जीत मिली थी. वहीं, 2018 में किशनगढ़ में भाजपा से बगावत करके निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते सुरेश टांक दूसरे स्थान पर रहे थे.

भागीरथ चौधरी की हार ने उनके टिकट पर संशय खड़ा कर दिया था, लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने भागीरथ चौधरी पर दोबारा भरोसा जताया. इतना ही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए पुष्कर में चुनाव प्रचार किया. प्रचार में भी भागीरथ चौधरी मोदी सरकार की योजनाओं और कार्यों को ही गिनाते नजर आ रहे हैं यानी भागीरथ चौधरी पूरी तरह से पीएम मोदी के भरोसे मैदान में डटे हुए हैं.

इसे भी पढ़ें - पाली के लोगों को परदेशियों से प्रेम, 17 में से 11 बार बाहरी को भेजा दिल्ली - Lok Sabha Elections 2024

दूधियों के भरोसे रामचंद्र : इधर, कांग्रेस ने भी जाट समाज से नए चेहरे को उम्मीदवार बनाया है. यहां कांग्रेस ने रामचंद्र चौधरी पर दांव खेला है, जो जिला दुग्ध सहकारी समिति में 30 साल से अध्यक्ष हैं, लेकिन वे कभी विधानसभा का भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं. चौधरी को दो बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था. वहीं, दो बार कांग्रेस से बगावत करके रामचंद्र चौधरी चुनाव लड़ चुके हैं. मगर चारों ही चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. जिला दुग्ध सहकारी समिति से तीन दशक से जुड़े होने के कारण रामचंद्र चौधरी की जिले के पशुपालकों और किसानों में अच्छी पकड़ है. यू तो पशु पालकों में हर समाज के लोग हैं, लेकिन ज्यादातर जाट और गुर्जर ही कृषि और पशु पालन से जुड़े हुए हैं.

वहीं, अजमेर लोकसभा क्षेत्र जाट और गुर्जर बाहुल्य है. ऐसे में रामचंद्र चौधरी की गुर्जर समाज में अच्छी पकड़ भी है. यदि जाट मतों का विभाजन होता है और गुर्जर, मस्लिम और एससी मत रामचंद्र चौधरी के पक्ष में जाते हैं तो उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है. मगर पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट से उनकी अदावत का असर हुआ तो फिर गुर्जर मत रेत की तरह उनके हाथों से फिसल भी सकते हैं.

इसे भी पढ़ें - राजसमंद में भाजपा का रजवाड़े पर भरोसा, कांग्रेस ने फिर गुर्जर पर लगाया दांव - Lok Sabha Elections 2024

बता दें कि भाजपा की तरह रामचंद्र चौधरी के प्रचार के लिए अभी तक कांग्रेस का कोई भी बड़ा स्टार प्रचारक नहीं आया है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत 16 अप्रैल को अजमेर में चौधरी के पक्ष में आजाद पार्क में सभा करने वाले हैं. यानी कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में यह पहली जनसभा होगी, जिसमें कोई बड़ा नेता शामिल होगा. इससे पहले गहलोत गुट के स्थानीय नेताओं ने रामचंद्र चौधरी के लिए प्रचार किया. चौधरी के प्रचार के लिए सचिन पायलट अभी तक एक बार भी अजमेर नहीं आए हैं, जबकि पायलट अजमेर से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. इसमें एक बार पायलट जीते भी थे, जबकि दूसरी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

अजमेर. लोकसभा चुनाव की रंगत जमने लगी है. प्रचार में सियासी पार्टियों के प्रत्याशियों ने पूरा जोर लगा दिया है. खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी एक-दूसरे पर व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपना पूरा फोकस जनसंपर्क पर किए हैं. कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी दूधियों के भरोसे हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी मोदी के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की फिराक में हैं. खैर, हार-जीत का फैसला तो अंतत: जनता जनार्दन को करना है, लेकिन मैदानी मुकाबले की बात करें तो इस बार अजमेर में बराबर की टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है.

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों के प्रचार का आलम यह है कि सुबह से लेकर देर रात तक वो मैदान में डटे दिख रहे हैं. लगातार संपर्क का सिलसिला जारी है. यहां भाजपा-कांग्रेस के अलावा 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसके बावजूद इस सीट पर मुख्य तौर पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है. दरअसल, अजमेर संसदीय क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. इनमें किशनगढ़ को छोड़कर शेष अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, पुष्कर, नसीराबाद, मसूदा, केकड़ी और दूदू सीट पर भाजपा का कब्जा है. वहीं, इस क्षेत्र में जाट मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. यही वजह है कि राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने जाट प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

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हारे के सहारे मोदी : अजमेर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने भागीरथ चौधरी को दोबारा मैदान में उतारा है. 2019 में भागीरथ चौधरी अजमेर लोकसभा क्षेत्र से सवा चार लाख मतों से चुनाव जीते थे. इस बार भागीरथ चौधरी की जीत का दावा 5 लाख से अधिक मतों से किया जा रहा है. हालांकि, भागीरथ चौधरी ने 2023 का विधानसभा चुनाव अपने ही गृह क्षेत्र किशनगढ़ से लड़ा था. खास बात यह रही कि भागीरथ चौधरी उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि भाजपा की विचारधारा को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाले विकास चौधरी को यहां जीत मिली थी. वहीं, 2018 में किशनगढ़ में भाजपा से बगावत करके निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते सुरेश टांक दूसरे स्थान पर रहे थे.

भागीरथ चौधरी की हार ने उनके टिकट पर संशय खड़ा कर दिया था, लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने भागीरथ चौधरी पर दोबारा भरोसा जताया. इतना ही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए पुष्कर में चुनाव प्रचार किया. प्रचार में भी भागीरथ चौधरी मोदी सरकार की योजनाओं और कार्यों को ही गिनाते नजर आ रहे हैं यानी भागीरथ चौधरी पूरी तरह से पीएम मोदी के भरोसे मैदान में डटे हुए हैं.

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दूधियों के भरोसे रामचंद्र : इधर, कांग्रेस ने भी जाट समाज से नए चेहरे को उम्मीदवार बनाया है. यहां कांग्रेस ने रामचंद्र चौधरी पर दांव खेला है, जो जिला दुग्ध सहकारी समिति में 30 साल से अध्यक्ष हैं, लेकिन वे कभी विधानसभा का भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं. चौधरी को दो बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था. वहीं, दो बार कांग्रेस से बगावत करके रामचंद्र चौधरी चुनाव लड़ चुके हैं. मगर चारों ही चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. जिला दुग्ध सहकारी समिति से तीन दशक से जुड़े होने के कारण रामचंद्र चौधरी की जिले के पशुपालकों और किसानों में अच्छी पकड़ है. यू तो पशु पालकों में हर समाज के लोग हैं, लेकिन ज्यादातर जाट और गुर्जर ही कृषि और पशु पालन से जुड़े हुए हैं.

वहीं, अजमेर लोकसभा क्षेत्र जाट और गुर्जर बाहुल्य है. ऐसे में रामचंद्र चौधरी की गुर्जर समाज में अच्छी पकड़ भी है. यदि जाट मतों का विभाजन होता है और गुर्जर, मस्लिम और एससी मत रामचंद्र चौधरी के पक्ष में जाते हैं तो उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है. मगर पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट से उनकी अदावत का असर हुआ तो फिर गुर्जर मत रेत की तरह उनके हाथों से फिसल भी सकते हैं.

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बता दें कि भाजपा की तरह रामचंद्र चौधरी के प्रचार के लिए अभी तक कांग्रेस का कोई भी बड़ा स्टार प्रचारक नहीं आया है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत 16 अप्रैल को अजमेर में चौधरी के पक्ष में आजाद पार्क में सभा करने वाले हैं. यानी कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में यह पहली जनसभा होगी, जिसमें कोई बड़ा नेता शामिल होगा. इससे पहले गहलोत गुट के स्थानीय नेताओं ने रामचंद्र चौधरी के लिए प्रचार किया. चौधरी के प्रचार के लिए सचिन पायलट अभी तक एक बार भी अजमेर नहीं आए हैं, जबकि पायलट अजमेर से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. इसमें एक बार पायलट जीते भी थे, जबकि दूसरी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

Last Updated : Apr 18, 2024, 4:03 PM IST
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